एजेएल को जमीन आवंटन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को एसोसिएट जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ पहली चार्जशीट पेश की है, जिसमें आरोपी के रूप में वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नाम शामिल हैं. एजेएल नेशनल हेराल्ड और नवजीवन अखबार की प्रकाशक कंपनी है. ये अखबार कांग्रेस के मुखपत्र माने जाते थे.
जिस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई है, वह पंचकूला में एजेएल को जमीन आवंटित करने से संबंधित है. 1992 में हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार ने पंचकूला के सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 की जमीन एजेएल को आबंटित की थी. यह जमीन करीब 65 करोड़ रुपए की बताई जाती है. इस कंपनी के भागीदारों में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित गांधी परिवार के सदस्य भी शामिल हैं. इस जमीन को ईडी पहले ही अटैच कर चुका है. इस आबंटन में धांधली और मनी लांड्रिंग के आरोप हैं.
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एजेएल को पंचकूला की यह जमीन सबसे पहले 1982 में आबंटित की गई थी. बाद में शर्तें पूरी नहीं किए जाने पर हरियाणा संपदा विभाग ने 30 अक्टूबर 1992 को यह आबंटन निरस्त कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका 1996 में अदालत ने खारिज कर दी थी. इसके बाद अगस्त अगस्त 2005 में तत्कालीन हुड्डा सरकार ने यह जमीन फिर से रियायती दरों पर एजेएल को आबंटित कर दी थी. यह फैसला करने से पहले विधि विभाग से परामर्श नहीं किया गया था. हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और नगर एवं क्षेत्र विकास विभाग के वित्त आयुक्त की सिफारिशों के भी नजरअंदाज कर दिया गया.
चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि इस तरह तत्कालीन मुख्यमंत्री हुड्डा ने कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा के साथ मिलीभगत करते हुए ने नियम विरुद्ध जमीन आबंटन किया, जिससे हरियाणा सरकार को नुकसान पहुंचा और एजेएल को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया और शर्त के मुताबिक निर्माण कार्य की अवधि पहले मई 2008 तक और फिर मई 2012 तक बढ़ाई गई. निर्माण कार्य 2014 को पूरा हुआ था. इस तरह ईडी ने हुड्डा और वोरा को कानूनी शिकंजे में घेरने की तैयारी कर ली है.
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