पॉलिटॉक्स न्यूज. कोरोना वायरस मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पलटकर पहले ही झटका दे चुका है. अब वहां 26 सीटों पर मिनी विधानसभा चुनाव यानि उप चुनाव होने वाले हैं. इसमें कोरोना का साइड इफेक्ट फिर से देखने को मिलेगा. इसका असर ये होगा कि उप चुनावों में होने वाला खर्चा चार गुना से ज्यादा आएगा. ये सब कोरोना की ही मेहरबानियों का नतीजा होगा. अंदाजन उप चुनाव में करीब 71 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्चा आएगा, जबकि सामान्य परिस्थितियों में चुनाव कराया जाता तो 21 करोड़ रुपए का खर्च आता. अब ये लागत सामान्य का चार गुना और 50 करोड़ रुपये अधिक है. प्रत्येक सीट पर चुनाव खर्च 2 करोड़ 73 लाख रुपए आएगा.
प्रदेश की 230 सीटों पर पिछले विधानसभा आम चुनाव में 180 करोड़ खर्चा आया था. इसमें चुुनाव प्रचार का खर्चा अलग था. जिन विभागों के लोगों की ड्यूटी लगाई गई थी, उनके भत्तों समेत अन्य खर्चों का वहन संबंधित विभागों द्वारा किया गया था. अब केवल 26 सीटों पर चुनाव कराए जाने हैं और कुल खर्चें का करीब 45 फीसदी खर्च वहन करना होगा.
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कोरोना महामारी के बीच उपचुनाव कराए जाने को लेकर चुनाव आयोग भी चिंतित है. यहां सुरक्षा का सवाल भी है और मतदान भी कराना है. बताया जा रहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराए जाने के लिए प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की तय संख्या 1500 से घटाकर 1000 कर दी गई है. यानि प्रत्येक केंद्र से 500 मतदाता कम किए जाना हैं. ऐसे में 4500 नए बूथ बनेंगे. इन पर अतिरिक्त अधिकारी, कर्मचारियों, चिकित्सीय स्टाफ का इंतजाम करना होगा. इसके अलावा 58 लाख मतदाताओं के लिए मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर की व्यवस्था के साथ चुनाव सामग्री समेत अन्य खरीदी पर 50 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्चा आएगा.
मतदाताओं की सुरक्षा के लिए बूथ पर ग्लव्स, मास्क और सैनिटाइजर का इंतजाम और चिकित्सीय स्टाफ की तैनाती स्वास्थ्य विभाग करेगा. इसमें ही 25 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना जताई जा रही है. इसके अलावा 4500 नए बनने वाले बूथों पर ईवीएम और वीवीपैट मशीन का इंतजाम करना होगा, उसका खर्चा अलग से है. वहीं चुनाव आयोग ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों को बड़ी सभाएं आयोजित न करने की पहले से ही हिदायत दे दी है. उनसे इस संबंध में सुझाव भी मांगे गए हैं.
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इस संबंध में मध्यप्रदेश के एडिशनल सीईओ अरुण तोमर ने बताया कि मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से वोटरों के लिए जो भी इंतजाम किए जाने हैं, उसकी व्यवस्था संबंधित विभाग करेंगे. चुनाव आयोग सिर्फ उन्हें निर्देशित करेगा.
बता दें, इसी मार्च में कोरोना काल के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 कांग्रेस विधायकों ने अपनी विधायकी छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. इसके बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और सत्ता की चाबी फिर से शिवराज सिंह की जेब में. उसके बाद एक निर्दलीय सहित दो विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया. बाद बीते दिनों दो अन्य कांग्रेसी विधायकों ने भी इस्तीफा दे बीजेपी की शरण ले ली. ऐसे में सदन की खाली सीटों की संख्या बढ़कर 26 हो गई. अगस्त या सितम्बर में इन सभी सीटों पर उप चुनाव कराया जाने की पूरी उम्मीद है. कोरोना संकट और अन्य सावधानियों का ध्यान रखते हुए सभी बड़े राजनीतिक दल सोशल मीडिया के जरिए कैंपेनिंग और चुनावी प्रचार को अंजाम दे रहे हैं.