यूपी: थमा चुनावी शोर, 24 को होगा एलान, कौन बनेगा गोविन्द नगर का शेर और कौन होंगे ढेर?

गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र में शुरू से ही मुख्य रूप से लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रही है, हाई प्रोफाइल सीट होने के कारण सभी प्रत्याशियों ने अपना पूरा जोर इस सीट को जीतने पर लगा दिया है

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के साथ 17 राज्यों में होने वाले 64 सीटों पर उप चुनाव का चुनावी शोर शनिवार शाम 5 बजे से पूरी तरह थम गया है, इसमें बिहार की एक लोकसभा सीट भी शामिल है. उत्तरप्रदेश की 11 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, ऐसे में कौन बनेगा गोविन्द नगर का शेर, कौन होंगे ढेर?, चुनाव प्रचार का शोर थमते ही, सोमवार को गोविन्द नगर विधानसभा के होने वाले उप चुनाव से पहले, यही सवाल हर किसी के मन में चल रहा है.

उत्तरप्रदेश के गोविन्द नगर की जनता के उपचुनाव के भारी उत्साह और प्रत्याशियों के धुआंधार प्रचार ने यहां के चुनावी मौसम में गर्माहट ला दी है. बता दें, यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है, जिसे भेदना विरोधियों के लिए आसान नहीं रहा है. भाजपा के सत्यदेव पचौरी के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है.

वैसे तो आगामी 21 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ई.वी.एम. मशीन में बंद होगा, जो 24 अक्टूबर को खुलेगा. लेकिन गोविन्द नगर विधानसभा सीट के हाई प्रोफाइल होने के कारण सभी प्रत्याशियों ने अपना पूरा जोर इस सीट को जीतने पर लगा दिया है. यहां से कांग्रेस के अजय कपूर 2002 से 2012 तक विधायक रहे, वहीं उनके बाद से ये सीट भाजपा के सत्यदेव पचौरी के पास रही.

गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र में शुरू से ही मुख्य रूप से लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रही है, लेकिन जहां भाजपा ने इस बार कानपुर भाजपा के जिलाध्यक्ष पंडित सुरेंद्र मथानी को अपना प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को एकतरफा बनाने की कोशिश की है, वहीं कांग्रेस ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र नेता रहीं करिश्मा ठाकुर पर दांव खेला है. अगर बात जातिगत समीकरणों की करें तो इस सीट पर ब्राह्मणों की आबादी सबसे अधिक है, जो जीत में सबसे बड़ी भूमिका निभाते आए हैं.

बता दें, भाजपा प्रत्याशी पंडित सुरेंद्र मथानी पिछले 30 सालों से संगठन में सक्रिय हैं और पिछले 8 सालों से कानपुर भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं. वहीं वे गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र में ही अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं. लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहने के कारण उनकी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है. भाजपा पंडित मथानी की इसी क्रियाशीलता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय मुद्दों को आधार मानकर यहां से रिकॉर्ड वोटों से जीत मान कर चल रही है.

वहीं, अगर बात अगर कांग्रेस, सपा और बसपा के प्रत्याशियों की करें तो तीनों ही पार्टियों ने गोविन्द नगर विधानसभा क्षेत्र से बाहर के प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. कांग्रेस प्रत्याशी करिश्मा ठाकुर का ज्यादातर समय बाहर बीता है और उनके पति विपिन सिंह मुंबई मेंं कांग्रेस पार्टी के युवा नेता हैं. ऐसे में कांग्रेस द्वारा किसी स्थानीय नेता को टिकट न देकर, अचानक बाहर से बुलाकर बाहरी प्रत्याशी को उतारने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी और गुटबाजी बढ़ गई है. जिससे कांग्रेस के लिए मुकाबला आसान नहीं लग रहा है.

अब बात करें बाकी क्षेत्रीय पार्टियों की तो सपा और बसपा का यहां जीत का सपना हमेशा से ढेड़ी खीर ही साबित हुआ है. जबकि प्रदेश में दोनों पार्टियों को सरकार बनाने का मौका मिला, लेकिन गोविन्द नगर की जनता ने दोनों सपा और बसपा को हमेशा निराश ही किया है. सपा ने इस बार सम्राट विकास यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है तो बसपा ने देवी प्रसाद तिवारी पर अपना दाव खेला है. लेकिन इस बार भी जनता का उत्साह देख इन पार्टियों के हालात बदलते नहीं दिखते.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा और बसपा के बीच लड़ाई तीसरे और चौथे स्थान को लेकर ही होगी. पहले और दूसरे नम्बर के लिए घमासान कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. अब इसका परिणााम देखने के लिए हमें 24 अक्टूबर का इंतजार करना पड़ेगा.

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