राज्यसभा ने मंगलवार को वित्त विधेयक (क्रमांक 2) और विनियोग विधेयक (क्रमांक 2) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को लौटा दिया है. मंगलवार को राज्यसभा में दिनभर हंगामा होता रहा. कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मोदी के बारे में दिए गए बयान पर विपक्षी सदस्यों ने खूब हंगामा किया और कई सदस्यों ने सदन से वाकआउट भी किया. वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक धन विधेयक होने के कारण इस पर मत विभाजन का प्रावधान नहीं है. राज्यसभा इसे बहस के बाद लौटा सकती है. दोनों ही विधेयक सिर्फ लोकसभा में पारित किए जाते हैं.

राज्यसभा में वित्त विधेयक पर बहस में सिर्फ एनडीए से जुड़े लोगों ने भाग लिया. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), वाईएस राजशेखर रेड्डी कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), अन्नाद्रमुक और बीजू जनता दल (बीजद) को छोड़कर सभी विपक्षी पार्टियों के सदस्य सदन से बाहर चले गए थे. संक्षिप्त बहस के बाद हंगामे के बीच राज्यसभा ने वित्त विधेयक सरकार को लौटा दिया और इसी के साथ संसद में बजट पारित करने की प्रक्रिया पूरी हो गई. लोकसभा में वित्त विधेयक पहले ही पारित हो चुका है.

राज्यसभा में वित्त विधेयक पर बहस का जवाब देते हुये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल एवं डीजल पर लगाये गये उपकर को जायज ठहराते हुए कहा कि देश में महंगाई दर अपने न्यूनतम स्तर पर है. सरकार चाहती है कि जनता पर कर का बोझ कम से कम किया जा सके. वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने दोनों विधेयक ध्वनिमत से लौटा दिए. इसी के साथ पांच जुलाई को संसद में शुरु हुई बजट पारित होने की प्रक्रिया पूरी हो गई. पांच जुलाई को सीतारमण ने लोकसभा में आम बजट 2019-20 पेश किया था.

राज्यसभा में सुबह से ही विपक्षी सांसदों ने ट्रंप के बयान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्पष्टीकरण की मांग शुरू कर दी थी. दोपहर दो बजे उप सभापति हरिवंश ने वित्त एवं विनियोग विधेयक पर बहस शुरू करने की अनुमति दी, तब भी कांग्रेस के सदस्य मोदी के स्पष्टीकरण की मांग पर अड़े रहे. हरिवंश ने यह मुद्दे सदन में उठाने की अनुमति नहीं दी. उन्होंने कहा कि सभापति एम वेंकैया नायडू आज सुबह ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यह मुद्दा सदन में नहीं उठेगा. इस पर कांग्रेस के सदस्य आसन के सामने पहुंच गए. पी चिदंबरम ने कहा कि जब इतने विपक्षी सदस्य मुद्दा उठा रहे हैं तो आपको सदन स्थगित करते हुए उन्हें स्पष्टीकरण के लिए तलब कर मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए. सदन इसी तरह चल सकता है. सदन क्यों है? विपक्षी सदस्यों को सदन से बाहर क्यों जाना चाहिए? क्या सिर्फ सत्ता पक्ष के सदस्य और आप ही सदन में बैठे रहेंगे?

सदन के नेता थावरचंद गहलोत ने इस पर कहा कि सरकार की तरफ से कोई भी मंत्री जवाब दे सकता है. सरकार सामूहिक जिम्मेदारी से चलती है. गहलोत की बात से विपक्षी सदस्य संतुष्ट नहीं हुए, क्योंकि सुबह विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान उनके गले नहीं उतरा था. इसके बाद सदन की बैठक तीन बजे तक स्थगित हुई. उसके बाद दुबारा बैठक शुरू होने पर भी वही स्थिति बनी रही. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच हरिवंश ने वित्त एवं विनियोग विधेयक पर बहस शुरू कराने का प्रयास किया.

भाजपा नेता भूपेन्द्र यादव ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि लोकसभा की कार्यवाही सुचारु रूप से चल रही है. उच्च सदन राज्यसभा की कार्यवाही भी ठीक से चलनी चाहिए. इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बयान को मामूली मत समझिए. अगर लोकसभा और राज्यसभा एक ही है तो एक ही सदन होना चाहिए. दो सदनों की व्यवस्था संविधान के अनुसार की गई है. लोकसभा भंग होती है. राज्यसभा कभी भंग नहीं होती. यह संसद का स्थायी सदन है.

आजाद ने कहा कि लोकसभा में क्षेत्रीय और भाषायी आधार पर विधेयक पारित होते हैं और पिछले पांच साल से धार्मिक भावना भी इससे जुड़ गई है. राज्यसभा में ऐसा नहीं होता. राज्यसभा में सरकार को मनमानी करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. आजाद के इतना कहने के बाद कांग्रेस के सदस्य सदन से बाहर चले गए.

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