जामिया-जेएनयू पर चीफ जस्टिस बोबड़े का बड़ा बयान, कहा- नेता तैयार करने वाली इकाई न बनें यूनिवर्सिटी

नागपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शिरकत करते हुए साधा निशाना, कहा- ये केवल ईंट और गारे से बनी इमारत नहीं, विचारों से पता चलता है कि एक समाज के तौर पर हम क्या हासिल करना चाहते हैं

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागपुर के एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शिरकत करते हुए देश के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (Sharad Arvind Bobde) ने दिल्ली की दो बड़ी यूनिवर्सिटीज जेएनयू और जामिया का नाम लिए बिना बड़ी नसीहत देते हुए कहा कि विश्वविद्यायलों को नेता तैयार करने वाली इकाई की तरह काम नहीं करना चाहिए. बता दें, हाल ही में जेएनयू और जामिया जैसी शिक्षण संस्थाओं में हुई घटनाओं ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया था.

सीजेआई एसके बोबड़े (Sharad Arvind Bobde) ने मंच को संबोधित करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी ये केवल ईंट और गारे से बनी इमारत नहीं होतीं. यूनिवर्सिटी के विचारों से ही पता चलता है कि एक समाज के तौर पर हम क्या हासिल करना चाहते हैं. ऐसे में विश्वविद्यालयों को विधानसभा या संसद के लिए नेता तैयार करने वाली इकाई की तरह काम नहीं करना चाहिए. सीजेआई शनिवार को नागपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. समारोह के बाद सीजेआई ने विश्वविद्यालय के छात्रों को उनकी डिग्रियां देकर उनका सम्मान किया.

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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बोबड़े का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब जेएनयू और जामिया सहित देश की कई यूनिवर्सिटी के छात्र नागरिकता कानून (CAA) और नेशनल सिटिजन रजिस्टर (NRC) का विरोध कर रहे हैं. जामिया यूनिवर्सिटी में तो प्रदर्शन इस कदर बढ़ गया था कि पुलिस को कैंपस के भीतर घुसकर लाठियां भांजनी पड़ी. उधर, जेएनयू में भी कई बार हिंसक प्रदर्शन हो चुके हैं. ताजा मामले में कुछ छात्रों ने कैंपस के अंदर अन्य छात्रों और अध्यापकों के साथ मारपीट की. इस मुद्दे पर एनएसयूआई और अन्य छात्र संगठन एक दूसरे पर हमला कराने के आरोप जड़ रहे हैं. ये मामला अब केंद्र की राजनीति के सियासी गलियारों में भी गूंज रहा है.