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झारखंड के ब्यूरोक्रेट्स के बारे में कहावत है कि वे नेताओं के भी नेता हैं. यहां के कई आईएएस और आईपीएस राज्य में सरकार बनाने के खेल में भी शामिल रहे हैं. इसके बदले नेताओं द्वारा उन्हें मलाईदार विभाग में तैनाती मिलती रही है लेकिन लगता है इस चुनावी मौसम में राज्य के ब्यूरोक्रेट्स के ग्रह-नक्षत्रों की चाल ठीक नहीं है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के आंखों का तारा माने जाने वाले भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अनुराग गुप्ता को चुनाव आयोग ने राज्य से तड़ीपार कर दिया है. आयोग ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अपर पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता को नई दिल्ली भवन स्थित झारखंड भवन में तैनात किया जाए. इतना ही नहीं, 23 मई यानी चुनाव परिणाम तक झारखंड के किसी भी हिस्से में जाने पर पाबंदी लगा दी गई.

अनुराग गुप्ता पर 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार का आरोप है. इस मामले में चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अजय कुमार और अनुराग गुप्ता पर केस दर्ज करने का आदेश पूर्व में दिया था लेकिन सत्ता का संरक्षण प्राप्त होने के कारण उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. विपक्ष चुनाव आयोग के इस फैसले से खुश है क्योंकि उसे लग रहा था कि गुप्ता लोकसभा चुनाव के दौरान गड़बड़ी कर सकते हैं. इसको लेकर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा रांची से लेकर नई दिल्ली तक चुनाव आयोग से शिकायत हुई थी.

चुनाव आयोग के संकेत के बाद एक्सटेंशन पर चल रहे झारखंड के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी की विदाई हो गई. आयोग के नियमानुसार एक्सटेंशन पर चल रहे किसी व्यक्ति को चुनाव कार्य में नहीं लगाया जा सकता इसलिए राज्य सरकार ने 31 मार्च के बाद उन्हे एक्सटेंशन नहीं देने का फैसला लिया. उनकी जगह देवेंद्र कुमार तिवारी को नया मुख्य सचिव बनाया गया है. सत्ता से जुड़े सूत्रों की मानें तो एडिशनल चीफ सेक्रेट्री केके खंडेलवाल इस पद की दौड़ में थे. खंडेलवाल फिलहाल राज्य में कार्मिक प्रशासनिक विभाग में तैनात हैं और मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके खास सिपेहसालारों के पसंदीदा माने जाते हैं.

मुख्य सचिव बनने के लिए केके खंडेलवाल ने नई दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात की और अपने लिए समर्थन मांगा. खबर है कि उन्हें दिल्ली का आशीर्वाद तो प्राप्त हो गया लेकिन चुनाव आयोग उनके नाम पर सहमत नहीं था. दरअसल खंडेलवाल पर पूर्व में चुनाव ड्यूटी ठीक से नहीं निभाने का आरोप लगा था. हालांकि इस मामले में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है. इसके बाद भी आयोग का रुख उनके नाम पर सकारात्मक नहीं था. इस वजह से राज्य सरकार को 1986 बैच के आईएएस देवेंद्र कुमार तिवारी के नाम पर सहमत होना पड़ा.

इस ताजपोशी के बाद खंडेलवाल बेहद दुखी हैं. दुखड़ा इसलिए भी बड़ा है क्योंकि मुख्य सचिव बनने की उम्मीद में उन्होंने पिछले साल बीआरएस स्वीकृत होने के बाद नौकरी नहीं छोड़ी थी. नए बदलाव में उन्हें वित्त और योजना का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है लेकिन इससे वह संतुष्ट नहीं हैं. फिलहाल सरकार के दुलारे ब्यूरोक्रेट्स के दिन खराब होने से मलाईदार विभाग में तैनात कुछ अधिकारी विपक्ष के नेताओं से भी संपर्क साध रहे हैं ताकि उनकी कुर्सी सलामत रह सके.

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