सावरकर का गुणगान कर पवार ने ‘चौंकाया’- तर्कवादी, वैज्ञानिक स्वभाव के थे, नहीं कर सकते नजरअंदाज

चौंका रही है शरद पवार की राजनीति! कुछ दिन पहले ममता से की मुलाकात तो अब सावरकर की तारीफों के बांधे पुल, बोले- 'दलितों के लिए मंदिर प्रवेश के सुधारों को दिया बढ़ावा, गाय के मांग और दूध की उपयोगिता की वकालत की, नहीं भुलाया जा सकता स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर का योगदान', भाजपा पर बेवजह विवाद पैदा करने का लगाया आरोप

सावरकर का गुणगान पवार ने 'चौंकाया'
सावरकर का गुणगान पवार ने 'चौंकाया'

Politalks.News/Maharashtra. NCP सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar)आजकल अलग ही तरह की राजनीति कर रहे हैं. अबकी बार पवार ने वीर सावरकर की तारीफों के पुल बांधकर सभी को चौंका दिया है. हालही में पवार ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ मुलाकात की थी इसके बाद ममता बनर्जी ने UPA पर सवाल उठाए थे. अब सावरकर (Vinayak Damodar Sawarkar) की तारीफ कर पवार ने सभी को चौंका दिया है. नेश्नलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने नासिक में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि, ‘सावरकर ने मानव उपभोग के लिए गाय के मांस और दूध की उपयोगिता की वकालत की थी. वे तर्कवादी थे. उन्होंने वैज्ञानिक रूप से इस मुद्दे पर बात रखी जिसे कम करके नहीं आंका जा सकता.’ शरद पवार की यह टिप्पणी विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के यह कहने के एक दिन बाद आई है कि, ‘भाजपा का सम्मेलन से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि कार्यक्रम में सावरकर का कोई जिक्र नहीं हुआ’ .

पवार ने सावरकर को बताया तर्कवादी
नेश्नलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा कि, ‘विनायक दामोदर सावरकर हिंदू धर्म के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे’. पावर ने कहा कि, ‘सावरकर दलितों के लिए मंदिर प्रवेश सुधारों को बढ़ावा देने वाले शुरुआती लोगों में से एक थे’. पवार ने नासिक में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि, ‘सावरकर ने मानव उपभोग के लिए गाय के मांस और दूध की उपयोगिता की वकालत की थी. वे तर्कवादी थे. उन्होंने वैज्ञानिक रूप से इस मुद्दे पर बात रखी जिसे कम करके नहीं आंका जा सकता.’

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जहां सावरकर का हुआ अपमान वहां क्यों जाएं- फडणवीस
शरद पवार की यह टिप्पणी भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के यह कहने के एक दिन बाद आई है कि भाजपा का इस सम्मेलन से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि कार्यक्रम में सावरकर का कोई जिक्र नहीं किया गया था. फडणवीस ने कहा कि, ‘साहित्य सम्मेलन के आयोजकों ने जानबूझकर उनका नाम शामिल नहीं किया है. सावरकर ने 1938 में साहित्यिक बैठक की अध्यक्षता की थी. फिर भी इस सम्मेलन से उनका नाम गायब है, जहां सावरकर का अपमान होता है, हम क्यों जाएं’? पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि, ‘वह हमारे लिए एक आदर्श हैं और अगर हमारे आदर्श व्यक्तियों का सम्मान नहीं किया जाता, तो हम वहां क्यों जाएं’.

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भाजपा ने ‘अनावश्यक’ विवाद पैदा किया- पवार
NCP सुप्रीमो पवार ने यह भी कहा कि, ‘भाजपा ने ‘अनावश्यक’ विवाद पैदा किया है’. पवार ने बताया कि, ‘कैसे सावरकर ने रत्नागिरी में एक छोटा मंदिर बनाया और अनुष्ठान करने के लिए एक दलित को आमंत्रित किया. यह सामाजिक समानता का संदेश देने के लिए किया गया था. उन दिनों दलितों को मंदिरों में जाने की इजाजत नहीं थी. मंदिर का प्रभार सौंपना अकल्पनीय था. ये कुछ पहलू हैं जो दिखाते हैं कि सावरकर का स्वभाव वैज्ञानिक था’. पवार ने यह भी कहा कि, ‘स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. महाराष्ट्र और मराठी मानुष में हर कोई उनका सम्मान करता है’.

 

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