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भारत में चुनाव आयोग की स्थापना स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए गया था. भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को हुई थी. चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह सभी पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए समान मैदान उपलब्ध कराये. हालांकि चुनाव आयोग पर समय-समय पर सत्ता पक्ष की पैरवी करने के आरोप लगते रहे है. इस बार भी विभिन्न दलों ने चुनाव आयोग पर सत्ता के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है.

चुनावी प्रकिया में देरी
2014 के चुनाव की प्रकिया की घोषणा चुनाव आयोग ने 5 मार्च को की थी लेकिन इस बार चुनाव की घोषणा करने में चुनाव आयोग ने देरी की. इसको लेकर आयोग पर आरोप लगे कि सरकार को प्रचार और सरकारी कार्यक्रमों के लिए आयोग ने चुनाव की घोषणा में देरी की. चुनाव को सात चरणों में कराने के मामले में भी आयोग की आलोचना की गई. इसका कारण यह है कि तमिलनाड़ु जैसे बड़े राज्य में तो चुनाव को सिर्फ एक ही चरण में कराया जायेगा बल्कि पश्चिम बंगाल के चुनाव 7 चरणों में कराये जायेंगे.

सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग
झारखंड़ व पश्चिम बंगाल के मामले में भी आयोग पर पक्षपात के आरोप लग रहे है. पश्चिम बंगाल में भाजपा की शिकायत के बाद कोलकत्ता के पुलिस कमिश्नर को हटाकर उनके स्थान पर राजेश कुमार को लगाया. वहीं झारखंड़ में विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद सुधीर त्रिपाठी राज्य के मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत रहे. बाद में भारी विरोध होने पर उन्हें पद से हटाया गया. झारखंड़ के डीजीपी डी.के. पांडेय के मामले में भी चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है. डीजीपी कई बार खुले मंचो से भाजपा की तारीफ कर चुके है लेकिन चुनाव आयोग ने उनको हटाने का फैसला स्वतः नही लिया, बल्कि शिकायत के बाद आयोग पांडेय को हटाने पर विचार कर रही है.

सरकारी संस्थाओं का गलत इस्तेमाल
चुनाव की घोषणा से पूर्व तो विपक्ष सरकार पर आरोप लग रहा था कि सरकार ईडी, सीबीआई आदि राष्ट्रीय एजेंसियों का विपक्ष के नेताओं के खिलाफ गलत इस्तेमाल कर रही है. चुनाव के ऐलान के बाद विपक्षी नेताओं व उन से जुड़े लोगों पर हो रही छापेमारी से आयोग पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लग रहा है. पहले कर्नाटक की जेडीएस- कांग्रेस सरकार के अफसरों, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी और अन्य अफसरों पर और टीडीपी सांसद जयदेव गाला पर हुई छापेमारी के बाद यह आरोप लगे कि सभी छापेमारी की कार्यवाही विपक्ष के नेताओं पर ही क्यों की जा रही है. क्या चुनाव में काले धन का इस्तेमाल सिर्फ विपक्षी पार्टियां ही कर रही है.

आवश्यक योजनाओं पर रोक
ओडिशा में नवीन पटनायक ने आरोप लगाया कि आयोग हमारे साथ भेदभावपूर्ण रवैये से बरताव कर रहा है. ओडिशा मे आयोग ने पटनायक सरकार की तरफ से किसानों के लिए दिसंबर में शुरु की गई कलिय़ा स्कीम पर रोक लगाई है. इस स्कीम में लघु एवं भूमिहीन किसानों के लिए इंश्योरेंस के साथ वित्तीय, आजिविका, कृषि समर्थन देने की योजना है. भाजपा ने इस पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसके बाद आयोग ने ये निर्णय लिया. पटनायक ने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर कार्य कर रहा है.

