अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि (Ram Janambhumi) और बाबरी मस्जिद की विवादित स्थल पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का बड़ा और अहम फैसला आया है. इस मामले में अंतिम फैसला नवंबर में आ सकता है. इस संबंध में सर्वोच्य न्यायालय अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) मामले में सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर तक डेड लाइन तय की है. सीजेआई ने रामलला, मुस्लिम और निर्मोही अखाड़ा पक्ष से पूछा है कि वे कितने समय में अपनी सुनवाई पूरी कर सकते हैं. इस पर मुस्लिम पक्ष ने 27 सितम्बर तक का वक्त मांगा. CJI रंजन गोगोई ने ये भी कहा कि सुनवाई की डेडलाइन के बाद निर्णय लिखने में 4 हफ्तों का वक्त लगेगा, उसके बाद अयोध्या मामले में अंतिम फैसला सुनाया जाएगा. इससे तो यही कयास लगाए जा रहे हैं कि अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल मामले में फैसला नवम्बर में आ जाएगा.

बुधवार को 26वें दिन की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से 18 अक्टूबर तक अपनी जिरह पूरी करने को कहा है. कोर्ट ने ये भी कहा कि ज़रूरत पड़ी तो कोर्ट रोजाना एक घंटा अतिरिक्त सुनवाई करेंगे. साथ ही शनिवार को भी सुनवाई करने के लिए तैयार है. शीर्ष अदालत की टिप्पणी से साफ है कि नवंबर में अयोध्या मसले पर अंतिम फैसला आ सकता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि मामले की हफ्ते में 5 दिन की सुनवाई बंद नहीं होगी. ये ऐसी ही चलती रहेगी.

दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के रास्ते को भी खुला रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पक्षकार चाहते हैं तो मध्यस्थता का रास्ता भी अपना सकते हैं. इस बारे में वह अदालत को बता सकते हैं. इस मामले पर सीजेआई ने कहा कि अगर बातचीत से विवाद सुलझता है तो हमें कोई दिक्कत नहीं.

चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि उन्हें मध्यस्थता पैनल की ओर से चिट्ठी मिली है, जिसमें इस बात का जिक्र किया है कि कुछ पक्ष अभी भी मध्यस्थता करना चाहते हैं. अगर ऐसा है तो इस पर बातचीत की जा सकती है. अदालत ने मध्यस्थता की प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय रखने का भरोसा दिलाया है.

आपको बता दें, पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवादित जमीन मामले में मध्यस्था के लिए एक पैनल गठित किया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज एफएम कलीफुल्ला, वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू और अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर शामिल थे. मध्यस्थता पैनल ने इस विवाद से जुड़े पक्षकारों से 155 दिनों तक बातकर मामले का समाधान निकालने की कोशिश की लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त, 2019 से इस मामले की रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया.

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