‘या तो राम मंदिर पर साध लो चुप्पी या फिर जाओ पाकिस्तान’

ओवैसी की 'राजनीति' पर भारी पड़ी 'रामनीति', ओवैसी ने कहा- मोदी भावुक हैं तो मैं भी इमोशनल हूं, शिया वक्फ बोर्ड ने दी ओवैसी को नसीयत, बोले- पाकिस्तान और अफगानिस्तान में है ओवैसी की जरूरत

Syed Waseem Rizvi Vs Asaduddin Owaisi On Ram Mandir
Syed Waseem Rizvi Vs Asaduddin Owaisi On Ram Mandir

पॉलिटॉक्स न्यूज. एआईएमआईएम (AIMIM) पार्टी के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की राजनीति पर लगता है पीएम मोदी की ‘रामनीति‘ भारी पड़ रही है. अयोध्या राम मंदिर के बाद ओवैसी के बयान देने पर मुस्लिम समुदाय में भी रोष है. ओवैसी ने मंदिर के भूमि पूजन पर कहा था ‘बाबरी मस्जिद थी है और रहेगी…इंशाअल्लाह’. इसके बाद उन्होंने कहा कि मंदिर की आधारशिला रखते हुए पीएम मोदी जितने भावुक थे, उतना ही मैं भी इमोशनल हूं क्योंकि वहां 450 सालों से बाबरी मस्जिद थी. उन्होंने कहा कि मैं नागरिकता के सह अस्तित्व और बराबरी में यकीन रखता हूं. ओवैसी के बयान पर शिया वक्फ बोर्ड ने आपत्ति जताई है. वक्फ बोर्ड ने ओवैसी को नसीयत देते हुए कहा कि अगर उन्हें कोई परेशानी है तो वे पाकिस्तान चले जाएं, साथ ही भड़काउ राजनीति न करने को कहा.

शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी ने ओवैसी के बयानों पर जवाब देते हुए कहा कि अगर ओवैसी को कोई परेशानी है तो वह पाकिस्तान चले जाएं लेकिन देश के मुसलमानों को शांति से रहने दें. रिजवी ने ओवैसी को धर्म आधारित राजनीति बंद कर देने की भी सलाह दी है. उन्होंने कहा कि या तो राम मंदिर पर साध लो चुप्पी, या फिर जाओ पाकिस्तान. रिजवी ने कहा कि अगर ओवैसी को कोई परेशानी है तो वे बेशक पाकिस्तान चले जाएं लेकिन देश के मुसलमानों को शांति से रहने दें.

इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने भूमि पूजन कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था. ओवैसी ने कहा था कि पीएम मोदी को कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए था क्योंकि वे एक देश के प्रधानमंत्री हैं, किसी मजहब के नहीं. मोदी ने 5 अगस्त और 15 अगस्त को मिला दिया, साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों की तौहीन की है.

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इस पर वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिज़वी ने ओवैसी को जवाब देते हुए कहा कि ओवैसी को धर्म आधारित राजनीति बंद कर देनी चाहिए. रिजवी ने आगे कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों के प्रमुख मारे गए हैं. इन देशों को ओवैसी जैसे लोगों की सख्त जरूरत है. रिज़वी ने ओवैसी को टार्गेट करते हुए कहा कि आप वहां चले जाइए लेकिन यहां के मुस्लिमों को शांति से रहने दीजिए.

वसीम रिज़वी ने हिंदूओं के पक्ष में बोलते हुए कहा, ‘मंदिरों को तोड़ने वाले तुम्हारे पूर्वज थे. जिनका हक तुमने छीना था, भारतीय संविधान ने उन्हें उनका हक दिला दिया. हम सब भारतीय संविधान के नियमों से बंधे हैं और उसी सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण की राह दिखाई है.’ रिज़वी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर भी निशाना साधा. मुस्लिम नेता ने कहा कि बोर्ड इस बात के इंतजार में है कि हिंदुस्तान में एक बार फिर वो बाबरी फौज बनाएगा, हिंदुस्तान में गृह युद्ध कराएगा और शीर्ष पर कब्जा जमा लेगा. रिज़वी ने कहा कि उन्होंने कहा कि दिल बहलाने के लिए मु्स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ख्याल अच्छा है लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह कैसे सोच लिया कि हिंदुस्तानी मुसलमान इनके मंसूबों में इनका साथ देगा. उन्हें पता नहीं है कि हिंदुस्तान का मुसलमान ऐसा होने नहीं देगा. उनके मंसूबे कामयाब नहीं होंगे.

दरअसल, 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या की उस जमीन पर रामलला के मंदिर की आधारशिला रखी, जहां पिछले 450 वर्षों से बाबरी मस्जिद की इमारत बनी हुई थी. इस इमारत को राम मंदिर को दफन करके उसके उपर बनाया गया था. 1991 में हिंदू संगठनों की दो हजार से अधिक की तादात ने इस इमारत को ‘जय श्री राम’ नारे के साथ तोड़ दिया. तब से ये मामला न्यायालय में चल रहा था. हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष इस 70 एकत्र की जमीन पर अपना अपना कब्जा बता रहे थे. 2019 में एक जनहित याचिका में इस मामले की रोजाना सुनवाई की अपील की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया.

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तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की 5 सदस्यीय बैंच ने करीब तीन महीने की सुनवाई के बाद 11 नवंबर को फैसला हिंदूओं के पक्ष में सुनाया. साथ ही यूपी सरकार को निर्देश दिए कि वो मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ भूमि मस्जिद बनाने के लिए दे. ओवैसी ने इस फैसले पर भी नाराजगी व्यक्त की थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कोई अन्य रास्ता नहीं बचा था. फैसले के अनुसार, राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट को केवल 2.5 एकड़ जमीन ही मिली थी, अन्य 67.5 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के पास थी. ट्रस्ट बनने के बाद पूरी जमीन श्री राम मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी गई.

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