चुनाव प्रचार में सेना और धार्मिक मुद्दों का इस्तेमाल
चुनाव आयोग सेना के चुनाव में इस्तेमाल को लेकर आदेश जारी कर चुका है. इसमें कहा गया है कि सशस्त्र बल देश की सुरक्षा और राजनीतिक प्रणाली के रखवाले है. आधुनिक लोकतंत्र में वे गैर राजनीतिक और निष्पक्ष होते है. राजनीतिक दल और राजनेता अपने प्रचार में सशस्त्र बलों का कोई भी उल्लेख करते वक्त एहतियात बरतें. प्रधानमंत्री मोदी ने बालाकोट में भारतीय सेना की तरफ से की गई एयर स्ट्राइक को लेकर सरकार के लिए वोट मांगे. महाराष्ट्र के लातूर में उन्होंने बालाकोट में एयर स्ट्राइक और पुलवामा में शहीद हुए जवानों के नाम पर वोट करने की अपील की जिसको लेकर विपक्षी दलों ने मोदी की शिकायत चुनाव आयोग से की. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब गठबंधन के नेताओं को अली पर विश्वास है और वह अली-अली कर रहे हैं, तो हम भी बजरंगबली के अनुयायी हैं और हमें बजरंगबली पर विश्वास है. यह बयान देते हुए योगी ने धार्मिक आधार पर वोट मांगने का प्रयास किया जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है. इससे पहले भी उन्होंने भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ के नाम से संबोधित किया था. नियमों के अनुसार जाति, धर्म, और क्षेत्र के आधार पर प्रत्याशी चुनाव में वोट नही मांग सकते है. बयान को लेकर विभिन्न दलों ने मोदी और योगी पर कारवाई की मांग की है.

नमो टीवी पर रोक की मांग
विपक्ष ने चुनाव आयोग से शिकायत की नमो टीवी के नाम से एयर फ्री चैनल के माध्यम से भी भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का महिमा मंड़न कर चुनावी लाभ लिया जा रहा है. आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत ब्रांडिग करने एवं भाजपा को चुनावी लाभ दिलाने की मंशा से इस चैनल को प्रसारित किया जा रहा है. विपक्षी नेताओं ने यहां तक तर्क दिए कि फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन 1984 में इलाहाबाद संसदीय सीट के चुनाव लड़ने पर उनकी फिल्मों का प्रसारण रोक दिया था. इस मामले में भी वैसी ही कारवाई की जाए. वहीं प्रधानमंत्री के ‘मैं भी चौकीदार’ कार्यक्रम का प्रसारण दुरदर्शन पर होने की शिकायत भी कांग्रस ने चुनाव आयोग से की थी. कांग्रेस ने कहा था कि भाजपा के कार्यक्रम के लिए दुरदर्शन का इस्तेमाल आचार संहिता का उल्लंघन है. हालांकि चुनाव आयोग ने 11 अप्रेल को रिलीज होने वाली प्रधानमंत्री मोदी के जीवन पर आधारित बायोपिक पर रोक लगाई है.

चुनाव आयोग के तेजतर्रार अफसर
भारत में चुनावों को लेकर चुनाव आयोग ने निर्विवाद रुप से बेहतरीन काम करके दिखाया है. भारत में 1952 में हुए चुनावों को लेकर विश्व में यह राय थी कि भारत इस प्रकिया में विफल हो जायेगा. लेकिन भारत के प्रथम चुनाव आयुक्त सूर्यकुमार सैन और तमाम चुनाव आयोग के सदस्यों ने बेहतरीन काम करके दिखाया. सैन ने बगैर किसी के दबाव में आए कार्य किया. नेहरु चाहते थे कि चुनाव 1951 में संपन्न किए जाए लेकिन सैन ने 1952 में चुनाव को निष्पक्ष कराया. भारत के 10वें चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का खौफ अफसरों और नेताओं में साफ दिखाई देता था. नेता-अफसर एक—दूसरे से मिलने में डरा करते थे.

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