क्या डोटासरा के गले पड़ा RAS चयन विवाद?, अब बहू और रिश्तेदारों के OBC सर्टिफिकेट पर उठे सवाल!

डोटासरा के गले की हड्डी बना RAS चयन मसला, डोटासरा की बहू, उनके भाई और बहन के चयन के बाद अब OBC सर्टिफिकेट पर उठे सवाल, 6 लोगों RPSC को लिखा पत्र, प्रमाण पत्र की बताया गया 'फर्जी', अब RPSC के अगले कदम पर सभी की नजरें!

RAS इंटरव्यू के बाद अब OBC सर्टिफिकेट पर सवाल!
RAS इंटरव्यू के बाद अब OBC सर्टिफिकेट पर सवाल!

Politalks.News/Rajasthan. पीसीसी चीफ और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की पुत्रवधु, उनके  भाई-बहन को आरएएस साक्षात्कार में 80-80 अंक देने का विवाद थमता नहीं दिख रहा. इस मामले को लेकर डोटासरा बीजेपी के निशाने पर तो है ही वहीं सोशल मीडिया पर भी ट्रोल हो रहे हैं. इंटरव्यू के बाद अब भर्ती में उनके के ओबीसी सर्टिफिकेट से लाभ लेने पर सवाल खड़े हो रहे हैं. कुछ शिकायकर्ताओं ने आयोग को पत्र भेजकर सिविल लाइंस थाने में मामला दर्ज कराने की मांग की है. जयपुर के वकील गोवर्धन सिंह समेत 6 लोगों ने शिक्षा मंत्री डोटासरा के समधी जिला शिक्षा अधिकारी चूरू रमेश चन्द्र और उनकी तीन संतानों (डोटासरा की बहू, बहू के भाई-बहन) पर ओबीसी का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर उसके आधार पर आरएएस में चयनित होने का आरोप लगाया है. शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की पुत्रवधू प्रतिभा के भाई गौरव और बहन प्रभा पूनिया का आरएएस 2018 भर्ती में चयन हुआ है. दोनों को साक्षात्कार में 80-80 अंक मिले हैं. अब इनके ओबीसी सर्टिफिकेट से भर्ती में लाभ लेने पर सवाल खड़े हो गए हैं. इधर शिकायत के बाद RPSC के अगले कदम पर सभी की नजरें.

गोवर्धन सिंह सहित 6 लोगों ने लिखा है पत्र
एडवोकेट गोवर्धन सिंह, सहीराम गोदारा, गोपालसिंह, रविंद्र सिंह, गोपाल पूनियां, प्रमेश्वर पिलानिया और अन्य ने RPSC अध्यक्ष सहित सदस्यों के नाम पत्र जारी किया है. पत्र में लिखा गया है रमेशचंद्र पूनिया की जन्म तिथि 5 सितंबर 1961 है. वह 8 दिसंबर 1992 में जिला शिक्षा अधिकारी बने थे. यानि 32 साल 3 महीने उन्हें प्रमोशन मिला. ऐसे में उनकी संतान ओबीसी क्रीमीलेयर श्रेणी में आएगी. उन्हें ओबीसी कोटे का लाभ नहीं मिल सकता है.

OBC प्रमाण पत्र कूटरचित और मिथ्या दस्तावेजों के आधार पर बनाने का आरोप
शिकायत में कहा गया है कि पूनियां की बेटी प्रतिभा का ओबीसी कैटेगरी में आरएएस 2016 में चयन हुआ. इसकी जन्मतिथि 16 जुलाई 1990 है. इसी तरह गौरव पूनिया का मेरिट क्रमांक 167 है. इनका जन्म 4 अक्टूबर 1994 को हुआ. जबकि प्रभा पूनिया का जन्म 5 जनवरी 1999 को हुआ. इसका मेरिट क्रमांक 316 है. इनका भी ओबीसी कैटेगरी में चयन हुआ है. इन्होंने कूटचरित और मिथ्या दस्तावेजों के आधार पर ओबीसी का प्रमाण पत्र बनवाया. इनके खिलाफ सिविल लाइंस थाने पुलिस में एफआईआर दर्ज करानी चाहिए. साथ ही ये भी कहा गया है कि RPSC अगर मुकदमा नहीं दर्ज करवाती है तो चेयरमैन और सदस्यों के खिलाफ हम मुकदमा दर्ज करवाएंगे.

