इस बार का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो जैसा है. इसी के चलते सियासत के जादूगर और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनावी परिणाम आने से पहले कांग्रेस आलाकमान ने एक और अहम जिम्मेदारी दी है. राहुल गांधी ने खास टास्क देते हुए गहलोत को यूपीए के दलों और अन्य विपक्षी दलों से बातचीत करते हुए उन्हें साधने की जुगत में लगा दिया है. गहलोत के साथ कोषाध्यक्ष अहमद पटेल को भी इस काम में शामिल किया है. लिहाजा गहलोत ने दिल्ली में दो दिन डेरा डालते हुए इस रणनीति पर काम शुरु कर दिया है. हालांकि गहलोत अब जयपुर लौट आए हैं लेकिन फोन के जरिए लगातार अन्य दलों के प्रमुख नेताओं से संपर्क में बने हुए हैं.

दिल्ली में गहलोत ने अहमद पटेल से पहले हर राज्य के संभावित परिणाम पर मंत्रणा की. उसके बाद जोधपुर हाउस में कईं अन्य दलों के नेताओं से गुप्त मुलाकात भी की. बता दे कि कर्नाटक और गुजरात सहित कई राज्यों में गहलोत संकटमोचक की भूमिका में पार्टी के लिए उभरकर सामने आए थे, जिनकी बदौलत उन्हें फिर से राजस्थान का मुख्यमंत्री का दायित्व ​सौंपा गया.

केंद्र में कांग्रेस की संभावित सरकार बनाने के आधार में जुटे गहलोत
दिल्ली में अहमद पटेल से चर्चा करने के बाद चाणक्य गहलोत यूपीए सरकार बनाने के आंंकड़े पर काम में जुट गए हैं. गहलोत सहित कांग्रेस के कद्दावर नेताओं का मानना है कि बीजेपी इस बार केवल 200 सीटें ही जीत पाएगी. ऐसे में यूपीए के अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई जा सकती है. सहयोगी दलों की सीटें कम पड़ने पर गैर यूपीए-एनडीए दल या फिर एनडीए के साथ वाली पार्टियों को कैसे तोड़ा जाए, इस कार्य में सियासी जादूगर का अनुभव और सहयोग लिया जाए. अगर कांग्रेस की उम्मीदों के तहत बीजेपी की गाड़ी 200 सीटों पर अटक जाती है तो फिर गहलोत जैसे वरिष्ठ नेताओं का लंबा सियासी तजुर्बा और उनकी अन्य दलों से ट्यूनिंग यूपीए की सरकार बनानेे में मददगार साबित होगी.

अगर बीजेपी 225 सीटों का आंकड़ा पार करती है तो नरेंद्र मोदी को पीएम बनने से कैसा रोका जाए, इसमें जादूगर के दांवपेंच बेहद काम आ सकते हैं. गहलोत जैसे वरिष्ठ नेता ही अन्य दलों को बीजेपी के किसी अन्य नेता को पीएम प्रोजेक्ट के लिए आगे करने की शर्त के लिए तैयार करा सकते हैं.

गहलोत के साथ अन्य वरिष्ठ नेता भी देखेंगे काम
अशोक गहलोत के साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को भी ऐसी जिम्मेदारियां दी गई हैं. गहलोत के साथ अहमद पटेल, एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल, पी.चिदंबरम, मुकुल वासनिक और गुलाम नबी आजाद आदि उन प्रमुख नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं जो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर चुनावी गणित के आंकड़ों को देख रहे हैं. गहलोत ने दो दिन दिल्ली में नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक करते हुए गहनता से हर राज्य की लोकसभा सीटों के संभावित परिणाम को लेकर फीडबैक जुटाया है. वैसे भी गहलोत के राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं से अच्छे रिश्ते जगजाहिर हैं.

कर्नाटक-गुजरात में गहलोत ने दिखाया था जलवा
बताया जा रहा है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद जेडीएस को देने का आईडिया अशोक गहलोत ने ही दिया था. इस पर आलाकमान ने उन्हें फ्री हैंड दे दिया. उसके बाद गहलोत ने कर्नाटक में कई दिनों तक डेरा डालते हुए कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस की सरकार बना डाली. उससे पहले गुजरात के प्रभारी रहते हुए उन्होंने पीएम मोदी के गृहराज्य में मजबूती से विधानसभा चुनाव लड़ते हुए एक बार तो बीजेपी के छक्के छुड़ा दिए थे. यह गहलोत की रणनीति का ही कमाल था कि कांग्रेस 80 सीटों तक पहुंच गई. उसके बाद से गहलोत आलाकमान के लिए एक बार फिर आंखों का तारा बन गए.

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