राज्यसभा जाएंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया! मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर अप्रैल में होगा घमासान

एक-एक सीट कांग्रेस-बीजेपी के पाले में जाना तय, लेकिन तीसरी सीट होगी टर्निंग पॉइंट क्योंकि इस सीट पर जीत-हार का अंतर बराबर

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर अप्रैल में चुनाव होने जा रहा है. प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के संख्या बल के हिसाब से एक-एक सीट दोनों पार्टियों के खाते में जाती दिख रही है, लेकिन तीसरी सीट पर मुकाबला घमासान होना तय है. दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 231 है. दोनों पार्टियों के पास मौजूद विधायकों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है. कांग्रेस के पास 115 तो बीजेपी के पास 108 विधायक हैं. यहां कमलनाथ की कांग्रेस सरकार बसपा के दो विधायकों की बैसाखी पर टिकी है. राज्य में एक सीट जीतने के लिए 58 वोटों की जरूरत होगी. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों आसानी से एक एक सीट अपने पाले में डाल लेंगे लेकिन तीसरी सीट पर फैसला निर्णायक होगा. बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को राज्यसभा भेजकर उनकी नाराजगी को दूर करने का मन बनाया है.

वैसे तो कांग्रेस के पास बीजेपी से विधायक ज्यादा हैं लेकिन किसी भी हाल में मुकाबला टक्कर का रहेगा और किसी भी सूरत में बीजेपी तीसरी सीट पर कांग्रेस को वाकओवर नहीं देने वाली. कांग्रेस को सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है लेकिन इसके बावजूद वो जरूरी संख्या को पार नहीं कर पा रही और न ही बीजेपी.

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अप्रैल माह में कांग्रेस के सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ बीजेपी के सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा रिटायर हो रहे हैं. कांग्रेस की ओर से दिग्गी राजा को फिर से राज्यसभा भेजा जाना पक्का है और वे आसानी से बहुमत हासिल भी कर लेंगे. लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर यही आ रही है कि कांग्रेस दूसरी सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने का दावेदार बना मैदान में खड़ा करेगी. मुख्यमंत्री कमलनाथ की भी इस बारे में मौन स्वीकृति है. लोकसभा चुनाव हार चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हर हाल में अपने आपको राज्यसभा में देखना चाहते हैं. लेकिन उनकी राह इतनी आसान नहीं होगी क्योंकि एक एक सीट जीतने के लिए कांग्रेस के पास कुल 56 विधायकों का समर्थन शेष रहेगा यानि बहुमत से दो वोट कम.

वहीं बीजेपी के पास बचेंगे 50 वोट. ऐसे में पूरा दारोमदार बसपा (2), सपा (1), निर्दलीय (4) और एक नोमिटेड विधायकों के हाथों में रहेगा.

वैसे देखा जाए तो कांग्रेस के पास बसपा और सपा का समर्थन है, ऐसे में आसानी से ये सीट कांग्रेस के खाते में है लेकिन हालिया दिनों में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती जिस तरह कांग्रेस के नेताओं और आलाकमान पर तीखे वार कर रही है, उसके बाद कुछ भी कह पाना थोड़ा कठिन है.

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निर्दलीय विधायकों पर काफी कुछ निर्भर करता है. देखना ये भी दिलचस्प होगा कि पार्टी दोनों ठाकुर नेताओं को मध्य प्रदेश से ही टिकट देती है या सुरक्षित सीट से दिग्गी राजा को राज्यसभा भेज नाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को राजस्थान या फिर और कहीं से राज्यसभा भेजने पर विचार करेगी.

वहीं, तीसरी सीट को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी को 8 वोटों की जरूरत है जो थोड़ा मुश्किल तो है लेकिन नामूमकिन नहीं. अगर भाजपा कुछ तोड़फोड़ करती है या क्रॉस वोटिंग कराने का प्रयास करें तो मामला उलझ सकता है. देखना ये भी रोचक होगा कि बीजेपी सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा में से ही किसी को रिपीट करती है या किसी नए नेता को उम्मीदवार बनाती है.

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