प्रदेश की जनता को अराजकता में डालने के दोषी मुख्यमंत्री गहलोत को दे देना चाहिए इस्तीफा- बीजेपी

राजभवन में नारेबाजी करते हुए अराजकता का वातावरण पैदा किया एवं महामहिम पर अनैतिक दबाव बनाते हुए अपने पक्ष में निर्णय करवाने का प्रयास किया, यह सीधे-सीधे राज्य में संवैधानिक संस्थाओं को आतंकित करने का प्रयास है

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Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में पिछले 2 सप्ताह से चल रहे सियासी संकट को लेकर शनिवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की. इस दौरान शुक्रवार को कांग्रेस विधायकों द्वारा राजभवन में दिए गए धरने प्रदर्शन और प्रदेशभर में शनिवार को जिला मुख्यालयों पर कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं द्वारा दिए गए धरने प्रदर्शन में सोशल डिस्टेसिंग की पालना नहीं करने को लेकर भाजपा नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा.

राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन देने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि दुनियां ने देखा कल मुख्यमंत्री ने प्रदेश के संवैधानिक हेड को चुनौती दी. सीएम गहलोत आईपीसी की धारा के तहत वर्णित अपराध के दोषी हैं. राज्यपाल को अपने कर्तव्य के निर्वहन में बाधा पहुंचाना या अनुचित दबाव देना गलत है. सदन बुलाने की एक निश्चित प्रक्रिया होती है. विधानसभा का सदन आहूत करने का राज्यपाल का अपना अधिकार है.

सतीश पूनियां ने आगे कहा कि कांग्रेस विधायकों द्वारा राजभवन को जिस तरह धरने प्रदर्शन का अखाडा बनाया गया. क्या कांग्रेस विधायक सत्र आहूत करवाने के प्रस्ताव पर जबरदस्ती साइन करवाना चाहते थे. जिस तरीके से कानून की धज्जियां उडाई गईं,उस पर राज्यपाल ने खुद भी कहा कि मेरी सुरक्षा कौन करेगा. इसलिए हम आज राज्यपाल से मिले है. प्रदेश की जनता को अराजकता में डालने के दोषी खुद मुख्यमंत्री गहलोत है. आज हमने राज्यपाल को ज्ञापन दिया है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति के नियंत्रण में विचार करना चाहिए.

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नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि कैबिनेट द्वारा राज्यपाल को सदन बुलाने का प्रस्ताव देने की प्रक्रिया है. केबीनेट द्वारा राज्यपाल को दिए प्रस्ताव में कहीं भी लिखित में नहीं है की सदन क्यों बुलाना चाहते है. मुख्यमंत्री जैसे स्तर का आदमी यह कहे की राजस्थान की जनता राजभवन का घेराव करेगी, हम सुरक्षा नहीं कर पाएंगे. इसलिए मैंने कहा था कि राजभवन को सीआरपीएफ के हवाले छोड़ना चाहिए. कैबिनेट का निर्णय आप राज्यपाल को दे सकते हो, लेकिन इस निर्णय पर उनकी परमिशन लेकर ही आओगे यह कहां से सीखा है. धरने का मुख्य मुद्दा बनाया गया कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए. राज्यपाल पर सत्र बुलाने के लिए दबाव बनाया गया यह संविधान की घोर अवहेलना है. सीएम गहलोत ने राज्यपाल के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया उसके लिए गहलोत को इस्तीफा दे देना चाहिए.

वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने कहा कि 13 मार्च को कोरोना के प्रदेश में 2 अंकों में भी संक्रमित लोग नहीं थे. उस समय वैश्विक महामारी कहकर विधानसभा सत्र को स्थगित किया गया. आज जब कोरोना का संक्रमण सर चढ़कर बोल रहा है, तो ऐसी कौन सी स्थितियां और परिस्थितियां आ गई कि यकायक अपने विधायकों के साथ राजभवन पर धरना दिया गया. राजभवन संवैधानिक रूप से संविधान का मंदिर है. संविधान के मंदिर को अपवित्र करने का दोष किसी को है तो सरकार को है. अंतरकलह से घिरी हुई यह सरकार अंतर्द्वंद से लोगों का ध्यान हट जाए इसलिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है. पहले उच्च न्यायालय तक गए अब राजभवन तक आ गए है. संवैधानिक संकट पैदा करने के लिए सत्तारूढ़ दल बढ़ रहा है. सरकार के पास बहुमत है तो बाडेबंदी के लिए किसने कहा, बाडाबंदी खोल कर देखें पंछी उड़ उड़ कर किस डाल पर बैठेंगे यह समय बताएगा.

इससे पहले भाजपा नेताओं ने राज्यपाल को दिए अपने ज्ञापन में लिखा कि जिस प्रकार की भाषा व गतिविधियां सीएम गहलोत ने अपने मंत्रियों व विधायकों को साथ लेकर की है उससे राज्य में कानून व्यवस्था खत्म होने की स्थिति बनी हुई है. सीएम गहलोत द्वारा शुक्रवार को जिस प्रकार अपने दल के लोगों को प्रेरित करते हुए राजभवन घेरने की धमकी एवं उसी स्थिति में राज्य सरकार द्वारा राजभवन को सुरक्षा प्रदान करने की अस्मत व्यक्त करने का बयान दिया गया यह सीधा सीधा राजभवन को आतंकित करने का प्रयास है.

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अपने ज्ञापन में बीजेपी ने कहा कि जिस प्रकार मुख्यमंत्री महोदय अपने गुट के विधायकों के साथ राजभवन आए. राजभवन में नारेबाजी करते हुए अराजकता का वातावरण पैदा किया एवं महामहिम पर अनैतिक दबाव बनाते हुए अपने पक्ष में निर्णय करवाने का प्रयास किया. यह सीधे-सीधे राज्य में संवैधानिक संस्थाओं को आतंकित करने का प्रयास है. वहीं राजभवन में एक साथ बड़ी संख्या में विधायकों का एकत्रित होना वर्तमान में कोरोना के परिपेक्ष में जारी दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है.

आज सत्ताधारी दल के आह्वान पर जिस प्रकार राज्य भर में जिला मुख्यालयों पर कोरोना के संबंध में जारी दिशा निर्देशों की पूर्ण रूप से अवहेलना करते हुए प्रदर्शन किए गए. राज्य प्रशासन द्वारा इस संबंध में किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं करना, कोरोना जैसे विषय पर राज्य सरकार की अवहेलना को प्रकट करता है. आपसे राज्य के संवैधानिक प्रमुख के नाते हम सभी समुचित कार्यवाही एवं उचित संरक्षण प्रदान करने की मांग करते हैं.

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बता दें, भाजपा प्रतिनिधिमंडल में प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, सांसद रामचरण बोहरा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, अशोक परनामी, विधायक निर्मल कुमावत, नरपत सिंह राजवी, कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी, अलका सिंह मौजूद थी.

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