बंगाल चुनाव की हार या क्या, आखिर महामारी के इस संकटकाल में कहां गायब हैं गृहमंत्री अमित शाह?

समूचा विपक्ष केंद्र की भाजपा सरकार पर महामारी की नाकामियों का 'ठीकरा' फोड़ रहा है. उसके बावजूद पार्टी के मुख्य रणनीतिकार 'मौन' की मुद्रा में हैं, बंगाल में मिली हार के बाद गृहमंत्री अमित शाह की कोई बड़ी प्रतिक्रिया या बयान नहीं आया, पढ़िए पॉलिटॉक्स की खास रिपोर्ट

कहां गायब हैं गृहमंत्री अमित शाह?
कहां गायब हैं गृहमंत्री अमित शाह?

Politalks.News/Bharat. राजनीतिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर मोर्चा संभालने वाले भाजपा के नंबर दो नेता और गृहमंत्री अमित शाह इन दिनों कहां गायब है? कोरोना महासंकटकाल में उन्होंने चुप्पी क्यों साध रखी है? कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष केंद्र की भाजपा सरकार पर महामारी की नाकामियों का ‘ठीकरा‘ फोड़ रहा है. उसके बावजूद पार्टी के मुख्य रणनीतिकार ‘मौन‘ की मुद्रा में हैं. पांच राज्यों के खत्म हुए विधानसभा चुनाव में बंगाल की चुनावी जनसभाओं में दहाड़ने वाले अमित शाह को अचानक क्या हो गया? बता दें कि पिछले महीने की 22 अप्रैल को शाह ने आखिरी बार बंगाल में चुनावी रैली की थी. उसके बाद न उनका कोई बयान न ट्वीट और न ही देश में ऑक्सीजन, वैक्सीन की कमी पर विपक्ष के तीखे सवालों और दिल्ली में ‘सेंट्रल विस्टा‘ प्रोजेक्ट (नई संसद भवन का निर्माण) पर रोक लगाने की मांग को लेकर गृहमत्री ने कोई जवाब नहीं दिया.

शाह का चुप्पी धारण करने का कारण बंगाल चुनाव में मिली भाजपा को हार का असर तो नहीं?’ दो मई को चुनाव नतीजों के बाद भाजपा को बंगाल में मिली हार के बाद गृहमंत्री अमित शाह की कोई बड़ी प्रतिक्रिया या बयान नहीं आया. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार कोविड-19 को लेकर आए दिन बैठक और तैयारियों की समीक्षा करने में लगे हुए हैं. इस बीच पीएम ने कई भाजपा नेताओं के साथ लंबी मंत्रा भी की, इस दौरान अमित शाह प्रधानमंत्री मोदी के साथ भी नहीं दिखाई दिए.

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आपको बता दें, यह कोई पहला महत्वपूर्ण मौका नहीं है जब अमित शाह गायब हुए हों. वर्ष 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शाह की कई दिनों बाद बयान आया था. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे के अमित शाह के साथ हुई बंद कमरे में हुई बैठक में क्या-क्या बातें हुई उस पर भी मौन नजर आए. जबकि उस दौरान उद्धव ठाकरे लगातार अमित शाह पर 6-6 महीने भाजपा और शिवसेना का महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री रहेगा आरोप लगाते रहे. इस पर भी गृहमंत्री अमित शाह महीनों खामोश रहे. पिछले वर्ष दिल्ली में विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद भाजपा की हुई करारी हार के बाद भी अमित शाह कई दिनों तक गायब हो गए थे. इसके साथ राजधानी दिल्ली में हुए नागरिकता संशोधन बिल को लेकर हिंसा पर भी उन्होंने फैसला लेने में देर की. केंद्र सरकार ने उस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को बातचीत करने के लिए भेजा था.

वैसे चर्चा यह भी है कि पीएम मोदी बंगाल में मिली हार के बाद भाजपा के चुनावी प्रबंधन और रणनीतिकारों से खुश नहीं हैं, बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के लिए 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन पार्टी मात्र 70 सीटों पर ही सिमट गई. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ममता बनर्जी आए दिन केंद्र सरकार पर हमलावर हैं, लेकिन अमित शाह की ओर से ममता को जवाब नहीं दिया जा रहा है.

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कांग्रेस की एनएसयूआई ने अमित शाह के खिलाफ दिल्ली में दर्ज कराई गुमशुदगी
कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के महासचिव नागेश करिअप्पा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ दिल्ली पुलिस में पिछले दिनों ‘गुमशुदगी‘ की रिपोर्ट दर्ज कराई है. ‘करिअप्पा ने कहा कि राजनेता राष्ट्र की सेवा करने के लिए होते हैं और देश के लोगों की देखभाल करते हैं और संकट की स्थिति होने पर भागते नहीं हैंं.’ अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सरकार में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति महामारी के दौरान गायब है.

कांग्रेस की इस इकाई की ओर से कहा गया है कि हम सभी इस विनाशकारी महामारी से पीड़ित हैं और हमें अपने नागरिकों का समर्थन करने और उनके कार्यों के लिए जवाबदेह होने के लिए एक सरकार की आवश्यकता है. नागेश करियप्पा ने अमित शाह से सवाल किया कि आप देश के गृहमंत्री हैं या केवल बीजेपी के’? उन्होंने कहा कि हम कोरोना काल में लोगों को हो रही परेशानियों को समझते हैं और वर्तमान सरकार और उसके शीर्ष नेताओं के गायब होने पर एनएसयूआई ने एक लापता शिकायत दर्ज कराई है.

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हम उम्मीद करते हैं कि देश के गृहमंत्री जल्द ही ढूंढ लिए जाएंगे, जिसके बाद वह अपने कर्तव्य का निर्वाहन करेंगे. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी अमित शाह के कोरोना संकटकाल में इतने दिनों तक चुप्पी बनाए रखने पर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. दूसरी ओर संकटकालीन समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमित शाह केेे बिना डटे हुए हैं. ऐसे में पॉलिटॉक्स के विचार यह हैं कि भाजपा के ‘चाणक्य‘ कहे जाने वाले अमित शाह जैसे विरोधियों और चुनाव मैदानों में गरजते रहे हैं वैसे ही इस वैश्विक महामारी को लेकर वह कोई आक्रामक नीति अपनाते तो इस वैश्विक महामारी से निपटने में ज्यादा भी कुछ नहीं तो देशवासियों का मनोबल तो बढ़ता ही.

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