लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी ने ऐसे राज्यों को टारगेट करना शुरू कर दिया है, जहां पार्टी अभी तक सरकार नहीं बना पाई है. जम्मू-कश्मीर ऐसे ही राज्यों में से एक है. हालांकि बीजेपी यहां पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा रही है, लेकिन राज्य में अभी तक पार्टी का मुख्यमंत्री नहीं बना है. लोकसभा चुनाव में मिली रिकॉर्ड जीत के बाद बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए कमर कस ली है.

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन लगा हुआ है. सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग यहां हरियाणा और महाराष्ट्र के साथ विधानसभा के चुनाव करवाने की तैयारी कर रहा है. वहीं, बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है. इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि पार्टी पाक अधिकृत कश्मीर की आठ सीटों के ​जरिए किला फतह करने की तैयारी कर रही है. बीजेपी ने इसके लिए विशेष योजना बनाई है.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें से 87 पर ही भारतीय चुनाव आयोग चुनाव कराता है. पाक और चीन अधिकृत कश्मीर की 24 विधानसभा सीटें रिजर्व रखी जाती हैं. यह कहा जाता है कि यह क्षेत्र भारत को वापस मिलेगा तो इन 24 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे. साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 87 सीटों में से पीपुल्स डेमोक्रे‌टिक पार्टी ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15, कांग्रेस ने 12 और अन्य ने सात सीटों पर जीत दर्ज की थी.

किसी को बहुमत नहीं​ मिलने पर पीडीपी और बीजेपी गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई थी. पहले मुफ्ती मोहम्मद सईद और बाद में उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं जबकि बीजेपी के निर्मल सिंह और कविंद्र गुप्ता उप मुख्यमंत्री बने. दो विपरीत विचारधाराओं का यह ​सियासी मिलन लंबा नहीं चला. 2018 में बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद महबूबा मुफ्ती ने इस्तीफा दे दिया. तब से ही राज्य में राज्यपाल शासन लगा हुआ है.

लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की छह सीटों में से बीजेपी ने उधमपुर, लद्दाख और जम्मू में जीत दर्ज की है. बीजेपी को 46.4 प्रतिशत वोट मिले हैं. इस आंकड़े से जम्मू-कश्मीर में आसानी से बीजेपी की सरकार बन जानी चाहिए, लेकिन यह इसलिए संभव नहीं हो पाता क्योंकि पार्टी को ज्यादातर वोट जम्मू और लद्दाख डिवीजन से मिले हैं. इन दोनों क्षेत्रों में विधानसभा की 41 सीटें हैं. यदि इन सभी सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज कर लेती है तो भी उसे विधानसभा में बहुमत हासिल नहीं होता है.

विधानसभा की 46 सीटें कश्मीर डिवीजन में हैं. यहां बीजेपी का नाममात्र का जनाधार है. इस क्षेत्र में लोकसभा की अनंतनाग, बारामूला और श्रीनगर सीटें आती हैं. इन तीनों सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत दर्ज की है. बावजूद इसके उसे महज 7.89 प्रतिशत वोट मिले हैं. जबकि एक सीट पर भी जीत दर्ज नहीं करने वाली कांग्रेस को 28.5 और पीडीपी को 7.89 प्रतिशत वोट मिले हैं.

बीजेपी को पता है कि महज जम्मू और लद्दाख डिवीजन में लोकप्रियता के बूते जम्मू-कश्मीर की सत्ता के शीर्ष तक नहीं पहुंचा जा सकता. पार्टी के साथ दिक्कत यह है कि वह अपनी मौजूदा विचारधारा के बल पर कश्मीर डिवीजन में पैर नहीं जमा सकती. इस दुविधा का तोड़ निकालने के लिए बीजेपी नेतृत्व ने पीओके की 24 रिजर्व सीटों में कम से कम आठ पर चुनाव करवाने की रणनीति तैयार की है. पार्टी इसके लिए चुनाव आयोग से आग्रह करेगी.

बीजेपी को भरोसा है कि चुनाव आयोग उनकी मांग पर सहमत होगा. इसके पीछे पार्टी के नेताओं का तर्क यह है कि पाक अधिकृत कश्मीर के एक तिहाई से ज्यादा लोग एलओसी के इस पार आ चुके हैं. ऐसे में उन्हें मतदान का मौका दिया जाना चाहिए. इसके लिए बीजेपी चुनाव आयोग से कश्मीरी पंडितों के लिए बनाई गई ‘एम फॉर्म’ सरीखी व्यवस्‍था बनाने का आग्रह करेगी.

आपको बता दें कि ‘एम फॉर्म’ के तहत कश्मीरी पंडित भारत के किसी अन्य क्षेत्र में रहते हुए अपना वोट दे सकते हैं. बीजेपी का यह तर्क है कि जब कश्मीरी पंडितों को यह अधिकार मिल सकता है तो पीओके छोड़कर आए लोगों को भी इसी आधार पर मतदान का अधिकार मिलना चाहिए. बीजेपी की मांग है कि पीओके से आए लोग ‘एम फॉर्म’ में अपने मूल विधानसभा क्षेत्र की जानकारी दें और वोटिंग में शामिल हों.

यदि चुनाव आयोग बीजेपी की इस मांग को मान लेता है तो बीजेपी को इसका बड़ा फायदा मिल सकता है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े इसकी ओर साफ इशारा कर रहे हैं. दरअसल, अनंतनाग सीट पर पर पोओके से सटे इ​लाके में लोकसभा चुनाव का ब​हिष्कार हुआ था. इसके चलते यहां केवल 1.14 प्रतिशत वोटिंग हुई. कुल 1019 लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया. इतनी कम वोटिंग में भी बीजेपी को सबसे ज्यादा 323 वोट मिले जबकि इस सीट पर चुनाव जीतने वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस को 234 वोट मिले.

पीओके से सटे इलाकों में समर्थन देखकर बीजेपी नेताओं का उत्साह बढ़ा हुआ है. प्रदेश में पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि यदि पीओके से आए लोगों को मतदान का अधिकार मिला तो उनमें से ज्यादातर बीजेपी को वोट देंगे. पार्टी का मानना है कि सभी आठ सीटों पर उसे जीत मिल सकती है. यदि ऐसा होता है तो बीजेपी जम्मू-कश्मीर में बहुमत के आंकड़े तक पहुंच सकती है.

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