राजस्थान में बसपा के सभी छः विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से गहलोत मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल की अटकलों पर विराम लग गया है. शुक्रवार को प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने साफ किया है कि फिलहाल निकाय चुनाव से पहले कोई विस्तार नहीं होगा. निकाय चुनाव में मंत्रियों और विधायकों की परफॉर्मेंस के आधार पर ही उन्हें पदोन्नत या पदमुक्त किया जाएगा. वहीं निकाय चुनाव से पहले अगले एक माह में राजनीतिक नियुक्तियां कर दी जाएंगी. पाण्डे ने बताया कि प्रदेश में ब्लॉक स्तर तक एक लाख से ज्यादा पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्ति देकर सत्ता में भागीदार बनाया जाएगा.

बसपा छोड़ कांग्रेस में आये विधायकों को राजनीतिक नियुक्ति में शामिल करने या उन्हें मंत्री बनाए जाने पर अविनाश पांडे ने कहा कि वे बिना शर्त पार्टी में शामिल हुए हैं. अगर सरकार को जरूरत होगी, तो उन्हें भूमिका दी जा सकती है. यह मुख्यमंत्रीजी का विशेषाधिकार है. पांडे ने यह भी साफ कहा कि बसपा विधायकों को पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की सहमति के बाद ही शामिल किया गया है.

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जानकारों की मानें तो पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले निर्देश के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट द्वारा सत्ता और संगठन में तालमेल बिठाने की कोशिश की जा रही है. इसी के चलते अब सत्ता और संगठन प्रदेश में बड़े स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियां देने की तैयारी में जुट गए हैं. जिसके तहत प्रदेश के सभी जिलों से प्रभारी मंत्री और संगठन प्रभारी द्वारा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों से चर्चा कर नाम लिए जाएंगे. यह प्रक्रिया आगामी 15 अक्टूबर तक पूरी की जा सकेगी. इसके बाद इन नामों की सूचियों को मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रभारी अविनाश पाण्डे अंतिम रूप देंगे और उसके बाद दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की फाइनल मुहर के बाद राजनीतिक नियुक्तियां कर दी जाएंगी.

सूत्रों की मानें तो यह फैसला गुरुवार को पीसीसी में निकाय चुनावों को लेकर हुई बैठक के बाद उसी दिन रात को मुख्यमंत्री आवास पर हुई सीएम अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की बैठक में लिया गया है. यह भी बताया जा रहा है कि आलाकमान के निर्देश के बाद अब इन तीनों की समन्वय समिति सत्ता और संगठन के बड़े फैसलों में शामिल होगी.

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