Thursday, January 16, 2025
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भागवत से उलट आहूजा का बड़ा बयान- ‘मुसलमान नहीं रहे हमारे भाई, हिंदुओं को अब शास्त्र के साथ उठाने पड़ेंगे शस्त्र’: भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता ज्ञानदेव आहूजा का फिर विवादित बयान- ‘मुस्लिम समाज के लोग नहीं रहे हमारे भाई, अब हिंदुओं को शास्त्र के साथ उठाने पड़ेंगे शस्त्र, अलवर के रामगढ़ थाना क्षेत्र में एक 12 वर्षीय नाबालिग से गैंगरेप के मामले में आहूजा ने पीड़िता के परिजनों से की मुलाकात, आहूजा ने की 25 जुलाई को बहादुरपुर में लाठी जेली रैली की घोषणा, रैली में 10 हजार से ज्यादा लोगों के शामिल होने का किया दावा, आहूजा ने कहा- ‘अब समय आ गया है हिंदू संगठनों को शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र भी होगा उठाना, क्योंकि जाति विशेष के लोग हमारी हिंदू बेटियों के साथ आए दिन कर रहे हैं अत्याचार और दुष्कर्म और अब पीड़िता के पिता को आर्थिक प्रलोभन देकर राजीनामे का बनाया जा रहा दबाव, नहीं मानने पर जान से मारने की दी जा रही धमकियां, आहूजा ने कहा कि- ‘लाठी रैली में किसी भी मुसलमान को आने नहीं दिया जाएगा, यदि कोई आएगा तो उसको हाथ पकड़ कर निकाल दिया जाएगा बाहर, क्योंकि अब ये लोग हमारे नहीं रहे भाई, यह भाई तब होते जब यह लोग हमारी बहन-बेटियों के साथ नहीं करते दुष्कर्म, यह हमारे भाई तब हैं, जब ये लोग हमारे मंदिरों को न तोड़ें, यह हमारे भाई तब है जब यह हिंदुओं का न कराएं धर्म परिवर्तन’, आहूजा पहले भी कई बार दे चुके हैं विवादित बयान, वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत का हिंदू-मुस्लिम एकता पर आया है बयान, भागवत ने कहा कि- सभी भारतीयों का DNA है एक’

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विवादों में राज्यपाल की जीवनी पर आधारित किताब, कलराज मिश्र ने जताई नाराजगी: राज्यपाल कलराज मिश्र ने कॉफी टेबल बुक ‘निमित्त मात्र हूं मैं’ के विक्रय प्रकरण पर जताई नाराजगी, मीडिया में आई खबरों पर राज्यपाल ने लिया संज्ञान, पूरे घटनाक्रम को लेकर जताई नाराजगी, मामले से जुड़े लोगों से मांगा जाएगा स्पष्टीकरण, दोषियों के खिलाफ होगी विधिक कार्रवाई, राज्यपाल कलराज मिश्र की जीवनी पर आधारित किताब विमोचन के तीसरे ही दिन आई विवादों में, जीवनी के कंटेंट से लेकर उसके बेचने के तरीके तक पर हुआ विवाद, राज्यपाल की जीवनी के प्रकाशक ने इसका विमोचन होते ही प्रदेश के सभी 27 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को बिना ऑर्डर दे दीं 19-19 किताबें, साथ ही थमा दिए 68-68 हजार रु. के बिल, पूरे घटनाक्रम पर प्रकाशक और लेखक डॉ. डीके टकनेत ने विवाद बढ़ने के बाद दी सफाई, कहा- ‘7 से 8 कुलपतियों ने खुद मुझसे किताब लेने की जताई थी इच्छा, जिसके बाद किताब दी गई उन्हें, यदि किसी को किताब लेने की नहीं है इच्छा, तो वह लौटा सकता है, जबरन नहीं दी गई’
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