अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के विवादित जमीन मामले में 21वें दिन की सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई. सुनवाई की शुरूआत मुस्लिम और सुन्नी वक्फ बोर्ड पक्ष के वकील राजीव धवन की दलीलों से शुरू हुई. मुस्लिम पक्षकार वकील ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि 22 दिसम्बर, 1949 को जो गलती हुई, उसे जारी नहीं रखा जा सकता. क्या हिंदू पक्षकार द्वारा की गई ग​लतियों को लगातार जारी रखने के आधार पर अपने मालिकाना हक का दावा कर सकते हैं? वह ऐसा दावा कर ही नहीं सकते.

राजीव धवन ने कहा कि 22, दिसम्बर, 1949 को जो गलती हुई, उसे जारी नहीं रखा जा सकता. क्या हिंदू रखा जा सकता. क्या हिंदू पक्षकार गलती को लगातार जारी रखने के आधार पर अपने मालिकाना हक का दावा कर सकते है? वह ऐसा दावा नहीं कर सकते. उन्होंने दलील दी कि 22 दिसम्बर, 1949 को मस्जिद के गुंबद के नीचे मूर्ति रख दी गई थी. ये गलत हकरत अवैध एक्ट है लेकिन इसके बाद मजिस्ट्रेट ने यथास्थिति बहाल रखने का आॅर्डर पास कर दिया. क्या ये किसी को अपना अधिकार बताने का गलत आधार हो सकता है?

उन्होंने सवाल उठाया कि क्या 1950 से पहले हिंदू पक्षकार के पास भूमि पर कोई अधिकार था. उन्हें ये इस बात के सबूत देने होंगे कि उससे पहले उनके पास क्या अधिकार था. उनके पास क्या सबूत है. उनके अधिकार और साक्ष्य क्या हैं? मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि एक गलत एक्ट लगातार जारी रहा और उसे ही क्या अधिकार कहा जाएगा? निर्मोही अखाड़ा पहले बाहरी आंगन में राम चबूतरे पर पूजा करता था लेकिन अवैध एक्ट हुआ और फिर वो अंदर के आंगन में आए. इससे पहले वह भीतरी आंगन में कभी नहीं पूजा के लिए आए थे.

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धवन ने कहा कि संवैधानिक बेंच को के दो पहलुओं को देखना है – पहला: विवादित स्थान पर मालिकाना हक किसकता बनता है? दूसरा: क्या गलत एक्ट को लगातार जारी रखा जा सकता है या नहीं.

लाइव-स्ट्रीमिंग की याचिका पर सुनवाई 16 को
सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग वाली याचिका पर 16 सितम्बर (सोमवार) को सुनवाई करेगा. पूर्व आरएसएस विचारक केएन गोविंदाचार्य की याचिका में अयोध्या मामले की सुनवाई के सीधे प्रसारण या रिकॉर्डिंग की मांग की गई है.

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