पिछले कुछ महीनों से महाराष्ट्र की राजनीति में केवल एक ही चर्चा है. वो है – दो चचेरे भाई उद्धव और राज ठाकरे यानि ठाकरे परिवार में सुलह की आशंका. दोनों भाईयों ने इस संबंध में सकारात्मक संकेत दिए है और वर्तमान में दोनों राजनीतिक पार्टियों के लिए वक्त का तकाजा भी यही है. बीते दिनों शिवसेना (UBT) के मुखपत्र ‘सामना’ में उद्धव और राज ठाकरे की छपी एक तस्वीर भी यही इशारा कर रही है कि दोनों के बीच चल रहा दो दशकों का मतभेद अब समाप्ति की ओर है. इस घटनाक्रम में एक बात है जो खटक सी रही है. वो है – सत्ताधारी महायुति की चुप्पी. अब तक कई नेताओं ने इस पर या तो दबे स्वर में बयान दिया है या फिर कुछ भी बोलने से इनकार किया. राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी इस मामले से अपने आपको दूर रखा है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दोनों भाईयों की सुलह की बन रही संभावनाओं पर कहा, ‘मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनूं. ये दो अलग-अलग पार्टियां हैं और दो भाई हैं, अब ये तय करना उनका काम है कि वो क्या करना चाहते हैं. जब वो कोई फैसला लेंगे, तब हम जवाब देंगे.’
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सीएम फडणवीस ने ये भी कहा कि मीडिया को जो कल्पना करनी हो करे, मैं क्यों अभी इस पर प्रतिक्रिया दूं. उन्होंने ये भी कहा कि इन दोनों के बीच असली बातचीत कितनी हो रही है, ये तो पता नहीं लेकिन मीडिया में खूब बातें हो रही हैं. इससे अलग शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी सुप्रीमो अजित पवार ने तो इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है.
इधर मनसे नेताओं के मुताबिक, अगर उद्धव ठाकरे एक कदम आगे बढ़ाते हैं, तो राज 100 कदम आगे बढ़ाएंगे. शिवसेना (UBT) को पहले राज ठाकरे को औपचारिक प्रस्ताव भेजना चाहिए या कम से कम फोन करके गठबंधन की संभावना पर चर्चा करनी चाहिए.
राज्य में इस साल हो सकते हैं निकाय चुनाव
महाराष्ट्र में इस साल सितंबर तक निकाय चुनावों होने है. 2024 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना (UBT) और मनसे के खराब प्रदर्शन के चलते दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की चर्चा तेज है. 2024 के चुनावों में उद्धव की पार्टी को जहां सिर्फ 20 सीटें मिलीं थीं. वहीं मनसे का खाता तक नहीं खुला था. राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्मित पार्टी पर ‘मराठी मानुष की पार्टी’ होने का टैग लगा है. ये टैग उद्धव ठाकरे को प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर स्थापित होने में मदद कर सकता है. कहीं न कहीं ये भी संभावना जताई जा रही है कि बाला साहेब ठाकरे की छवि लिए राज ठाकरे के उद्धव से मिलने के बाद एकनाथ शिंदे की छवि धूमिल हो सकती है.
खैर, अभी तक बातें केवल संकेतों और मीडिया के माध्यम से ही उठ रही हैं. दोनों के एक साथ बैठकर इस बारे में चर्चा अभी तक कोसों दूर है. ऐसे में माना यही जा रहा है कि महाराष्ट्र की जनता को दोनों भाईयों को एक होता देखने में अभी कुछ समय और लग सकता है.