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मध्य प्रदेश में संघ कार्यालय (RSS) भोपाल में अरेरा कॉलोनी में ‘समीधा’ के नाम से स्थित है. यहां सुरक्षा के लिए पिछले 10 सालों से सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे लेकिन सोमवार को सरकार ने अचानक से फैसला किया कि अब से संघ कार्यालय को सुरक्षा नहीं दी जाएगी. ऐसे में एसएएफ के 4 तैनात जवान वहां से हटा लिए गए. खबर के वायरल होने के बाद तेज होते हंगामे को देखते हुए कांग्रेस सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा.

इस मामले के बाद प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ने इसे सरकार की साजिश करार दिया. वहीं आरएसएस की तरफ से अधिकारिक तौर पर यह कहा गया कि संघ ने कभी सुरक्षा नहीं मांगी और सरकार सुरक्षा वापस लेती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रियाओं ने यहां का मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय के बीच की सारी परते खोलकर रख दी.

असल में दिग्गी ने न केवल संघ कार्यालय की सुरक्षा हटाने को गलत बताया बल्कि ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री कमलनाथ को आग्रह किया कि संघ कार्यालय की सुरक्षा को फिर से बहाल किया जाए. इसके बाद सरकार ने फौरन अपने फैसले पर यू टर्न लेते हुए संघ कार्यालय की सुरक्षा को फिर से बहाल कर दिया.

इस घटनाक्रम को भले ही कांग्रेस बनाम संघ की तरह देखा जा रहा हो लेकिन असल में यह प्रदेश कांग्रेस में शीत युद्ध का परिणाम है जो मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजयसिंह के बीच चल रहा है. इस जुबानी जंग की शुरुआत उस वक़्त हुई जब पब्लिक प्लेस पर दिग्विजयसिंह से सीएम कमलनाथ से फ़ोन पर बात की और लाउड स्पीकर ऑन करके उस बातचीत को सुनाया.

करीबी सूत्र कहते हैं कि इस घटना से कमलनाथ बहुत आहत हुए और उन्होंने दिग्विजय सिंह को सबक सिखाने का मन बनाया. यही वजह रही कि दिग्गी की मर्जी के खिलाफ उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को बाध्य किया.

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि भोपाल 3 दशकों से बीजेपी का गढ़ रहा है और दिग्विजय अपने लिए सुरक्षित राजगढ़ सीट से टिकट चाह रहे थे. इसके बाद भी दिग्गी ने इस चुनौती को स्वीकारा और अपनी हिन्दू विरोधी छवि बदलने की कोशिश करने लगे जिसके लिए उन्हें मंदिर-मंदिर भी जाना पड़ा. इतना ही उन्होंने हिन्दू होने की दुहाई देकर आरएसएस से भी समर्थन मांगा.

एकबारगी ऐसा लगने लगा कि भोपाल में दिग्गी के लिए हालात अनुकूल होने लगे हैं. तभी सरकार में नं.2 की हैसियत रखने वाले और कमलनाथ के विश्वस्त गृह मंत्री बाला बच्चन ने संघ कार्यालय की सुरक्षा हटाकर कांग्रेस और संघ में तलवारें फिर से खींच दीं.

राजनीति के दृष्टिकोण से देखें तो कांग्रेस सरकार के इस फैसले का सबसे अधिक नुकसान दिग्विजय सिंह की चुनावी संभावनाओं पर होता दिख रहा है. हालांकि दिग्गी के ट्वीट के बाद सरकार को यू टर्न लेना पड़ा लेकिन लग यही रहा है कि कमलनाथ बनाम दिग्विजय के इस कोल्ड वॉर में अभी कई और अध्याय आना बाकी हैं.

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