मेयर विवाद मामले में दो धड़ों में बंटी BJP बोली- लोकतंत्र का गला घोंटकर CM ने दिलाई आपातकाल की याद

सीएम गहलोत बात-बात पर नैतिकता और लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, लेकिन हाथी के दाँत खाने के और-दिखाने के और हैं, उनकी कथनी और करनी में इतना फर्क है कि जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर व तीन अन्य पार्षदों को निलम्बित किया जाना ये अपने आप में प्रतिशोध एवं विद्वेष को साबित करता है- सतीश पूनियां

लोकतंत्र का गला घोंटकर सीएम गहलोत ने दिलाई आपातकाल की याद
लोकतंत्र का गला घोंटकर सीएम गहलोत ने दिलाई आपातकाल की याद

Politalks.News/Rajasthan. जयुपर ग्रेटर नगर निगम मेयर सौम्या गुर्जर के निलंबन के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी के निशाने पर है. सौम्या गुर्जर के निलंबन के विरोध में बीजेपी ने मंगलवार को प्रदेश भर में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया. राजधानी जयपुर में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां की अगुवाई में धरना-प्रदर्शन किया गया. जयपुर ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों के निलंबन के साथ साथ बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था, लम्बित भर्तियों, एवं सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरते हुये जमकर नारेबाजी हुई.

भाजपा मुख्यालय पर प्रदर्शन के बाद बीजेपी नेताओं ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को ज्ञापन दिया. विरोध प्रदर्शन में प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, सांसद रामचरण बोहरा, मनोज राजौरिया, विधायक नरपत सिंह राजवी सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे.

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वहीं, प्रदेश भाजपा के इस धरने प्रदर्शन से जयपुर के विधायकों ने दूरी बनाई. राजनीतिक हलकों में इसकी जबरदस्त चर्चा रही. विधायकों के धरने प्रदर्शन में नहीं आने को उनकी इस निर्णय से सहमति के तौर पर देखा जा रहा है. कार्यवाहक महापौर शील धाबाई और कई पार्षद भी इस प्रदर्शन से दूर रहे. इसके अलावा कई अन्य जगहों पर हुए विरोध प्रदर्शनों में भी विधायक शामिल नहीं हुए. प्रदेश भाजपा के धरने के बाद मुख्यालय में पदाधिकारियों की अनौपचारिक बैठक भी हुई. इसमें इस मुददे पर आगामी रणनीति को लेकर चर्चा हुई.

आपको बता दें, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां के आहृान पर जयपुर से लेकर पूरे प्रदेशभर के सभी मण्डलों पर कोविड गाइडलाइन की पालना करते हुए काली पट्टी बांधकर धरने-प्रदर्शन किये गये और अशोक गहलोत सरकार की तानाशाही के खिलाफ नारेबाजी की गई. इस दौरान सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बात-बात पर नैतिकता और लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, लेकिन हाथी के दाँत खाने के और-दिखाने के और हैं, उनकी कथनी और करनी में इतना फर्क है कि जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर व तीन अन्य पार्षदों को निलम्बित किया जाना ये अपने आप में प्रतिशोध एवं विद्वेष को साबित करता है.

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सतीश पूनियां ने आगे कहा कि नगरपालिका अधिनियम की धारा 39 का दुरूपयोग यह प्रदेश में पहली बार हुआ है. यह साफ तौर पर कांग्रेस की खीज और बौखलाहट है. जयपुर शहर में भाजपा को बड़ा जनादेश मिला, कांग्रेस को मुँह की खानी पड़ी, उसी समय से मुख्यमंत्री के मन में ये बौखलाहट है. अफसर व जनप्रतिनिधियों के सामान्य वाद-विवाद को उन्होंने आपराधिक मुकदमों में तब्दील किया, ये दुर्भाग्यपूर्ण, शर्मनाक एवं अलोकतांत्रिक है.

