अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में 27वें दिन की सुनवाई केवल दो घंटे चली. मुस्लिम पक्षकर और सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन (Rajiv Dhawan) ने गुरुवार को भी अपनी दलीले जारी रखीं और रामलला पक्ष के वकील के राम जन्मभूमि (Ram Mandir) के दावे को महज एक कहानी बताया. वकील धवन ने बताया कि मस्जिद कें केंद्रीय गुंबद को भगवान राम का जन्म स्थान बताने की ये कहानी 1980 के बाद से शुरू हुई. हिंदू समुदाय के लोग विवादित इमारत के बाहरी हिस्से के चबूतरे पर पूजा किया करते थे. लोग रेलिंग के पास या गुंबद के अंदर पूजा करते थे, इसका न तो कोई सबूत है और न कोई गवाह.

इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूछा कि 1855 के बाद इमारत और चबूतरे के बीच रेलिंग लगी थी. लोग तब भी रेलिंग के पास जाकर पूजा करते थे. क्या उन्हें विश्वास था कि देवता की मुख्य जगह उसी तरह है?

जवाब देते हुए धवन ने कहा कि 19वीं सदी के गजेटियर और भारत आने वाले यात्रियों के अलावा कोई सबूत नहीं है कि वहां पर सिर्फ जन्म स्थान था. मस्जिद से गर्भगृह की दूरी 40 फीट बताई गई है.

धवन ने आगे कहा कि बकौल हिंदू पक्षकार गवाह, ‘गर्भगृह में 1939 में यहां मूर्ति नहीं थी. वहां केवल एक फोटो थी.’ मैंने भी कहीं और कभी नहीं पढ़ा कि हिंदू कब से एक साथ पूजा कर रहे थे. ऐसे में मूर्ति व गर्भगृह की पूजा का सबूत नहीं हो सकते.

इन दलीलों पर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि आप सबूतों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. गर्भगृह में पूजा के सबूत नहीं है. लेकिन राम सूरत तिवाड़ी नाम के गवाह ने 1935 से 2002 तक वहां पूजा होने की बात कही है.

पिछली सुनवाई के लिए पढ़ें यहां

बता दें, 26वें दिन की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने सभी पक्षों से 18 अक्टूबर तक अपनी जिरह पूरी करने को कहा है. कोर्ट ने ये भी कहा कि ज़रूरत पड़ी तो कोर्ट रोजाना एक घंटा अतिरिक्त सुनवाई करेंगे. सुप्रीम कोर्ट शनिवार को भी सुनवाई करने और मध्यस्थता के रास्तों को खुला रखने को भी है.

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