लोकसभा चुनाव के परिणाम में मिली करारी हार के बाद से बिहार में आरजेडी के नेता और कार्यकारी मुखिया तेजस्वी यादव ने राजनीति से दूरी बना रखी है. हाल में राबड़ी देवी के नेतृत्व में हुए सदस्यता अभियान में भी न तो तेजस्वी और न ही तेजप्रताप ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. राजनीति से लोकसभा की कार्यवाही में भी वे मि.इंडिया ही रहे. पार्टी के वरिष्ठ नेता तक उनकी इस गैर जिम्मेदाराना हरकत से नाराज थे.

अगर तेजस्वी यादव की कहीं उपस्थिति दिख रही थी तो केवल सोशल मीडिया पर. यही वजह रही कि बिहार में महागठबंधन छल्ली हो चुका है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी खुश हो रहे हों, लेकिन एकाएक तेजस्वी और उनके भाई तेजप्रताप यादव ने न केवल एक मंच पर आकर लोगों के हितों का बचाव किया बल्कि धरने पर बैठ राजनीति में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराते दिखे.

दरअसल बुधवार को नीतीश कुमार सरकार के आदेशानुसार, प्रदेश की राजधानी पटना जंक्शन पर दूध मार्केट की जमीन को खाली कराया गया है. जिला प्रशासन की टीम ने पिछले कई दिनों से चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत पटना जंक्शन के मुख्य द्वार के समीप स्थित दूध मंडी को ध्वस्त कर दिया. प्रशासन का कहना है कि दूध मंडी सरकारी जमीन पर चल रही थी. इस मार्केट को तेजस्वी-तेजप्रताप के पिता लालू प्रसाद यादव ने बसाया था. बस फिर क्या था, तेजस्वी बुधवार शाम 7 बजे अपने करीबियों के साथ दूध मार्केट पहुंच गए और नीतीश कुमार सरकार पर एक साजिश के तहत गरीबों के रोजगार छीनने व गरीबों के पेट पर लात मारने के आरोप लगाने के साथ धरने पर बैठ गए.

थोड़ी देर में तेज बारिश शुरू हो गयी लेकिन तेजस्वी अपने करीबियों के साथ वहीं डटे रहे. सूचना मिलने पर उनके बड़े भाई तेजप्रताप भी घटनास्थल पर पहुंच गए और तेजस्वी का साथ देते हुए धरने पर बैठ गए. जैसे जैसे समय गुजरता गया बारिश तेज होती गयी लेकिन समर्थकों की तादात धरना स्थल पर जुटने लगी. थोड़ी देर में पार्टी विधायक भोला यादव सहित कई एमएलए वहां पहुंच गए और धरने में तेजस्वी का साथ देने लगे.

कमाल की बात तो तब हुई जब महागठबंधन के नेता और वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी भी धरना स्थल पर पहुंच गए. तेजस्वी को पता था कि लंबे समय से गायब उनकी आवाज को नीतीश कुमार के कानों में पहुंचानी है तो धमाका तेज करना होगा. इसलिए धरना प्रदर्शन को देर तक जमाए रखने के लिए बरसते पानी में टोलियां बुला भजन कीर्तन तक शुरू हो गया.

तेजस्वी ने बिहार सरकार पर सैंकड़ों परिवारों को बेरोजगार करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘राज्य सरकार ने गरीबों के मुंह से निवाला छीना है. दूध मार्केट तोड़े जाने से सैंकड़ों परिवारों का रोजगार छिन गया. बिना किसी जानकारी के सरकार ने दूध मार्केट को तोड़कर लोगों को सड़क पर ला दिया.’ तेजस्वी ने सीधे मुख्यमंत्री पर आरोप जड़ते हुए कहा कि इस मार्केट को उनके पिता ने बनवाया था, जिसे नीतीश कुमार की सरकार ने बगैर किसी की अनुमति के ढहा दिया.

पटना की दूध मंडी में चल रहा ये हाई वोल्टेज ड्रामा गुरुवार को सुबह तीन बजे तक चलता रहा जो प्रशासन के आश्वासन के बाद जाकर खत्म हुआ. जिला प्रशासन ने लिखित में आश्वासन दिया है कि दूध मार्केट को 1.5 किलोमीटर में स्थांतरण कर जगह दी जाएगी. पुष्टि करते हुए विधायक विजय प्रकाश ने बताया कि लालू यादव के द्वारा दूध उत्पादकों को दिया गया सेंटर को अनियमितता के कारण तोड़ा गया लेकिन उन्हें इसके लिए ढ़ेर किलोमीटर के अंदर समय सीमा के साथ दूसरी जगह दी जाएगी. आदेश की कॉपी को तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीटर हैंडल पर पोस्ट भी किया है.


तेजस्वी का एकाएक इस तरह सार्वजनिक आकर धरना प्रदर्शन करना, दोनों भाईयों की एक साथ एक मंच पर उपस्थिति होना, नाराजगी के बाद महागठबंधन के मुकेश साहनी का साथ में आना कई बातें हैं जो इस एक घटनाक्रम में घटित हो गयी. अब तेजस्वी ने ये राजनीति में वापस सक्रियता दिखाने के लिए किया या फिर अपने पिता लालू प्रसाद यादव की पितृभक्ति के वशीभूत होकर, ये तो पता नहीं लेकिन तेजस्वी के इस कदम से नीतीश कुमार के कान खड़े जरूर हो गए होंगे. हालांकि तेजप्रताप का राजनीति में वो कद नहीं है जो होना चाहिए लेकिन फिर भी दोनों भाईयों का एक मंच पर एक साथ खड़े होकर संघर्ष करना महागठबंधन को फिर से एकजूट करने में कारगर हो सकता है. घटना स्थल पर मुकेश सहनी का पहुंचना और साथ देना इस बात की पुष्टि नहीं करता लेकिन संकेत तो दे ही रहा है.

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