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डोटासरा के समधी रमेश चन्द्र पूनियां की ‘सफाई’
वहीं डोटासरा के समधी रमेश चन्द्र ने इन आरोपों को गलत ठहराते हुए ओबीसी प्रमाण पत्रों को नियमानुसार ही बताया है. रमेश चन्द्र पूनियां का कहना है कि- ‘नौकरी के शुरुआत में बेसिक पे 6500 थी. क्रीमिलेयर में प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आठ हजार रूपए बेसिक-पे निर्धारित थी. मैं 43 साल में प्रथम गे्रड का अधिकारी बना हूं. पहले की बेसिक-पे वाले सभी लोगों ने ओबीसी के प्रमाण पत्र बनाए है. साल 2019 में सरकार ने सर्कुलर जारी किया था. जो अब हैडमास्टर और व्याख्याता बने हैं, उनका पे-स्केल अलग बना हुआ है. मैं क्रीमिमिलेयर में कैसे आ सकता हूं. कार्मिक विभाग के नियमानुसार कैटेगरी सही भरी है.

क्रीमीलेयर और नॉन क्रीमीलेयर से जुड़ा है मामला 
दरअसल डोटासरा के समधी रमेश चन्द्र पूनियां जिला शिक्षा अधिकारी चूरू पर स्थापित होने से पहले 1983 में हैड मास्टर के पद पर जॉइनिंग ली थी. हैड मास्टर का पद प्रथम ग्रेड अधिकारी का होता है. पूनियां प्रथम ग्रेड अधिकारी होने की वजह से क्रीमीलेयर में हैं. ऐसे में उनकी संतानों का ओबीसी प्रमाण पत्र बनना संभव नहीं है. लेकिन उन्होने अपनी तीनों संतानों के प्रमाण पत्र ओबीसी में बनवाएं हैं. वहीं ओबीसी आरक्षण का लाभ भी उनकी संतानों ने आरएएस भर्ती परीक्षा में लिया है.

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गोविंद सिंह डोटासरा की भी आ चुकी है सफाई
डोटासरा ने कहा कि मैंने आरएसएस और निंबाराम को लेकर सवाल उठाए हैं, इसके चलते ऐसी बाते की जा रही है. उन्होने कहा कि वसुंधरा राजे के कार्यकाल में जो लोग सलेक्ट हुए उन पर सवाल उठाते हुए भाजपा के नेताओं को शर्म नहीं आ रही है.

RPSC अध्यक्ष भूपेन्द्र यादव का बयान
वर्ग विशेष के अभ्यर्थी उपखंड-जिला स्तर के सक्षम अधिकारी से जारी वांछित सर्टिफिकेट लगाते हैं. इसके आधार पर आयोग उन्हें पात्र मानता है. बाद में परीक्षा-साक्षात्कार में सफल अभ्यर्थियों के नाम आयोग कार्मिक और संबंधित विभाग को नियुक्ति के लिए भेजता है. वहां उसकी शैक्षिक योग्यता, जाति और अन्य प्रमाण पत्रों की गहन जांच होती है.

अगर OBC सर्टिफिकेट फर्जी हुआ तो कहता है नियम
ओबीसी की प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ईमित्र के माध्यम से तहसील में आवेदन करना होता है. आवेदन में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और दो सक्षम अधिकारियों के प्रमाण पत्र भी लगाए जाते हैं. अगर आवेदक के पिता कि आय नियमों के मुताबिक अधिक है या वह राजपत्रित अधिकारी है, ऐसे में आवेदक का ओबीसी प्रमाण पत्र खारिज हो जाता है. वहीं कानूनन यदि आवेदन के साथ अगर गलत दस्तावेज और भ्रामक जानकारी दी जाती है तो आवेदक के खिलाफ 402, 409,406,467,468,471, और120 बी आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज हो सकता है. बावजूद इसके भ्रामक जानकारी और गलत दस्तावेज के आधार पर कोई ओबीसी प्रमाण पत्र हासिल कर उससे नौकरी प्राप्त कर लेता है तो संबंधित संस्खा आवेदक के खिलाफ इन्हीं धाराओं में मुकदमा दर्ज करवा सकती है.

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RAS इंटरव्यू मामले में ACB के राडार पर है RPSC
2018 RAS इंटरव्यू के रिजल्ट से ठीक पहले आरपीएसपी रिश्वत कांड में आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर के पति भैंरूसिंह गुर्जर राडार पर हैं. आयोग का जूनियर अकाउंटेंट राजन सिंह गुर्जर और नरेन्द्र पोसवाल को एसीबी को एसीबी परिवादी के 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. एसीबी मामले की गहनता से जांच कर रही है.

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