पॉलिटॉक्स न्यूज. महाराष्ट्र में बीते कुछ दिनों से जो घट रहा है, वहां सब कुछ सही होकर भी सही नहीं है. घड़ी के हर बीतते घंटों में वहां पल पल सियासी गलियारों में अफवाहों का दौर कभी इस पलडे तो कभी उस पलडे की ओर झुकता दिख रहा है. वहां पहले ही बीजेपी लगातार गठबंधन सरकार पर हमलावर बनी हुई है, ऐसे में अब वहां का सियासी घटनाक्रम राष्ट्रपति शासन, राहुल गांधी और शरद पवार के त्रिकोण में फंसता जा रहा है. सरकार पर अस्थिर होने की आशंका भी चरम पर है और बीजेपी लगातार कोरोना के बिगड़ते हालातों का हवाला देते हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है. इन सभी अफवाहों की आंधी को थामने के लिए सीएम उद्धव ठाकरे ने शिवसेना सहित तीनों सहयोगी पार्टियों की बैठक ली है.
दरअसल, बीजेपी बीते कुछ दिनों से प्रदेश में कोरोना के लगातार बढ़ते जा रहे मरीज और बिगड़ते जा रहे हालातों का हवाला देते हुए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता नारायण राणे, पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी नेता राम कदम लगातार सरकार पर नाकामियों को छुपाने के आरोप लगा रहे हैं. प्रदेश की सियासत में मोड़ तो तब आया जब राकंपा चीफ शरद पवार पहले रात करीब डेढ़ बजे सीएम उद्धव ठाकरे से मिलने पहुंचे और अगली सुबह राज्यपाल कोश्यारी से मुलाकात करने पहुंचे. बस यहीं से सियासी दौर शुरु हो गया और कयास उठने शुरु हो गए कि दोनों पार्टियों के बीच कुछ भी सही नहीं चल रहा है.
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बीते दिन यानि मंगलवार को राहुल गांधी के एक बयान ने इस आग में घी का काम किया जिससे ये भड़क गई. राहुल गांधी ने प्रदेश में बढ़ते कोरोना मरीजों पर कहा कि हमारी पार्टी वहां सरकार में है लेकिन डिसिजन मेकर नहीं. बस फिर क्या था, उनका ये बयान ही उन पर भारी पड़ गया. बीजेपी के नेताओं ने इसका भरपूर फायदा उठाया और ये अफवाहें फैला दी कि गठबंधन सरकार में दरार पड़ गई है और कांग्रेस समर्थन से हाथ खींच सकती है.
मामला गर्म होते देख सीएम उद्धव ठाकरे ने बीती शाम राहुल गांधी से फोन पर वार्ता की. राहुल गांधी ने कहा कि समर्थन वापिस लेने का उनका कोई इरादा नहीं और पार्टी सरकार के पूरी तरह समर्थन में है. राहुल गांधी ने ये भी कहा कि उनके बयान को उस तरह पेश नहीं किया गया, जैसा उनका मतलब था. वहीं शरद पवार ने भी राज्यपाल कोश्यारी से अपनी मुलाकात को औपचारिक मुलाकात बताते हुए कहा कि इसके कोई सियासी मायने न निकाले जाएं. साथ ही मुख्यमंत्री ठाकरे से हुई मुलाकात के बारे में एनसीपी चीफ ने कहा कि कोरोना संकट की घड़ी में विचारों का आदान प्रदान और योजनाओं से अवगत कराने को लेकर ये बैठक हुई थी. इसमें समर्थन वापिस लेने या गठबंधन तोड़ने जैसे कोई बात नहीं है.
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इसके बाद गठबंधन सरकार को लेकर चल रही सभी अफवाहों की आंधी को थामने के लिए सीएम उद्धव ठाकरे ने आनन फानन में बुधवार को तीनों सहयोगी पार्टियों की बैठक ली. यहां उन्होंने बताया कि तीनों पार्टियों की एकता को कोई खतरा नहीं. खुद राहुल गांधी ने डेमेज कंट्रोल की बात कही है. सरकार में मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाला साहब थोराट ने भी गठबंधन सरकार में मतभेद होने या समर्थन वापिस लेने की बातों का खंडन करते हुए कहा कि सरकार सुरक्षित है और सब कुछ ठीक चल रहा है.
इसी बीच महाराष्ट्र की सियासत के भीष्म पितामह बनकर उभरे शिवसेना प्रवक्ता और ‘सामना’ के संपादक संजय राउत ने तीखा कटाक्ष करते हुए बीजेपी पर हमला बोला. राउत ने कहा कि बीजेपी सरकार गिराना चाहती है लेकिन ये उद्धव सरकार है जो पूरे 5 साल टिकेगी. उन्होंने कहा कि जिसे जैसा सोचना है सोचे लेकिन सरकार गिराने की उनकी मंशा कभी पूरी नहीं होगी. शिवसेना नेता ने ये कहकर भी विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी कि अभी हमारे पास 170 विधायक हैं लेकिन आने वाले समय में ये संख्या 200 या इसके पार हो जाए तो कोई हमपर आक्षेप ना करे. इसके बाद कहीं जाकर ये मामला अब ठंडा पड़ने लगा है.