पूनियां ने कहा कि प्रदेशभर के एक हजार से अधिक मण्डलों पर कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए गहलोत सरकार की तानाशाही व असंवैधानिक फैसले के खिलाफ धरने-प्रदर्शन किये गये. भविष्य में भी जनहित के मुद्दों को लेकर जब-जब जरूरत पड़ेगी भाजपा सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ने को तैयार है.

वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सरकार तानाशाही रवैया अपना चुकी है, यह लोकतंत्र के विरुद्ध है. वहीं केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने गहलोत सरकार पर बड़ा हमला बोला है. कैलाश चौधरी ने कहा कि हर समय लोकतंत्र की दुहाई देने वाले तथाकथित गांधीवादी नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस द्वेषपूर्ण कार्यवाही के माध्यम से लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया है, लेकिन भाजपा और उसका एक एक कार्यकर्ता मुख्यमंत्री गहलोत को उनके नापाक इरादों और मंसूबों में सफल नहीं होने देंगे. भाजपा इस द्वेषपूर्ण और अलोकतांत्रिक कार्यवाही के विरोध में डॉ. सौम्या गुर्जर, अपने अन्य पार्षदों और कार्यकर्ताओं के साथ चट्टान की तरह मजबूती से साथ खड़ी है. कांग्रेस का यह अघोषित आपातकाल ही अब उसके पतन का कारण बनेगा. भाजपा हर तरीक़े से यह न्याय की लड़ाई लड़ेगी और जीतेगी.

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केंद्रीय राज्यमंत्री ने आगे कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार दिनोंदिन कुप्रबंधन और लापरवाही के रिकॉर्ड दर्ज कराने के साथ एक ओर चीज़ में अव्वल साबित हो रही है, वो है द्वेषतापूर्ण राजनीति और तानाशाही. सौम्या गुर्जर और 3 पार्षदों के निलंबन का तुगलकी फरमान जारी कर सरकार ने बता दिया है कि उनका लोकतंत्र एवं जनमत में विश्वास नहीं है. ऐसी कार्रवाई और आदेश कतई स्वीकार्य नहीं है, इसका कड़ा जवाब देने के लिए भाजपा और जनता तैयार है.

कैलाश चौधरी ने कहा कि डॉ. सौम्या गुर्जर के निलंबन में गहलोत सरकार ने राजनीतिक द्वेषता की सारी हदें पार की है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जनता द्वारा चुनी गई महिला जनप्रतिनिधि को टारगेट करते हुए कानून के खिलाफ जाकर कार्यवाही की. सरकार ने महापौर को सख्त लॉकडाउन और सार्वजनिक अवकाश शनिवार रविवार के दिन कार्यवाही की, उसमें भी एक दिन के लिए भी उन्हें अपना पक्ष रखने का समय नहीं दिया, इस तरह से यह विधि विरुद्ध एक तरफा कार्यवाही न्याय संगत नहीं है.
लोकतंत्र का गला घोंटकर मुख्यमंत्री गहलोत ने दिलाई आपातकाल की याद :
कैलाश चौधरी ने कहा कि आधी रात को अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाकर जिस तरह से मेयर को निलंबित किया गया है. सीनियर अफसर की जांच जूनियर अफसर को दी गई है, लेकिन भाजपा का कार्यकर्ता अभी भी हार मानने को तैयार नहीं है. न्यायालय में भी यह लड़ाई लड़ने को भाजपा तैयार है. अब तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भी कांग्रेस पार्टी का विश्वास नहीं रहा है. इतना ही नहीं है, कांग्रेस का आचरण हमेशा से ही अलोकतांत्रिक रहा है. कैलाश चौधरी ने कहा कि देश पर अलोकतांत्रिक तरीके से आपातकाल थोपने वाली कांग्रेस ने रात के अंधेरे में जिस तरह से अलोकतांत्रिक कार्यवाही को अंजाम दिया, वह 1975 में लगाई गए आपातकाल की याद दिला रही है. साथ ही यह कारवाई जनमत का अपमान और लोकतन्त्र की हत्या है. यह सारा खेल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इशारे पर खेला गया है.

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