सियासी चर्चा: सपा के लिए घाटे का सौदा तो नहीं मसूद की एंट्री! BJP के लिए ध्रुवीकरण करना होगा आसान

यूपी की सियासत में जोरों पर है दल बदल की राजनीति, कांग्रेसी दिग्गज मसूद की हुई सपा में एंट्री, मसूद 2014 में पीएम मोदी के टुकड़े- टुकड़े करने की कह चुके हैं बात, सियासी चर्चा- 'अब सपा में जाने से भाजपा के लिए ध्रुवीकरण होगा आसान! सपा को उठाना पड़ सकता है नुकसान, कांग्रेस के खाते के वोट भी कटेंगे!'

सपा के लिए घाटे का सौदा तो नहीं मसूद की एंट्री!
सपा के लिए घाटे का सौदा तो नहीं मसूद की एंट्री!

Politalks.News/UttarpradeshChunav. उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव (UttarPradesh Assembly Election) से पहले लगभग सभी पार्टियों के दिग्गजों में दल बदलने की होड़ मची हुई है. इसी कड़ी में बुधवार को पश्चिम यूपी में कांग्रेस (Congress) पार्टी को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के कद्दावर नेता इमरान मसूद (Imaran Masood) ने कांग्रेस छोड़ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) जॉइन कर ली है. सहारनपुर देहात से विधायक मसूद अख्तर ने सपा (SP) में शामिल होने की वजह बताते हुए कहा कि, ‘हमने (कांग्रेस) समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की मांग की, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. सपा और भाजपा (BJP) के बीच सीधी लड़ाई है, इसलिए मैंने समाजवादी पार्टी में शामिल होने का फैसला किया है. अब जो भी अखिलेश कहेंगे वो हम करेंगे‘.

सपा को फायदा होगा या नुकसान!
इमरान मसूद के पार्टी बदलने के साथ ही सियासी गलियारों में इस बात को लेकर जबरदस्त चर्चा है कि मसूद के सपा में आने से पार्टी को फायदा होगा या नुकसान? कहा जा रहा है कि मसूद के सपा में जाने भाजपा की ध्रुवीकरण (Polarize) की राजनीति सफल होने की पूरी संभावना है. इमरान मसूद का राजनीतिक इतिहास भाजपा के लिए ध्रुवीकरण का बड़ा हथियार बन सकता है. जिसका नुकसान प्रदेश में सपा को तो उठाना पड़ेगा ही साथ ही कांग्रेस को भी उठाना पड़ सकता है.

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कौन हैं इमरान मसूद?
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इमरान मसूद मजबूत नेता हैं पिछले करीब 6 माह से दावा किया जा रहा था कि मसूद पाला बदल सकते हैं. इस बात की जानकारी कांग्रेस पार्टी को भी थी, इसलिए ही उन्हें पार्टी ने दिल्ली कांग्रेस का प्रभारी बना दिया था. इमरान का सहारनपुर व आसपास के इलाकों में अच्छा असर है. लेकिन चुनाव वे सिर्फ एक ही बार जीते हैं, जब 2007 में विधानसभा का चुनाव निर्दलीय लड़े थे. उसके बाद 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव और 2019 की लोकसभा चुनाव वे कांग्रेस पार्टी की टिकट से लड़ कर हार चुके हैं.

जो अखिलेश का आदेश होगा वो करेंगे- मसूद
आपको बता दें, यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी इमरान मसूद अपने राजनीतिक जीवन में एक बार समाजवादी पार्टी में गए थे लेकिन फिर कुछ समय बाद कांग्रेस में लौट गए थे. अब एक बार फिर मसूद समाजवादी पार्टी में आ गए हैं, तो जाहिर है कि विधानसभा का चुनाव भी लड़ेंगे. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने के बाद इमरान मसूद ने कहा कि, ‘मैं टिकट मांगने नहीं आया हूं, जो भी अखिलेश जी कहेंगे वो मैं करूंगा‘.

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सियासी चर्चा- भाजपा का ध्रुवीकरण कराने का प्रयास कामयाब होने की संभावना
सियासी गलियारों में चर्चा है कि ऐसा नहीं लग रहा है कि मसूद का समाजवादी पार्टी में जाना सपा के लिए बहुत फायदेमंद होगा, उलटे उनका नुकसान हो सकता है. यूपी की सियासत को जानने वालों का कहना है कि, इमरान मसूद की शख्सियत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने वाली है. आपको बता दें, इमरान मसूद ने पीएम नरेंद्र मोदी को टुकड़े टुकड़े करने का बयान दिया था और इस बयान को भाजपा ने 2014 के चुनाव में जमकर भुनाया था. हालांकि बाद में वे इस पर सफाई देते रहे पर उससे बात नहीं बनी.

सियासी जानकारों का मानना है कि मसूद अगर कांग्रेस में रहते तो हिंदू मतदाताओं में यह मैसेज बनता कि सपा और कांग्रेस आपस में ही लड़ रहे हैं. इससे भाजपा या नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को हरवाने के लिए मुस्लिम वोट के जी-जान से जुटे होने का मैसेज नहीं बनता. लेकिन अब यह मैसेज होगा कि इतने बरस कांग्रेस में रहने के बाद इमरान मसूद सपा में लौटे हैं तो इसका मतलब यह है मोदी-योगी को हराने के लिए मुसलमान एकजुट हो रहे हैं. यह मैसेज अपने आप हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण कराएगा. इसका नुकसान सपा को तो होगा ही कांग्रेस को भी उठाना पड़ सकता है और भाजपा का ध्रुवीकरण कराने का प्रयास कामयाब होने की संभावना बढ़ जाएगी.

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