राजस्थान की राजनीति से जुडी बड़ी खबर, पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल में साल 2022 में 25 सितम्बर को राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में जो कुछ हुआ, वह अब बन चुका है ऐसा इतिहास, जिसे शायद कोई भी कांग्रेसी नहीं रखना चाहेगा याद, राजस्थान कांग्रेस के विधायकों की 25 सितंबर की बगावत ही वह कारण बनी, जिसके चलते 25 सितंबर को राजस्थान में पर्यवेक्षक बनकर आए मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस की सुप्रीम पोस्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष का मिला पद, 25 सितम्बर के दिन राजस्थान का हर कांग्रेस नेता यही सोचता होगा की अगर उस दिन सियासी बवाल नहीं होता तो शायद आज प्रदेश में होती कांग्रेस की ही सरकार, यह कहना नहीं होगा गलत की गहलोत-पायलट के आपसी विवाद के कारण ही कांग्रेस हारी है 2023 का विधानसभा चुनाव, तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सरकारी निवास पर होने वाली 25 सितम्बर 2022 को विधायक दल की बैठक से पहले ही गहलोत गुट के कथित करीब 70 विधायकों ने तत्कालीन मंत्री शांति धारीवाल के सरकारी आवास पर एकत्रित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचकर दिया था इस्तीफा, उस वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की कर रहे थे तैयारी, ऐसे में माना जा रहा था कि उनकी जगह मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पसंद थे सचिन पायलट, लेकिन गहलोत खेमें के विधायक पायलट के नाम पर हो गए थे नाराज, विधायक दल की बैठक में होना था एक लाइन का प्रस्ताव पारित, लेकिन गहलोत खेमें के विधयकों ने ऐसा होने नहीं दिया और शांति धारीवाल के घर पर हो गए थे जमा, इसके बाद करीब 70 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचकर दे दिया था इस्तीफा, इस बवाल को लेकर आज तक कांग्रेस के कई नेता मीडिया में कर रहें हैं बयानबाजी, इस मामले को लेकर एक साल बाद भी सचिन पायलट ने कहा था कि राजस्थान कांग्रेस में जो घटनाक्रम हुआ, उसमें पार्टी की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के आदेशों की हुई है अवमानना, उनकी हुई बेइज्जती, पायलट ने कहा था कि 25 सितंबर की घटना के बाद जिन नेताओं को दिए गए नोटिस, उन पर आज तक नहीं हुई कोई कार्रवाई,यह है सोचने वाली बात, वहीं आज भी 25 सितंबर की घटना को लेकर सचिन पायलट को है अफसोस, पायलट गुट के नेताओं का मानना है कि विधायक दल की बैठक होती तो उसमें सचिन पायलट को बनाया जा सकता था मुख्यमंत्री, 29 सितंबर 2022 को गहलोत गए थे दिल्ली और सोनिया गांधी से की थी मुलाकात, इस मुलाकात के बाद गहलोत ने मीडिया में कहा था कि एक लाइन का संकल्प प्रस्ताव पारित करना हमारी है परंपरा, दुर्भाग्य से, ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि प्रस्ताव नहीं हुआ पारित, यह थी मेरी नैतिक जिम्मेदारी, लेकिन मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैं प्रस्ताव नहीं करा सका पारित, मैंने इसके लिए सोनिया गांधी से मांग ली है माफी, बता दें 25 सितंबर के कांड के कारण गहलोत के हाथ से कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी चला गया, वहीं आज भी अगर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से 25 सितंबर 2022 को लेकर पूछते है सवाल, तो यह कहते है कि गहलोत-पायलट के विवाद के कारण ही प्रदेश में कांग्रेस नहीं सकी रिपीट, दोनों नेताओं के कारण ही प्रदेश कांग्रेस को हुआ है नुकसान