हार का सबक! विशेष मिशन पर आए प्रभारी ने मैडम राजे खेमे और विरोधियों के साथ पी ‘सियासी चाय’

भाजपा ने उपचुनाव की हारे से लिया सबक! बीजेपी में एकजुटता की कवायद में जुटे प्रभारी अरुण सिंह! रात को कैलाश मेघवाल के घर की मुलाकात, सराफ भी रहे मौजूद, सुबह घनश्याम तिवाड़ी के साथ की चाय पर चर्चा, खेमेबाजी को खत्म करने की कवायद में जुटे प्रभारी, उपचुनाव की तरह आने वाले चुनाव में ना हों हाल इसके लिए आलाकमान ने भेजा विशेष मिशन पर

मिशन 'एकजुटता' पर जुटे प्रभारी
मिशन 'एकजुटता' पर जुटे प्रभारी

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच की सियासी खींचतान और ‘आंतरिक कलह’ किसी से छुपी नहीं है. लेकिन आप मानकर चलिए राजस्थान भाजपा में तो यह सियासी अंतर्कलह अपने चरम पर है और कहीं न कहीं हाल के उपचुनावों में बीजेपी प्रत्याशियों के तीसरे और चौथे स्थान पर रहने का सबसे बड़ा कारण भी ये सियासी अंतर्कलह ही है. इस आपसी खींचतान को अभी तक हल्के में लेकर चल रहा बीजेपी आलाकमान के भी इस करारी हार के बाद कान खड़े हो गए है. भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो यही वजह है कि आलाकमान ने प्रभारी अरुण सिंह को विशेष मिशन पर राजस्थान भेजा है. अरुण सिंह हार की समीक्षा के साथ इस गुप्त मिशन को भी अंजाम दे रहे हैं. भाजपा के सभी गुटों की नजरें अरुण सिंह पर है. बताया जा रहा है कि उपचुनाव की हार के बाद प्रदेश से जुड़े एक केन्द्रीय मंत्री ने आलाकमान के सामने गुटबाजी को लेकर खुलकर अपनी बात रखी है इसके बाद से आलाकमान भी एक्शन में है.

एकजुटता की कवायद!
भाजपा अब राजस्थान ने एकजुटता की कवायद में जुट गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मान-मनोव्वल और आदर-सम्मान से इसकी शुरूआत की गई है. प्रदेश बीजेपी प्रभारी इसी कवायद में मैडम राजे के खेमे और उनके विरोधियों के घर खुद मुलाकात करने पहुंचे. इस दौरान राजस्थान में भविष्य में भाजपा की राजनीति पर मंथन हुआ. अरुण सिंह द्वारा एक के बाद एक मुलाकात ने प्रदेश भाजपा की राजनीति को गर्मा दिया है.

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मेघवाल और सराफ के साथ सियासी चर्चा

प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह बीती रात अचानक मैडम राजे के खास सिपहसालार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वयोवृद्ध नेता कैलाश मेघवाल के आवास पर पहुंचे और इनसे चाय पर चर्चा की. इस दौरान पूर्व मंत्री और मालवीय नगर से विधायक कालीचरण सराफ भी मौजूद रहे. दोनों ही नेता मैडम राजे के खेमे के खास सिपहसालार हैं. इस दौरान इन नेताओं के बीच लंबी चौड़ी बात होने की बात सामने आ रही है. संगठन से जुड़े कई मसलों पर इन नेताओं ने मंथन किया.

मेघवाल ने कटारिया के खिलाफ हालही में खोला था मोर्चा

आपको याद दिला दें कि हालही में वयोवृद्ध नेता कैलाश मेघवाल ने बीजेपी में एक चिट्ठी बम फैंका था. इस दौरान वसुंधरा राजे के करीबी पूर्व विधानसभाध्यक्ष कैलाश मेघवाल और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के बीच की तकरार सामने आई थी. मेघवाल ने कटारिया के खिलाफ लेटर बम फोड़ा था. इस पत्र में मेघवाल ने कटारिया को पद से हटाने की मांग की थी. मेघवाल ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में कटारिया की महाराणा प्रताप और भगवान श्रीराम को लेकर की गई टिप्पणी का हवाला दिया था. मेघवाल ने लिखा है कि कटारिया के इस बयान से पार्टी को भारी नुकसान हुआ है. साथ ही मेघवाल कटारिया के खिलाफ विधायक दल की बैठक में निंदा प्रस्ताव लाने की तैयारी में थे. लेकिन ऐन पहले प्रभारी अरुण सिंह की समझाइश के बाद मेघवाल ने अपने कदम रोक लिए थे. अब अरुण सिंह फिर से बीती रात मेघवाल से मिलने पहुंचे थे.

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मैडम राजे के धुर विरोधी तिवाड़ी के साथ चाय पर की चर्चा

वहीं आज सुबह प्रभारी अरुण सिंह ने जयपुर में ही मैडम राजे के विरोधी रहे दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी से मुलाकात की. तिवाड़ी के आवास पर दोनों नेताओं के बीच राजस्थान में भाजपा के भविष्य की राजनीति को लेकर चर्चा होने की बात सामने आ रही है. तिवाड़ी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के घोर विरोधी माने जाते हैं. विरोध के चलते तिवाड़ी ने भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी इसके बाद वो कांग्रेस में चले गए थे. तिवाड़ी की भाजपा में घर वापसी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने करवाई थी. पिछ्ली भाजपा सरकार के दौरान तिवाड़ी को वो मान-सम्मान नहीं मिला जो भैरों सिंह शेखावत या अन्य सरकारों के समय में मिला. साथ ही संगठन में भी घनश्याम तिवाड़ी को विशेष स्थान नहीं मिला. यूं भी कहा का सकता है पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में उन्हें उपेक्षा का शिकार होना पड़ा. इसी कारण वे पार्टी से दूर होने लगे. सरकार के साथ ही पार्टी के कार्यक्रमों से तिवाड़ी ने दूरी बना ली. बाद में ये दूरी इतनी बढ़ गई कि तिवाड़ी भाजपा से ही अलग हो गए. यही नहीं तिवाड़ी ने तो मैडम राजे से बंगला खाली करवाने के लिए बाकायदा धरना प्रदर्शन भी किया था. अब तिवाड़ी से मुलाकात कर अरुण सिंह ने सियासी गलियारों में चर्चाओं को हवा दे दी है. हालांकि अभी तिवाड़ी राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं.

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आलाकमान ने प्रभारी सिंह को भेजा मिशन पर

भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव की हार से भाजपा ने सबक लिया है. विधानसभा उपचुनाव में हार का कारण भाजपा की गुटबाजी को माना जा रहा है. प्रदेश भाजपाओं की खींचतान के चलते आने वाले चुनावों में नुकसान ना हो इसके लिए प्रभारी अरुण सिंह को भेजा गया है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी में अलग-अलग धड़ों के नेताओं को जोड़कर एकजुटता के साथ काम करने के लिए मोटिवेट किया जा रहा है. साथ ही विधानसभा उपचुनाव में दो सीटों पर हुई हार के कारण भी वरिष्ठ नेताओं की नजर से जानने की कोशिश प्रभारी अरूण सिंह ने की है.

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