बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकने के लिए पत्र लिखेंगे किसान, तोमर से मिले किसानों ने किया समर्थन

किसान संघर्ष समिति और भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने किया कृषि कानूनों का समर्थन, पीएम मोदी को दिया धन्यवाद, इधर आंदोलनकारी किसानों ने 26 जनवरी को आ रहे बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकने के लिए पत्र लिखने का किया फैसला

कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का 27वां दिन
कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का 27वां दिन

Politalks.News/Delhi/KisanAndolan/Farmers Protest. नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 27वें दिन भी जारी रहा. किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है, तो वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है. इसी बीच किसानों ने अपनी रणनीति बदलते हुए 26 जनवरी को आ रहे बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकने के लिए पत्र लिखने का फैसला किया है. उधर कुछ किसान संगठनों ने आज कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात कर कृषि कानूनों को सही बताया है.

नए कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके किसान अब केंद्र सरकार पर चौतरफा दबाव बनाने की रणनीति बना रहे हैं. इसके लिए दिल्ली-हरियाणा को जोड़ने वाले सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों का नेतृत्व कर रहे किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने मंगलवार शाम कहा कि आज पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई और उसमें यह फैसला लिया गया है कि केंद्र सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर कल की बैठक में फैसला लिया जाएगा. संधू ने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 26 जनवरी को भारत आने वाले हैं. हम ब्रिटिश सांसदों को लिख रहे हैं कि वे ब्रिटेन के पीएम को भारत आने से तब तक के लिए रोक दें, जब तक कि किसानों की मांगें भारत सरकार से पूरी नहीं हो जातीं.

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हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा किसान संगठन नेताओं के पास रविवार देर रात भेजे गए वार्ता के प्रस्ताव पर संयुक्त मोर्चा की होने वाली आगामी बैठक में फैसला होगा. 32 किसान संगठनों के अधिकांश नेता केंद्र सरकार के उक्त प्रस्ताव को रस्मी मान रहे हैं, लेकिन सरकार के साथ बातचीत करनी है अथवा नहीं, इसका फैसला संयुक्त मोर्चा के नेता सामूहिक रूप से लेंगे.

वहीं भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने रविवार को पत्र किसान संगठनों के पास भेजा है, उसमें कुछ भी नया नहीं है. सरकार की ओर से ठोस समाधान का प्रस्ताव आता है तो किसान हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं. लेकिन इस बार भी तीनों कृषि कानूनो के संशोधन पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है, इस पत्र में कुछ भी नया नहीं है.

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वहीं दूसरी तरफ आज किसान संघर्ष समिति और भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ बैठक की. बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि यूपी से कुछ किसान नेता कृषि कानूनों को अपना समर्थन देने के लिए आज मुझसे मिले. उनका कहना है कि तीन कानूनों में कोई संशोधन नहीं किया जाना चाहिए. तोमर ने कहा कि किसान संघर्ष समिति, गौतम बुद्ध नगर, यूपी और भारतीय किसान यूनियन, नई दिल्ली के प्रतिनिधियों ने नए कृषि कानूनों के पक्ष में ज्ञापन दिया. इन किसान नेताओं में पीएम को धन्यवाद दिया और कहा कि इन कानूनों से किसानों की स्थिति में सुधार होगा और उन्हें निरस्त नहीं किया जाना चाहिए.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि अनेक किसान यूनियन के पदाधिकारी आए और उनकी ये चिंता है कि सरकार बिलों में कोई संशोधन करने जा रही है. उन्होंने कहा है कि ये बिल किसानों की दृष्टि से बहुत कारगर हैं और किसानों के लिए फायदे में हैं और बिल में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के लिए किसानों को भेजी गई चिट्ठी पर कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि मुझे आशा है कि जल्दी उनका विचार-विमर्श पूरा होगा, वो चर्चा करेंगे और हम समाधान निकालने में सफल होंगे.

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वहीं कृषि मंत्री के साथ बैठक के बाद इंडियन किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी राम कुमार वालिया ने कहा कि कानून ठीक हैं, लेकिन जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं उनको दूर करने की जरूरत है. 90% किसानों ने कानून नहीं पढ़ा है. मेरा प्रदर्शनकारियों से आग्रह है कि आंदोलन में राजनीति हावी न होने दें.

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