राहुल गांधी को इस्तीफा दिए आठ हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन उनकी जगह अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए आम राय नहीं बन पाई है. गांधी परिवार की तरफ से भी कोई संकेत नहीं मिल रहा है कि किसे अंतरिम अध्यक्ष बनाया जाए. कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों के बीच अनौपचारिक बैठकें चल रही हैं. इसमें नए अध्यक्ष का चुनाव होने तक अंतरिम अध्यक्ष के साथ ही एक संचालन समिति गठित करने पर भी विचार हो रहा है. इसके बाद कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी.

फिलहाल कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक टल रही है. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी 4-5 दिन दिल्ली से बाहर रहेंगे, इसलिए कम से कम एक हफ्ते तक इस संबंध में किसी फैसले की उम्मीद नहीं है. अंतरिम अध्यक्ष के लिए किसी एक नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है. अंतरिम अध्यक्ष के लिए कई नाम उभरकर आए हैं, जिनमें पांच दलित हैं. इनके नाम हैं मल्लिकार्जुन खड़गे, सुशील कुमार शिंदे, मुकुल वासनिक, मीरा कुमार और कुमारी सैलजा. बाकी नामों में कर्ण सिंह, आनंद शर्मा, अशोक गहलोत, सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं.

अंतरिम अध्यक्ष के लिए जब अशोक गहलोत, कमलनाथ और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम पर विचार किया जा रहा था तो बताया जाता है कि तीनों ने ही यह पद संभालने में रुचि नहीं दिखाई. उनका कहना है कि वे अपने राज्यों में संतुष्ट हैं. अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं. कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री हैं. इससे यह भी संकेत मिलता है कि अगर कांग्रेस में अंतरिम अध्यक्ष की नियुक्ति का फैसला होगा तो जिसे जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, वह संभालने के लिए तैयार होगा या नहीं, इसमें संशय है.

बताया जाता है कि राहुल गांधी फिलहाल कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष बने हुए हैं और जरूरी होने पर फैसले भी कर रहे हैं. नियुक्तियां भी हो रही हैं. महाराष्ट्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति हो चुकी है और पांच राज्यों में कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं. पार्टी के रोजमर्रा के काम संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल देख रहे हैं, जो राहुल गांधी के नजदीकी माने जाते हैं.

फिलहाल कांग्रेस के संगठन चुनाव कराने के प्रस्ताव की रूपरेखा तैयार की जा रही है. संसद का मौजूदा सत्र 25 जुलाई तक चलेगा. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक 22 जुलाई से पहले होने की संभावना नहीं है. अक्टूबर में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस में नेतृत्व का मुद्दा हल होना जरूरी माना जा रहा है. इन तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने तक कांग्रेस एक संचालन समिति का गठन कर सकती है.

कांग्रेस की संचालन समिति में मुकुल वासनिक, मोतीलाल वोरा, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल और एके एंटनी शामिल हो सकते हैं. हालांकि इस पर अभी औपचारिक फैसला नहीं हुआ है. कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों से मिलकर सुझाव दिया है कि मौजूदा परिस्थितियों में सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कराया जा सकता है. इस पूरे घटनाक्रम में खुद सोनिया गांधी की राय सामने नहीं आ रही है.

राहुल गांधी ने 25 मई को इस्तीफा दिया था. मंगलवार को कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि कोई समस्या नहीं है, पार्टी का कामकाज पहले जैसा चल रहा है. महाराष्ट्र में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हो गई है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए कमेटियां भी बन गई हैं. हरियाणा, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए भी कमेटियां बनाने की तैयारी चल रही है. प्रियंका गांधी वाड्रा एआईसीसी महासचिव के रूप में उत्तर प्रदेश का प्रभार संभाल रही हैं.

कांग्रेस हाईकमान से जुड़े नेताओं का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष नहीं होने पर भी राहुल गांधी कांग्रेस की दिशा तय करते रहेंगे. भाजपा के खिलाफ संघर्ष की प्रक्रिया में राहुल गांधी का महत्वपूर्ण योगदान बना रहेगा. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद जब राहुल ने इस्तीफा दिया तो ज्यादातर लोगों ने इसे नाटक समझा था. लेकिन अब राहुल गांधी इस्तीफे अड़े हुए हैं तो कांग्रेस खुद नाटकीय स्थिति में फंस गई है. उलटे राहुल ने यह घोषणा भी कर दी है कि गांधी परिवार का कोई सदस्य कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेगा. इससे कांग्रेस नेताओं में खलबली मची हुई है.

पत्रकार से कांग्रेस के विचारक बने पंकज शर्मा का कहना है कि कांग्रेस की समस्या का मुख्य कारण इसकी लडखड़ाती संगठनात्मक मशीनरी है. वफादारी ने विचारधारा का स्थान ले लिया है. पार्टी पर गिनती के नेताओं का नियंत्रण है, जिससे कांग्रेस का सांस्थानिक ढांचा बदल गया है. पार्टी में नीचे से शीर्ष तक व्यवस्था में क्रमबद्ध बदलाव की जरूरत है. इसमें सत्ता प्राप्ति का स्वभाविक प्रवाह भी आ गया है. सचिव स्तरीय अवरोध अब जनस्तरीय संचार चैनलों में बदल गए हैं. शर्मा की सलाह है कि राहुल गांधी को पार्टी के भीतर एक सामान्य कार्यकर्ता की आवाज बनना चाहिए और इन गंभीर त्रुटियों को खत्म करने के लिए काम करना चाहिए.

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