महाराष्ट्र शिव सेना विधानसभा चुनाव 2014 कर तरह ही महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव 2019 में भी शिव सेना और बीजेपी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं. सीटों के बंटवारे को लेकर फिर एक बार महाराष्ट्र में शिवसेना- बीजेपी के बीच ठन गई है. दोनों पार्टियों की ओर से आये ताज़ा बयानों के बाद गठबंधन को लेकर सवाल खड़े हुए हैं. सूत्रों के हवाले से मिली ख़बर के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले तय हुए 50-50 के फ़ॉर्मूले पर रज़ामंदी नहीं होगी. बीजेपी ने 180-108 यानि शिवसेना को 108 सीटें देने का प्रस्ताव रखा जिसे शिवसेना ने नामंज़ूर किया है और अकेले चुनाव लड़ने की तैयारियां भी शुरू कर दी है.

दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि अनुच्छेद 370 पर लिए गए मोदी सरकार के सख्त फैसले से पूरे देश में बीजेपी के पक्ष में माहौल और मजबूत बन गया है. इसी के चलते महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को लेकर सीएम पद पर दावेदारी करने वाली बीजेपी के तेवर और बढ़ गए हैं. लेकिन शिव सेना भी पीछे हटने वाली नहीं है उसका कारण इस बार के चुनाव में ठाकरे खानदान से पहली बार आदित्य ठाकरे सीधे चुनाव लड़ सकते हैं और मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोक सकते हैं. इसलिए मौजूदा स्थिति में अक्टूबर में होनेवाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां अलग अलग चुनाव लड़ सकती हैं.

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को लेकर शिवसेना इस बार जमीनी तौर पर कुछ ज्यादा ही सक्रिय है. वजह कि पार्टी के ‘राजकुमार’ और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे पहली बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. अगर वह चुनाव में उतरते हैं तो यह पहला मौका होगा, जब ठाकरे घराने का कोई सदस्य सीधे तौर पर चुनाव मैदान में होगा. अब तक शिवसेना सिर्फ चुनाव लड़ाती रही है. शिवसेना के कुछ नेता आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में भी पेश कर रहे हैं.

शिवसेना ने पिछले दिनों अपने मुखपत्र में लिखे एक संपादकीय में भी गठबंधन में बराबरी की बात करते हुए इस बार मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी के संकेत दिए थे. शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोकने की चर्चाओं पर विराम लगाने की मंशा के साथ पिछले दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सार्वजनिक तौर पर यह कहा था कि मुख्यमंत्री पद पर कोई भ्रम नहीं है. मुख्यमंत्री बीजेपी का ही बनेगा. वही दोबारा सीएम बनेंगे.

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दरअसल इस तनातनी की शुरुआत हुई बीजेपी की तरफ़ से जब लोकसभा चुनाव के ठीक बाद बीजेपी ने ये कहना शुरु कर दिया कि चुनाव शिवसेना के साथ लड़ेंगे लेकिन मुख्यमंत्री तो बीजेपी का ही होगा. इस बात पर शिवसेना की तरफ़ से आपत्ति जताई गई मगर धीरे धीरे महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े नेता ही ये संकेत देने लगे कि गठबंधन होगा तो उनकी शर्तों पर. शिवसेना ने इसे वादाखिलाफी करार देते हुए अकेले लड़ने की तैयारी शुरु की.

बीजेपी के इस तेवर को देखते हुए शिवसेना ने अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी शुरु कर दी और ताबड़तोड़ दूसरे पार्टी के नेताओं की इनकमिंग भी शुरु कर दी है. वहीं बीजेपी ने भी गठबंधन नहीं होने पर सभी 288 सीटों के लिए उम्मीदवार जुटाना शुरू कर दिया है. अब सूत्र बताते हैं कि बीजेपी ने शिवसेना पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है और उनके सामने 180-108 का फार्मूला रखा दिया जिसे शिवसेना ने अफ़वाह क़रार दिया है.

बता दें कि शुरुआती तौर पर दोनों दलों के नेताओं की ओर से 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ने पर चर्चा के संकेत दिए गए. वहीं 18 दल अन्य सहयोगी दलों को देने पर बात चली. हालांकि अभी सीटों का पेंच सुलझा नहीं है. कहा जा रहा है कि बदले माहौल के बीच बीजेपी ज्यादा सीटों पर लड़ सकती है. 2014 के विधानसभा चुनाव में कुल 288 में बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिलीं थीं.

तय फार्मूले के मुताबिक मुख्यमंत्री पद ढाई ढाई साल दोनों पार्टियों को मिलना था लेकिन अब उसपर खुद मुख्यमंत्री ने पूर्णविराम लगा दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वो आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री बनाकर उनके साथ काम करना पसंद करेंगे. ऐसे में शिवसेना ये समझती है कि अकेले चुनाव लड़ना ही सही होगा जिसके लिए तैयारियां ज़ोरों पर हैं. यानि 2014 की तरह ही बीजेपी शिवसेना एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं.

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