केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम (Assam) में नेशनल रजिस्टर सिटीजन (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी कर दी है. NRC के लिए 3 करोड़ 30 लाख लोगों ने आवेदन किया था. फाइनल लिस्ट में 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोग शामिल हैं जिनकी नागरिकता साबित हो गयी है लेकिन 19 लाख से अधिक लोग लिस्ट से बाहर हैं जिसके चलते लोगों में नाराजगी है. 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को सूची में जगह नहीं मिल पाई. राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए 51 कंपनियां तैनात की गई हैं. राज्य प्रशासन ने गुवाहाटी सहित संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर दी है. वहीं असम के डीजीपी कुलाधर सैकिया ने कहा कि कोई व्यक्ति माहौल बिगाड़ने या अफवाह फैलाने की कोशिश करे तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाए.

असम एनआरसी की फाइनल लिस्ट www.nrcaasam.nic.in पर देखी जा सकती है. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन भारत में नागरिकता को वेरिफाई करने की सबसे बड़ी प्रक्रिया है. इसका मकसद उन लोगों की पहचान करना है, जो घुसपैठ (खासकर बांग्लादेश) से असम में घुस आए और वहीं रहने लगे. बता दें, जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं, उन सभी को आधार कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे. गौर करने वाली बात ये भी है कि असम में अरसे से रह रहे वे लोग भी लिस्ट से गायब हैं ​जो सरकारी नौ​करी कर रिटायर्ड हो चुके हैं. अब आगे का भविष्य उनका अंधेरेनुमा लग रहा है.

जानकारी देते हुए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों को एनआरसी की फाइनल लिस्ट में जगह मिली और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया. जो लोग इससे संतुष्ट नहीं है, वे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के आगे अपील दाखिल कर सकते हैं. अपील 120 दिनों के भीतर की जा सकती है. बता दें, असम सरकार राज्य के 400 विदेशी न्यायाधिकरणों की स्थापना करेगी, ताकि उन लोगों के मामलों से निपटा जा सके, जिन्हें अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से बाहर रखा गया है.

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस मामले पर कहा कि एनआरसी लिस्ट में जो लोग छूट गए हैं. उनकी परेशानियों पर सरकार ध्यान देगी और यह देखेगी कि उनका किसी तरह का उत्पीड़न न हो. साथ ही आम जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है.

इतनी बड़ी संख्या में लोगों की नागरिकता जाने के मुद्दे पर कुमार संजय कृष्ण ने कहा कि 200 ऐसे न्यायाधिकरण स्थापित करने की प्रक्रिया पहले से ही है. इसके अलावा सूची से बाहर रखे गए लोगों के लिए 200 अन्य न्यायाधिकरणों की स्थापना की जाएगी. फॉरनर्स ट्रिब्यूनल अर्ध न्यायिक अदालतें हैं, जो उन लोगों की सुनवाई करेंगी, जिन्हें लिस्ट से बाहर रखा गया है.

गौरतलब है कि असम एनआरसी (Assam NRC) की पहली लिस्ट 1951 में जारी की गई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एनआरसी को अपडेट करने का आदेश दिया था ताकि बोनाफाइड नागरिकों की पहचान हो सके और अवैध अप्रवासियों को बाहर निकाला जा सके. लेकिन असली काम फरवरी 2015 में शुरू हुआ. पिछले साल 30 जुलाई, 2018 को जब ड्राफ्ट पब्लिश हुआ तो 40.7 लाख लोगों को नागरिकता सूची से बाहर रखा गया था. अब शनिवार को फाइनल लिस्ट सावर्जनिक किए जाने तक 19 लाख से अधिक असम प्रवासियों के नाम लिस्ट में नहीं से सभी पर गैर प्रवासी होने का खतरा मंडराने लगा है.

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