तीन दिन चले विधानसभा सत्र में लगे 1222 सवाल, नहीं आया एक का भी जवाब, बीजेपी ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

सदन स्थगन के बाद सूचीबद्ध हुए 350 सवालों पर उठ रहे सवाल, अधिकारियों ने भी सदन में नहीं पहुंचाए सवालों के जवाब, 24 अगस्त को स्थगित हुई थी सत्र की कार्यवाही

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Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान की राजनीति में चले करीब एक महीने के लंबे सियासी ड्रामे के बाद 14 अगस्त को आहूत हुआ विधानसभा सत्र तीन दिन चल चला. इस दौरान विपक्ष ने सत्तापक्ष से 1222 सवाल पूछे लेकिन जवाब किया का नहीं दिया गया और न ही संबंधित अधिकारियों ने इन सवालों के जवाब सदन में भिजवाए. वजह रही- इस बार सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं रखे गए. इसके बाद भी 350 सवालों को सूचीबद्ध किया गया. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि जब जवाब देना ही नहीं था तो सवालों को सूचीबद्ध क्यों किया गया.

अब तक 350 से ज्यादा प्रश्न सूचीबद्ध हो चुके थे. इन सवालों को 27 अगस्त तक के लिए सूचीबद्ध किया था, जबकि तीन दिन चली विधानसभा 24 अगस्त को ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई. इस शैली काे लेकर भी सवाल खड़े हाे रहे हैं कि यदि सदन काे स्थगित करना ही था ताे फिर सवालाें काे क्याें सूचीबद्ध किया था?

विधानसभा सत्र के दौरान एक दिन कोविड प्रबंधन व लॉकडाउन से आर्थिक स्थिति पर हुए असर पर चर्चा जरूर रखी गई और प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने इसका रिप्लाई भी दिया, लेकिन विधायकों की ओर से सदन में लगाए सवालों के जबाव उन्हें नहीं मिल पाए. इस सत्र में सबसे ज्यादा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से संबंधित 136 सवाल पूछे गए जिनमें ज्यादातर कोरोना महामारी से जुड़े थे. ऊर्जा विभाग से जुड़े 72 व जलदाय विभाग के 64 सवाल है.

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दरअसल हुआ कुछ यूं कि सरकार के आग्रह पर राज्यपाल ने 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाया. विधायकों ने अपने क्षेत्र व जन समस्याओं से जुड़े हुए सवाल विधानसभा में भेजे लेकिन तीन दिन की विधानसभा में प्रश्नकाल नहीं हो सका और न ही शून्यकाल. विधानसभा प्रशासन ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए विभागों के अधिकारियों के पास नहीं बनाए तो उन्होंने विभागों में सवालों का जवाब ही नहीं भिजवाया, न ही संंबंधित विभागों में विधानसभा के दौरान प्रकोष्ठों का गठन ही किया.

सरकार की इस कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए सदन में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा, ‘प्रश्नकाल व शून्यकाल दोनों नियम व प्रक्रियाओं में विधायकों का अधिकार है. विशेष परिस्थितियों में विधानसभा अध्यक्ष प्रश्नकाल व शून्यकाल को निलंबित कर सकते है. विधानसभा में प्रश्नकाल व शून्यकाल नहीं होना पहला अवसर है. सूचीबद्ध सवालों का अब तक जवाब नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण है. विभागों को विधायकों के सवालों का जवाब देना चाहिए.

इस पर जवाब देते हुए मुख्य सचेतक महेश जोशी का कहना है कि देश के किसी भी दूसरे राज्य की विधानसभा में प्रश्नकाल नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि विधायकों ने जो सवाल लगाए है, उनके जबाव मिल जाएंगे.

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अब 24 अगस्त को विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है. कोरोना संक्रमण के कहर को देखते हुए आगामी डेढ़ दो माह फिर से सदन शुरु कराना शायद संभव नहीं है. ऐसे में प्रश्नों के आंकड़ों तो बदल ही जाएंगे, विधायकों की सवाल पूछने और जवाब देने की नीयत भी बदल जाए, ऐसा होना लाज़मी है. ऐसे में प्रदेश की राजनीति में महज़ खानापूर्ति के लिए रखे गए विधानसभा सत्र और सदन में किए गए सवालों के जवाब में कितने सवाल उठते हैं, देखना रोचक रहने वाला है.

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