कोरोना संकट के बीच बदली दिल्ली की ‘सरकार’, केजरीवाल के ‘पर’ कतर एलजी को बनाया ‘बॉस’

कोरोना से बदहाल दिल्ली में हुआ बड़ा परिवर्तन, दिल्ली के असली बॉस अब एलजी होंगे, केन्द्र सरकार ने जीएनटीसीडी एक्ट की अधिसूचना की जारी, बढ़ेगी केजरीवाल की टेंशन, हर बड़े फैसले से पहले खटखटाना पड़ेगा एलजी का दरवाजा

कोरोना संकट के बीच बदला 'दिल्ली का बॉस'
कोरोना संकट के बीच बदला 'दिल्ली का बॉस'

Politalks.News/Delhi. दिल्ली में अब सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा, दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) कानून, 2021 यानी जीएनसीटीडी एक्ट की अधिसूचना जारी कर दी गई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2021 को 27 अप्रैल से अधिसूचित किया जाता है. इसका मतलब साफ है कि अब उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना अरविंद केजरीवाल सरकार कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकेगी.

GNCTD Act 2021
GNCTD Act 2021

दिल्ली में सरकार मतलब ‘एलजी’
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई इस अधिसूचना में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में सरकार का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा, इसके साथ ही दिल्ली सरकार को किसी भी शासकीय कार्य से पहले उपराज्यपाल की सलाह लेनी पड़ेगी. लोकसभा में यह विधेयक 22 मार्च और राज्यसभा में 24 मार्च को पारित हुआ था.

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दिल्ली की जनता का अपमान-केजरीवाल
अब दिल्ली की केजरीवाल सरकार को उपराज्यपाल के पास विधायी प्रस्ताव कम से कम 15 दिन पहले और प्रशासनिक प्रस्ताव कम से कम 7 दिन पहले भेजने होंगे. इस कानून को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि यह कानून दिल्ली की जनता का अपमान है, इस कानून में यह लिखा है कि अब से दिल्ली सरकार का मतलब होगा एलजी. फिर हमारा क्या मतलब होगा, फिर जनता का क्या मतलब होगा. अगर दिल्ली सरकार का मतलब एलजी होगा, तो दिल्ली की जनता कहां जाएगी. दिल्ली की जनता की चलेगी या नहीं चलेगी, मुख्यमंत्री कहां जाएगा? फिर चुनाव क्यों कराए थे. वहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा ‘आज लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है’.

आप और कांग्रेस ने जताया विरोध
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली की जनता ने सरकार को वोट दिया है, ना कि उपराज्यपाल को. ऐसे में ये बिल दिल्ली की जनता के साथ धोखा है. आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस पार्टी ने भी अब केंद्र सरकार के बिल का विरोध किया है. कांग्रेस के मनीष तिवारी का कहना है कि अगर ये बिल पास होता है, तो दिल्ली सरकार सिर्फ उपराज्यपाल के दरबार में याचिकाकर्ता होगी.

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AAP दे रही सुप्रीम कोर्ट का हवाला
आम आदमी पार्टी का कहना है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने स्पष्ट तौर पर 2018 में फैसला दिया कि दिल्ली में सरकार का मतलब लोकतांत्रिक ढंग से, जनता के वोट से चुनी हुई एक सरकार होगी, जिसकी अगुआई दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे, एलजी नहीं. उस आदेश में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने कहा कि पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और जमीन इन तीन विषयों को छोड़कर सारे अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास होंगे.

केंद्र सरकार की दलील
केंद्र सरकार का कहना है कि इस संशोधन विधेयक का उद्देश्य उपराज्यपाल की शक्तियों को स्पष्ट करना है. वहीं केजरीवाल सरकार इस संशोधन विधेयक को दिल्ली की चुनी हुई सरकार के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध कर रही है. उसका कहना है कि विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद भाजपा अब उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली पर परोक्ष रूप से शासन करना चाहती है.

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