कांग्रेसी दिग्गज बाबा केदार की शरण में, रावत ने एक तीर से साधी देवभूमि और पंजाब की राजनीति!

दूरियां कम करने को रावत ने सिद्धू और चन्नी को बुलाया केदारनाथ धाम? अचानक केदारनाथ क्यों पहुंचें पंजाबी कांग्रेस के दिग्गज, इसके पीछे रावत का है राजनीतिक कौशल, एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं रावत, देवस्थानम बोर्ड के विरोध को भुनाएंगे साथ ही पंजाब कांग्रेस में एकजुटता दिखाने की कोशिश, भाजपा के पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र को कल नहीं करने दिए गए थे बाबा के दर्शन

रावत ने एक तीर से साधी देवभूमि और पंजाब की राजनीति !
रावत ने एक तीर से साधी देवभूमि और पंजाब की राजनीति !

Politalks.News/Uttrakhand. पंजाब कांग्रेस आज बाबा केदार की शरण में है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और प्रभारी हरीश चौधरी देवभूमि उत्तराखंड पहुंचे हैं. देहरादून से केदारनाथ पहुंचे कांग्रेसी दिग्गजों ने पूजा-अर्चना की.इससे पहले इन सभी ने देहरादून पहुंचने के बाद पूर्व प्रभारी हरीश रावत से भी मुलाकात की. सियासी गलियारों में चर्चा है कि पीएम मोदी के 5 नवंबर को प्रस्तावित केदारनाथ यात्रा को लेकर रावत का एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश में देखा जा रहा है. दरअसल देवभूमि उत्तराखंड और पंजाब में एक साथ चुनाव होने हैं. वहीं देवभूमि में देवस्थानम बोर्ड को लेकर सियासत चरम पर है. कल भी भाजपा के पूर्व सीएम को केदारनाथ के दर्शन नहीं करने दिए गए थे. इस विरोध को साधने के लिए रावत लवाजमे के साथ बाबा केदार की शरण में जा रहे हैं. वहीं पंजाब कांग्रेस में एकजुटता दिखाना तो लक्ष्य है ही.

पंजाब कांग्रेस के नेताओं की यह ‘धार्मिक यात्रा’ उस समय हुई है जब पंजाब में कांग्रेस के लिहाज से सब सही नहीं चल रहा है. सीएम चन्नी और सिद्धू की यात्रा ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले पूर्व क्रिकेटर ने चुनाव से ठीक पहले “लॉलीपॉप” की पेशकश करने वाले राजनेताओं पर हमला किया और लोगों से पंजाब के कल्याण के एजेंडे पर वोट देने का आग्रह किया. सिद्धू की यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब चन्नी ने घरेलू श्रेणी के लिए बिजली दरों में 3 रुपये प्रति यूनिट की कमी करने और पंजाब में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा की. वहीं आपको ये भी बता दें कि पंजाब में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. पीसीसी चीफ सिद्धू और सीएम चन्नी के बीच कुछ नियुक्तियों को लेकर अनबन हो चुकी है. पूर्व क्रिकेटर ने पुलिस महानिदेशक, राज्य के महाधिवक्ता और “दागी” नेताओं की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए सितंबर में अचानक पंजाब कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था.

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आपको बता दें कि 5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का केदारनाथ आना प्रस्तावित है. कांग्रेस के नेता अब देवों के देव महादेव की शरण में पहुंच रहे हैं. पंजाब में प्रदेश संगठन और सरकार के बीच मचे घमासन के बीच अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अन्य दिग्गज केदारनाथ धाम के दर्शन को पहुंचे हैं. पंजाब में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई को थामकर एकजुटता दिखाने की कोशिश की जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी के दौर से पहले इन नेताओं के केदारनाथ दर्शन को राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है. पंजाब के नेताओं के केदार दौरे की रणनीति के पीछे पूर्व प्रभारी हरीश रावत की रणनीति मानी जा रही है. दरअसल देवस्थानम बोर्ड को लेकर पहाड़ी राज्य की राजनीति गर्माई हुई है. कल भी पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को केदारनाथ में विरोध झेलना पड़ा था. त्रिवेन्द्र यहां पीएम मोदी की यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे. अब इस विरोध को भुनाने के लिए रावत ने ये सियासी दाव चला है. उत्तराखंड कांग्रेस देवस्थानम बोर्ड के मसले को भुनाने की कोशिश में है . ऐसे में कांग्रेस ने इस यात्रा के माध्यम से एक तीर से कई निशाने साधने की मंशा है. पंजाब में कांग्रेस के भीतर असंतोष थामकर एकजुट होकर राष्ट्रीय स्तर पर संदेश तो दिया ही जा रहा है, साथ में मोदी को दौरे से पहले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही राज्यों पंजाब और उत्तराखंड के मतदाताओं को भी संदेश देने की कोशिश की जा रही है.

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