Dattatreya Hosabale Latest News – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की ओर से दत्तात्रेय होसबोले को पिछले वर्ष मार्च में फिर से ‘सरकार्यवाह’ (महासचिव) पद के लिए चुन लिया गया है. संघ मुख्यालय नागपुर में आयोजित इस सभा में होसबोले को वर्ष 2024 से लेकर वर्ष 2027 तक की अवधि के लिए चुना गया है. संघ द्वारा आयोजित इस यह सभा ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ के नाम से भी जाना जाता है, जिनमें स्वयं संघ प्रमुख सहित कई बड़े अधिकारी भाग लेते है. आरएसएस में संघ प्रमुख के बाद सरकार्यवाह का ही स्थान होता है. इसलिए संघ में यह पद बहुत बड़ा माना जाता है और राष्ट्रीय स्तर पर इस पद का महत्व होता है. इस लेख में हम आपको दत्तात्रेय होसबोले की जीवनी (Dattatreya Hosabale Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
दत्तात्रेय होसबोले की जीवनी (Dattatreya Hosabale Biography in Hindi)
पूरा नाम | दत्तात्रेय होसबोले |
उम्र | 70 साल |
जन्म तारीख | 1 दिसंबर 1954 |
जन्म स्थान | कर्नाटक के शिमोगा जिले के होसबाले |
शिक्षा | एम्.ए |
कॉलेज | मैसूर विश्वविद्यालय |
वर्तमान पद | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सरकार्यवाह |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ |
राजनीतिक दल | – |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
पत्नी का नाम | – |
बच्चें | – |
बेटें का नाम | – |
बेटी का नाम | – |
स्थाई पता | – |
वर्तमान पता | – |
फोन नंबर | – |
ईमेल | – |
दत्तात्रेय होसबोले का जन्म और परिवार (Dattatreya Hosabale Birth & Family)
दत्तात्रेय होसबोले का जन्म 1 दिसंबर 1954 को कर्नाटक के शिमोगा जिले के होसबाले गांव में हुआ था
दत्तात्रेय होसबोले आरएसएस कार्यकर्ताओं के परिवार से है और वे इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी भी हैं. यह ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी नीति के तहत कार्य करता है और इसका उद्देश्य मानव कल्याण है.
दत्तात्रेय होसबोले की शिक्षा (Dattatreya Hosabale Education)
दत्तात्रेय होसबोले ने मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर किया (एम्.ए.) हैं.
दत्तात्रेय होसबोले का संघ (आरएसएस) से जुड़ाव
दत्तात्रेय होसबोले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में वर्ष 1968 में शामिल हो गए थे. इसी के बाद वे चार वर्ष बाद वर्ष 1972 में संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गए. बताया जाता है कि अपने नेतृत्व गुण के कारण वे जल्द ही बड़े पद पाने में सफल रहे. कई बड़े नेताओ की भांति दत्तात्रेय होसबोले को आपातकाल में जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी थी. उन्हें आपातकाल में कानून भंग करने के आरोप में आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) के तहत वर्ष 1995 में गिरफ्तार कर लिया गया. वे जेल में 1977 तक रहे. वे 16 महीने तक जेल में रहे. बाद में उन्हें छूटने पर वर्ष 1978 में एबीवीपी का महासचिव बना दिया गया. वे इस पद पर 15 तक रहे. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आज का भारतीय जनता पार्टी उस समय जनसंघ के नाम से जाना जाता था.
दत्तात्रेय होसबोले वर्ष 2003 में आरएसएस में पुनः लौट आएं और फिर इसी के बाद उन्हें वर्ष 2004 में आरएसएस का सह-बौद्धिक प्रमुख नियुक्त किया गया. बाद में उन्हें वर्ष 2009 में सह-सरकार्यवाह बनाया गया और इसी के बाद उन्होंने इस पद पर मोहन भागवत का स्थान ग्रहण किया.
फिर इसी के बाद दत्तात्रेय होसबोले को वर्ष 2021 में ‘सरकार्यवाह’ (महासचिव) चुन लिया गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में यह पद दूसरे स्थान पर आता है और संघ प्रमुख के बाद इसी पद के अधिकारी का महत्व होता है. यह पद तीन वर्ष के लिए होता है. इसी के बाद पिछले वर्ष 17 मार्च को उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए पुनः चुन लिया गया. अब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में इस पद पर 2027 तक रहेंगे.
संघ में जनरल सेक्रेटरी (महासचिव) को ही सरकार्यवाहक कहा जाता है और यह सरसंघचालक (प्रमुख) के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा पद होता है. हालांकि दत्तात्रेय होसबोले प्रत्यक्ष राजनीति में कभी नहीं आएं पर राजनीति से दूर रहकर भी उन्होंने सदैव हिन्दू हित के लिए कार्य किया और अपना जीवन समाज कल्याण हेतु लगा दिया.
कई भाषाओ में पारंगत है दत्तात्रेय होसबोले
दत्तात्रेय होसबोले कर्नाटक से है, इसलिए उनकी मातृ भाषा कन्नड़ है पर अपनी मातृभाषा के अलावे वे कई भारतीय व विदेशी भाषाओ के भी जानकार है और उन भाषाओ में वे आसानी से संवाद करते है. दत्तात्रेय होसबोले कन्नड़ के अलावे अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, मराठी और संस्कृत में भी पारंगत है. वे कन्नड़ मासिक पत्रिका असीमा के संस्थापक भी रह चुके है. इसके साथ ही दत्तात्रेय होसबोले विदेशी छात्रों के एक संघठन ‘विश्व विद्यार्थी युवा संघठन’ के महासचिव है.
दत्तात्रेय होसबोले की विधारधारा
दत्तात्रेय होसबोले का मानना है कि “भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने या नया हिंदू राष्ट्र बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है, भारत हमेशा से हिंदू राष्ट्र रहा है और आगे भी रहेगा” उन्होंने जात-पात के नाम पर भेद का भी विरोध किया और एक स्वच्छ हिन्दू समाज की वकालत की. उन्होंने एक बार कहा था कि “कोई भी व्यक्ति किसी भी मंदिर में प्रवेश कर सकता है, तथा सभी को किसी भी जल स्रोत से पानी लाने का अधिकार है. हमें जाति या अस्पृश्यता के नाम पर इस तरह के भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पूरे हिंदू समुदाय की बदनामी होती है. हमें ऐसी प्रथाओं का केवल विरोध करने के बजाय उन्हें समाप्त करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए.”
उन्होंने हिन्दुओ के विरुद्ध होने वाले धर्मांतरण और पलायन पर भी गहरी चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और पलायन हिंदू आबादी में असंतुलन पैदा कर रहे हैं. उन्होंने इसे रोकने के लिए धर्मांतरण विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू करने का आह्वान भी किया.
इस लेख में हमने आपको दत्तात्रेय होसबोले की जीवनी (Dattatreya Hosabale Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.