Politalks.News/New Delhi. सेक्यूलिरिज्म और तुष्टीकरण की विचारधारा के बीच देश में हुई राजनीति जंग में अपना सबकुछ खो चुकी कांग्रेस के लिए वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम नई मुसीबत का सबब बन सकते हैं. चिदंबरम ने कश्मीर के उन नेताओं को सलाम किया है, जिन्होंने अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की है. चिदंबरम ने एक टवीट में लिखा, अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए एकजुट हुईं मुख्यधारा की पार्टियों की एकता और जज्बे को सलाम.
भाजपा ने अपने एजेंडे में शामिल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का वादा किया था. जिसे मोदी सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को संसद में प्रस्ताव लाकर पूरा कर दिया. केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया था. इसके साथ ही वहां 20 हजार सैन्य बलों को लगाने के साथ सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था. सरकार द्वारा नजर बंद किए गए कई नेताओं को बांड भरवाकर स्वतंत्र किया जा चुका है.
मोदी सरकार जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने से पहले परिसीमन कराने का महत्वूपर्ण काम भी कर रही है. इसके साथ ही कश्मीर में चुनाव के लिए माहौल तैयार करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाकर भेजा गया है. लेकिन इससे पहले कि मनोज सिन्हा इस दिशा में कोई शुरूआत करते कश्मीर के नेताओं ने 370 की बहाली की मांग उठा दी है. कश्मीर के 6 प्रमुख राजनीतिक दलों ने अनुच्छेद 370 सहित पूर्व की स्थिति की बहाली की मांग की है.
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इस समय मोदी सरकार कश्मीर में नए नए बनने वाले आतंकवादियों से निबटने में लगी है. लंबे समय तक कश्मीर के लोगों को भी घरों में रहना पडा है. कुल मिलाकर जम्मू कश्मीर के हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं. हालांकि भाजपा के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफती सहित कई नेता नजरबंद ही है लेकिन इस बीच नजरबंदी से मुक्त हो चुके नेताओं ने 370 की बहाली की मांग को लेकर घोषणा पत्र जारी कर दिया है.
अनुच्छेद 370 की बहाली के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, जेकेपीसीसी के जीए मीर, माकपा के एमवाई तारीगामी, जेकेपीसी के सज्जाद गनी लोन, जेकेएएनसी के मुजफ्फर शाह ने एकजुट होकर घोषणा पत्र बनाया है. .
इन दलों के नेताओं के संयुक्त बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद से राजनीतिक दलों ने बड़ी मुश्किल से बुनियादी स्तर की बातचीत करने की कोशिश की है. इस बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया है. बयान में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए सामूहिक रूप से लड़ने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं.
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उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार की कूटनीति के कारण चीन, पाकिस्तान और तुर्की के अलावा दुनिया के किसी भी देश ने अनुच्छेद 370 के मामले में कोई भारत के प्रति कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की. वहीं इस मसले में पाकिस्तान की हालत तो धोबी के कुत्ते जैसी हो गई. ना वो घर का रहा, ना घाट का. इस मसले के कारण उसका बडा मददगार देश सउदी अरब भी अपने रिश्ते लगभग समाप्त कर चुका है. कश्मीर मसले पर अलग थलग पडे पाकिस्तान को कहीं से भी समर्थन नहीं मिल रहा है.
इस बीच कश्मीर के राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम का उनको सलाम करना. कांग्रेस के लिए देश में मुसीबते खडी कर सकता है.