जिलों के ‘मुखिया’ के लिए कांग्रेस में खींचतान, कहीं गहलोत-पायलट कैंप तो कहीं ‘अपनों’ में मचा घमासान

11 महीनों से से खाली पदों पर नियुक्ति को लेकर घमासान, जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर गहलोत-पायलट गुट के बीच खींचतान तो कई जिलों में गहलोत खेमे के नेता ही हुए आमने-सामने, जयपुर में दिग्गजों में खींचतान तो सीकर-झुंझुनूं में डोटासरा की अग्नि परीक्षा, रस्साकशी के चलते 15 जिलों से अभी तक दिल्ली नहीं पहुंचे नाम

जिलों के 'मुखिया' के लिए कांग्रेस में खींचतान
जिलों के 'मुखिया' के लिए कांग्रेस में खींचतान

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश कांग्रेस में 11 महीनों से भंग जिलाध्यक्षों के पदों पर नई नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने भले ही कवायद तेज कर दी हो और सीधे नाम दिल्ली मंगाए जा रहे हो, लेकिन प्रदेश में 15 से ज्यादा जिले ऐसे हैं, जहां पर जिलाध्यक्षों के नामों को लेकर घमासान जारी है. अपने-अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता आमने-सामने हो गए हैं. दरअसल इन जिलों में से कई जिले ऐसे हैं, जहां पर सचिन पायलट कैंप और अशोक गहलोत कैंप के नेता आमने-सामने हैं तो वहीं कई जिले ऐसे भी है जहां पर केवल अशोक गलत कैंप के लोग ही अपने-अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं.

जयपुर शहर के लिए सबसे भारी ‘दंगल’, मंत्री-विधायकों में जबरदस्त ‘रस्साकशी’
कांग्रेस जिलाध्यक्षों में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले जयपुर शहर जिलाध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत खेमे के नेता ही आमने-सामने हैं. जयपुर शहर अध्यक्ष पद के लिए विधायक रफीक खान सबसे प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं. गहलोत कैंप के ही महेश जोशी और प्रताप सिंह खाचरियावास अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने की लॉबिंग कर रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपने एक समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए जोर लगाए हुए हैं तो वहीं सचिन पायलट भी अपने समर्थक को जयपुर शहर अध्यक्ष बनाना चाहते हैं. ऐसे में जयपुर शहर अध्यक्ष को लेकर भारी खींचतान बनी हुई है.

जयपुर देहात का ‘दंगल’
जयपुर देहात जिला अध्यक्ष पद को लेकर भी अशोक गहलोत कैंप सचिन पायलट कैंप के बीच खींचतान है. पायलट कैप के मनीष यादव यहां जिला अध्यक्ष बनने की लॉबिंग कर रहे हैं तो वहीं गहलोत कैंप के माने जाने वाले विधायक गोपाल मीणा भी अध्यक्ष बनने की रेस में हैं. इसके अलावा गहलोत कैंप के ही मंत्री लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने कर रहे हैं.

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सीकर में डोटासरा की ‘अग्नि परीक्षा’
सीकर जिलाध्यक्ष को लेकर सबसे ज्यादा खींचतान सीकर जिले में देखने को मिल रही है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का गृह क्षेत्र होने के चलते पीसीसी चीफ डोटासरा यहां अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं लेकिन यहां प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष चौधरी नारायण सिंह, वरिष्ठ विधायक राजेंद्र पारीक, परसराम मोरदिया और दीपेंद्र सिंह शेखावत अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए जोर लगाए हुए हैं.

झुंझुनूं में डोटासरा-गहलोत-पायलट समर्थकों में जोर आजमाइश
झुंझुनूं जिला अध्यक्ष पद को लेकर भी जोर आजमाइश चल रही है. झुंझुनूं में भी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं लेकिन यहां पायलट कैंप के माने जाने वाले बृजेंद्र ओला और अशोक गहलोत कैंप के माने जाने वाले राजकुमार शर्मा अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग
कर रहे हैं.

अजमेर शहर और देहात का ‘घमासान’
अजमेर शहर और देहात जिलाध्यक्षों को लेकर भी यहां सचिन पायलट कैंप और अशोक गहलोत के सामने-सामने हैं. अजमेर शहर और देहात दोनों जगह सचिन पायलट अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं तो वहीं गहलोत कैंप के माने जाने वाले चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अजमेर शहर और देहात दोनों पर अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने की लॉबिंग कर रहे हैं. ऐसे में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में यहां भी पेच फंसा हुआ है.

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भीलवाड़ा में जोशी-चांदना के समर्थक रेस में
भीलवाड़ा जिले में भी जिलाध्यक्ष बनाने को लेकर खींचतान जारी है. भीलवाड़ा से लोकसभा सांसद रह चुके विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाने का प्रयास कर रहे हैं. निवर्तमान जिलाध्यक्ष रामपाल शर्मा भी सीपी जोशी समर्थक हैं तो वहीं गहलोत कैंप के माने जाने वाले विधायक रामलाल जाट और खेल मंत्री अशोक चांदना भी अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं. ऐसे में भीलवाड़ा में जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर गहलोत के नेता ही आमने-सामने हैं.

उदयपुर में रघुवीर मीणा-गिरिजा व्यास की लॉबिंग
उदयपुर जिलाध्यक्ष पद को लेकर भी गहलोत कैंप के नेता ही आमने-सामने हैं. यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले पूर्व सांसद रघुवीर मीणा और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ गिरिजा व्यास अपने-अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने की लॉबिंग कर रहे हैं.

बांसवाड़ा में मालवीय-बामणिया कैंप मैदान में
बांसवाड़ा जिलाध्यक्ष पद को लेकर भी खींचतान बनी हुई है. यहां भी गहलोत कैंप के ही दिग्गजों के बीच जोर आजमाइश चल रही है. गहलोत के माने जाने वाले वरिष्ठ विधायक महेंद्र सिंह मालवीय और मंत्री अर्जुन बामणिया अपने-अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं.

भरतपुर में ‘महाराज’, लोकदल वाले मंत्री, जाहिदा के समर्थक मैदान में
भरतपुर जिलाध्यक्ष पद को लेकर भी खींचतान बनी हुई है. यहां भी गहलोत पायलट गुट के नेता आमने-सामने है. सचिन पायलट कैंप के माने जाने वाले वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह अपने किसी समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए जोर लगाए हुए हैं तो गहलोत कैंप के माने जाने वाले मंत्री सुभाष गर्ग अपने किसी समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं. हालांकि सुभाष गर्ग स्वयं राष्ट्रीय लोक दल से विधायक हैं लेकिन सुभाष गर्ग की मुख्यमंत्री से करीबी किसी से छिपी नहीं है. इसके साथ ही गहलोत कैंप की विधायक जाहिदा खान भी अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग कर रही हैं.

बीकानेर देहात में डूडी और गहलोत समर्थकों ने लगाया जोर
बीकानेर देहात अध्यक्ष पद को लेकर प्रदेश के अन्य जिलों के जैसे ही हाल हैं. पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी यहां अपने समर्थक को जिलाध्य़क्ष बनाना चाहते हैं तो गहलोत कैंप के माने जाने वाले उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी और पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए जोर लगाए हुए हैं.

दौसा बना गहलोत-पायलट कैंप का ‘अखाड़ा’
दौसा जिलाध्यक्ष पद को लेकर भी यहां गहलोत-पायलट गुट आमने-सामने हैं. सचिन पायलट यहां अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं तो गहलोत कैंप के माने जाने वाले वरिष्ठ मंत्री परसादी लाल मीणा अपने समर्थक के लिए लॉबिंग कर रहे हैं.

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