क्या ‘क्षत्रप’ बना पाएंगे एक से ज्यादा राज्यों में सरकार? केजरीवाल-ममता की झटपटाहट से चमत्कार की आस!

लोकसभा से पहले विधासनभा चुनाव का रण, क्षेत्रीय क्षत्रपों में कड़ी टक्कर, एक से ज्यादा राज्यों में सरकार बनाने की कोशिश में जुटी क्षेत्रीय पार्टियां, ममता का गोवा, त्रिपुरा और मेघालय पर फोकस तो केजरीवाल पंजाब, उत्तराखंड, यूपी और गोवा में सरकार बनाने की कर रहे हैं कोशिश, हालांकि इस रेस में केजरीवाल मार सकते हैं बाजी, ममता को अभी और मेहनत करने की पड़ेगी जरुरत

केजरीवाल-ममता की झटपटाहट से चमत्कार की आस!
केजरीवाल-ममता की झटपटाहट से चमत्कार की आस!

Politalks.News/Delhi. लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) को अभी समय है लेकिन सभी पार्टियों ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. लोकसभा से पहले कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भाजपा और कांग्रेस के साथ क्षेत्रीय पार्टियों की भी नजर है. अभी देश में कोई भी ऐसी क्षेत्रीय पार्टी नहीं है, जिसकी एक से ज्यादा राज्य में सरकार हो. कांग्रेस (Congress) और भाजपा (BJP) को छोड़ कर सभी क्षेत्रीय पार्टियों का एक से अधिक राज्य में मुख्यमंत्री नहीं है. एक जमाने में वामपंथी पार्टियों के तीन राज्य में सत्ता हुआ करती थी. लेकिन लेफ्ट पार्टियां (Left) तो अब सिमटी सी जा रही हैं. केरल एक राज्य है जहां इनकी सरकार है. वहां भी वन मैन शो चल रहा है.

अगले दो-तीन महीने में पांच राज्यों में और फिर साल के अंत में दो राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसी स्थिति में बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या कोई प्रादेशिक पार्टी एक से ज्यादा राज्य में सरकार बना पाएगी? ऐसा चमत्कार करने वाली पहली क्षेत्रीय पार्टी कौन-सी होगी? अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में छटपटा रहे ममता (Mamata Banerjee) और केजरीवाल (Arvind Kejriwal) में से इस कारनामे को कौन करता है ये देखने वाली बात होगी!

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पंजाब में लग सकती है ‘झाड़ू’, गोवा और उत्तराखंड से आस
क्या ‘कॉमन मैन’ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यह कारनामा कर सकती है या ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पहली पार्टी होगी, जिसकी दो राज्यों में सरकार होगी और दो मुख्यमंत्री होंगे? आम आदमी पार्टी इस बार पंजाब में पूरा जोर लगा रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में आप का पंजाब में जोरदार प्रदर्शन रहा था. ‘दिल्ली’ वाली चुनाव भले नहीं जीत पाई थी लेकिन उसने लगातार 10 साल तक सत्ता में रहे अकाली दल को पीछे धकेला और मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी. बात करें इस बार के चुनाव की तो तमाम चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में आप के अच्छे प्रदर्शन की संभावना जताई जा रही है. अगर पंजाब में आप जीतती है तो केजरीवाल को बाकी सारे प्रादेशिक नेताओं के ऊपर बढ़त मिलेगी. वे कांग्रेस और भाजपा के बाद दो मुख्यमंत्री वाली पार्टी के पहले नेता बन जाएंगे.

ममता दीदी किंग नहीं, आ सकती है किंगमेकर की भूमिका में
बात करें ममता बनर्जी की तो इसके लिए उन्हें इंतजार करना होगा. उनकी पार्टी गोवा में जरूर बहुत जोर लगा रही है लेकिन ऐसी कोई स्थिति बनती नहीं दिख रही है कि उनकी पार्टी सरकार बना ले और उनका मुख्यमंत्री हो जाए. हां, यह संभव है कि उनकी पार्टी एक-दो सीट जीते और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सरकार में शामिल हो जाए. यही स्थिति गोवा में आप की भी हो सकती है. ममता दीदी के लिए सबसे ज्यादा संभावना त्रिपुरा और मेघालय में है, लेकिन उन दोनों राज्यों में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. वे पूर्वोत्तर के राज्यों में तोड़-फोड़ में भी लगी हैं लेकिन सरकार बनाने लायक कामयाबी मिलने की संभावना अभी भी कम ही है.

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आम आदमी पार्टी कर सकती है चमत्कार!
इसलिए ममता से पहले केजरीवाल के लिए यह संभावना है कि उनकी पार्टी पंजाब में चुनाव जीते और दिल्ली के बाद दूसरे राज्य में सरकार बनाए. दोनों राज्य भले छोटे हैं लेकिन दो राज्यों में सरकार वाली पार्टी को विपक्ष में ज्यादा तवज्जो मिलेगी. इसके अलावा संभव है कि गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी आम आदमी पार्टी को कुछ सीटें मिलें. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल में आप को भी सीट मिलेगी उस पर उसका प्रदर्शन अच्छा रहेगा.

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