जेएनयू हिंसा में शामिल एबीवीपी और लेफ्ट संगठनों के छात्रों को गिरफ्तार करने के लिए किसके आदेश का इंतजार कर रही है दिल्ली पुलिस

प्रेस कांफ्रेस में एबीवीपी का नाम तक नहीं लिया दिल्ली पुलिस ने, जेएनयू कैंपस में जाने की परमिशन नहीं थी तो जामिया में किसकी परमिशन से घुसे पुलिस वाले, जो तत्परता पी. चिदम्बरम को गिरफ्तार करने में दिखाई थी क्या जेएनयू मामले में देखने को मिलेगी?

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. एक निजी राष्ट्रीय न्यूज चैनल के स्टिंग आॅपरेशन ने न सिर्फ बीजेपी समर्थित एबीवीपी (ABVP) बल्कि लेफ्ट के संगठनों की पोल भी खोल के रख दी है. यही नहीं स्टिंग ने जेएनयू में हुई हिंसा से जुडे मामले में दिल्ली पुलिस के चेहरे को भी उजागर कर दिया है. अब इस स्टिंग के बाद दिल्ली पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गई है. पिछले कुछ दिनों से राजनीति का अखाडा बना जेएनयू का मामला पुलिस की संदेहास्पद कार्रवाई के चलते फिर से सुर्खियों में है.

दरअसल दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके हिंसा में शामिल 9 लोगों की तस्वीरें जारी कीं, इनमें 7 छात्र लेफ्ट संगठनों से तो दो छात्र एबीवीपी (ABVP) से हैं. प्रेस कांफ्रेंस की खास बात यह रही कि दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने हिंसा में शामिल 7 छात्रों से जुडे चार लेफ्ट संगठनों का तो नाम लिया लेकिन एबीवीपी (ABVP) का नाम गायब कर दिया. एबीवीपी का नाम क्यों नहीं लिया यह तो दिल्ली पुलिस ही जाने, लेकिन इससे कांग्रेस का आरोप साबित हो गया है कि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रही है. गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस गृहमंत्री अमित शाह के मंत्रालय के अधीन काम करती है.

तथ्य बताते हैं कि जेएनयू में हुई हिंसा के पहले दिन से ही दिल्ली पुलिस की कार्रवाई संदिग्ध बनी रही. हिंसा शाम को करीब साढे सात बजे शुरू हुई, 15-20 नकाबपोश गुंडे लाठी सरिए लेकर जेएनयू पहुंचे और लेफ्ट से जुडे छात्रों पर हमला कर दिया. जर्बदस्ती जेएनयू कैंपस में घुसे छात्रों को रोकने में नाकाम रहने के बाद कैंपस गेट पर तैनात गार्ड ने इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी. ऐसा भी नहीं कि पुलिस नहीं आई, आई मगर ढाई घंटे तक किसी तमाशबीन की तरह कैंपस के बाहर खडी रही. इस दौरान कैंपस के अंदर हिंसा का तांडव चलता रहा.

कैंपस में घुसने के लिए परमिशन नहीं थी, इस बात का दावा करने वाली यह वही दिल्ली पुलिस है जिसने जामिया के कैंपस में बिना परमिशन के रात को घुसकर जमकर लाठियां चलाई थीं. उस दिन पुलिस इतना एग्रेसिव रोल निभा रही थी कि उसने छात्रों के साथ-साथ छात्राओं पर भी जमकर लाठियां भांजी.

याद दिला दें हमारे गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस की तत्परता उस समय भी देखते ही बनी थी जब देश के पूर्व वित्त मंत्री रहे पी. चिदम्बरंब की गिरफ्तारी के आदेश के चंद घण्टों के अंदर ही उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उनके घर की दीवार तक को फांद दिया गया, जैसे की पुलिस वाले किसी मोस्ट वांटेड आंतकी को हिरासत में लेने गई हो.

अब तक के पूरे घटनाक्रम पर नजर डाला जाए तो दिल्ली पुलिस का एबीवीपी और उस पर आशीर्वाद रखने वाली भाजपा का कनेक्शन साफ नजर आता है. जिस तरह भाजपा नेता जेएनयू कैंपस में हिंसा के लिए जिम्मेदार एबीवीपी के छात्रों के प्रति नरमी दिखा रहे हैं और जिस तरह का दिल्ली पुलिस रोल प्ले कर रही है, उससे साफ जाहिर होता है कि दाल में कुछ नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है. इतना सबकुछ क्लियर होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अब दिल्ली पुलिस किसके आदेश का इंतजार के रही है?

हिंसा को अपने आंखों के सामने देखने वाली दिल्ली पुलिस ने हिंसा में शामिल छा़त्रों को गिरफ्तार करने के लिए सबसे पहले एक जांच कमेटी बनाई. तीन चार दिन की जांच के बाद एक प्रेस कांफ्रेस करके हिंसा में शामिल 9 छा़त्रों के बारे में बताया, इन 9 छात्रों में 7 लेफ्ट संगठनों से जुडे बताए गए, वहीं दो एबीवीपी से जुडे बताए हैं, ये और बात रही कि पुलिए ने प्रेस कांन्फ्रेंस में एबीवीपी का नाम नहीं लिया. वहीं स्टिंग से कई तस्वीर साफ हुई हैं, इसमें एबीवीपी से जुडे एक छात्र ने कहा कि एबीवीपी के ही एक छात्र नेता ने फोन करके 15 से 20 लोगों को बाहर से कैंपस में बुलाया था, उसके बाद हिंसा का खुल्ला खेल चला.

स्टिंग में हिंसा करने वाले छात्र अपने आपको एबीवीपी का होने पर गर्व भी महसूस करते नजर आ रहे हैं. एक छात्र ने तो इस बात का भी खुलासा किया है कि दिल्ली पुलिस का एक डीएसपी भी इसमें शामिल था. डीएसपी ने एबीवीपी के छात्रों से कहा था कि लेफ्ट के लोगों को ठोको. वहीं स्टिंग में लेफ्ट से जुडी एक छात्रा ने कहा कि वह सर्वर रूम में हुई तोडफोड की घटना में शामिल थी.

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अब जब सारी तस्वीर साफ हो चुकी है तो दिल्ली पुलिस पर जेएनयू हिंसा में शामिल इन लोगों को गिरफ्तार करने का भारी दबाव है. जाहिर सी बात है कि लेफ्ट संगठनों से जुडे लोग गिरफ्तार होंगे तो एबीवीपी के लोगों को भी गिरफ्तार करना पडेगा, जो कि भाजपा नेता कभी नहीं चाहेंगे. आखिरकार एबीवीपी उनकी विचारधारा को यूथ में आगे बढाने में मुख्य भूमिका निभाती है.

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