शपथ ग्रहण करने के बाद बोबड़े ने लिया मां का आशीष तो गोगोई ने कार्यदिवस के आखिरी दिन तिरुपति के दर पर लगाई ढोक

पूर्व और वर्तमान सीजेआई के व्यवहार में अंतर लेकिन संस्कार एक जैसे, सुप्रीम कोर्ट के 47वें चीफ जस्टिस बने बोबड़े, 18 महीने का होगा कार्यकाल, बीते रविवार को सेवानिवृत हुए गोगोई, न्यायपालिका में बिताए 18 साल

SA Bobde
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पॉलिटॉक्स ब्यूरो. सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को 47वां चीफ जस्टिस मिल गया. जस्टिस शरद अरविंद बोबडे (SA Bobde) ने आज राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की शपथ ग्रहण की. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद एवं गोपनियता की शपथ दिलाई. वहीं पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई बीते रविवार को सेवानिवृत हो गए. वे करीब 18 साल तक जज और साढ़े 13 महीने तक चीफ जस्टिस के रूप में सर्वोच्च न्यायापालिका में रहे. गोगोई के रिटायर होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में जस्टिस आर.भानुमति की एंट्री हुई है जिनका कार्यकाल 9 महीने का होगा.

अब बात करें नव नियुक्त चीफ जस्टिस बोबड़े (SA Bobde) और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के बारे में तो दोनों के व्यवहार में जमीन आसमान का फर्क है लेकिन आचार विचार और संस्कार एक जैसे हैं. शपथ ग्रहण करने के बाद जस्टिस बोबडे ने सबसे पहले अपनी मां के पैर छूकर उनका आशीश लिया और उसके बाद राष्ट्रपति भवन के लिए रवाना हुए. वहीं अपने रिटायरमेंट के दिन रविवार को पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई अपनी धर्मपत्नी संग तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम मंदिर पहुंचे और भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के पूजा-अर्चना की.

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सीजेआई गोगोई ने 3 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण किया था. साढ़े तेरह महीनों के कार्यकाल में उन्होंने अयोध्या मामला, राफेल डील सहित, चीफ जस्टिस का ऑफिस पब्लिक अथॉरिटी, सबरीमाला मामला, अंग्रेजी व हिंदी समेत 7 भाषाओं में फैसला और सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी जैसे 47 ऐतिहासिक फैसलों को अपनी कलम से लिखा.

वहीं नए सीजेआई एसए बोबडे (SA Bobde) खुशमिजाज और मृदुभाषी हैं. बाइक राइडिंग उनका पसंदीदा शौक है और रॉयल एनफील्ड की बुलट की सवारी से उन्हें खास लगाव है. वे इस मोटरसाइकिल को खुद ही चलाते हुए अकसर देखे जाते हैं. साल की शुरुआत में हार्ले डेविडसन की टेस्ट ड्राइव करते हुए वे दुघर्टनाग्रस्त हो गए थे. उन्हें टखने में चोट आई थी जिसके चलते लंबे समय तक सुप्रीम कोर्ट और कॉलेजियम की बैठकों में हिस्सा नहीं ले पाए थे.

जंगल सफारी और एडवेंचर में भी उनकी खासी रूचि है. चीफ जस्टिस बोबडे करीब 18 महीने तक सीजेआई के रूप में काम करेंगे और 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे. अपने वर्तमान कार्यकाल में जस्टिस बोबड़े अयोध्या मामले की 40 दिन तक चलने वाली मैराथन सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल रहे. सुनवाई के दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्ष से सबसे अधिक सवाल इन्होंने ही किए थे. इसके अलावा, आधार कार्ड को लेकर महत्वपूर्ण फैसला देने और देशभर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाली सीजेआई टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली बेंच में भी इनकी उपस्थिति रही है.

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सीजेआई एसए बोबड़े (CJI SA Bobde) का विधि और कानून से गहरा रिश्ता है और वकालत उन्हें खून में मिली है. बोबड़े के परदादा रामचंद पंत बोबडे 1880 से 1900 के बीच चांदा में ख्यात वकील थे. परिवार के नागपुर आने के बाद एमआर उपाख्य भैयासाहब, श्रीनिवास बोबडे, एमआर बोबडे और शरद बोबडे के पिता अरविंद उर्फ भाउसाहब बोबडे भी प्रसिद्ध वकील रहे. एमआर बोबडे ने मध्य प्रांत जबकि भाउसाहब ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता का पद संभाला. एसए बोबडे के चाचा विनोद बोबडे सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध वकील हैं. इसी परंपरा को शरद अरविंद बोबडे आगे बढ़ा रहे हैं. सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के जज बनने से पहले वे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं.

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