नाराज स्पीकर को मनाने में जुटा सत्ता पक्ष, जोशी बोले- पहले करूंगा मुख्यमंत्री से बात, अटक सकते हैं 9 बिल

गांव-शहराें में आमजन काे पट्टा वितरण, रिजर्व बैंक से लाेन लेने का अनुमाेदन सहित 9 महत्वपूर्ण बिल अटके, जोशी के सीट से खड़े होने के बावजूद धारीवाल बोलते रहे तो नाराज जोशी ने कहा- आप दूसरा अध्यक्ष चुन लीजिए, आप इस तरह अध्यक्ष को डिक्टेट नहीं कर सकते, मैं अभी कार्यवाही स्थगित कर देता हूं, सरकार के मंत्रियों ने खुद ही व्यवधान करके राज्य सरकार काे मुसीबत में डाल दिया- राजेन्द्र राठौड़

नाराज स्पीकर को मनाने में जुटा सत्ता पक्ष, जोशी बोले- पहले करूंगा मुख्यमंत्री से बात
नाराज स्पीकर को मनाने में जुटा सत्ता पक्ष, जोशी बोले- पहले करूंगा मुख्यमंत्री से बात

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान विधानसभा के इतिहास बुधवार को वह घटा जो कभी भी नहीं घटित हुआ था कि सत्ता पक्ष के मंत्रियों से नाराज होकर स्पीकर सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दें, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. दरअसल विधानसभा में एक बिल पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने विपक्ष के हंगामे को लेकर जब अपना पक्ष रखना चाहा, लेकिन स्पीकर सीपी जोशी के रोकने और साफ मना करने के बावजूद भी जब मंत्री लगातार बोलते रहे तो स्पीकर जोशी ने सदन की कार्यवाही अनिश्चित कालीन तक स्थगित कर दी. इस तरह अचानक सदन की कार्यवाही स्थगित किए जाने से वो महत्वपूर्ण 9 बिल पारित नहीं हो पाए जिनके पारित नहीं हाेने से राज्य सरकार से लेकर आमजन की सुविधाओं के मुद्दे पर संकट खड़ा हाे गया है. इसमें गांव-शहराें में आमजन काे पट्टा वितरण, रिजर्व बैंक से लाेन लेने का अनुमाेदन सहित कई जरूरी मुद्दे शामिल हैं.

दरअसल, बुधवार चौथे दिन की कार्यवाही शुरू से ही हंगामेदार रही, वहीं शाम को राजस्थान विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के लिए उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम पुकारा जा चुका था और इससे पहले कार्य सलाहकार समिति (बीएसी) के 18 सितम्बर तक के कार्य को लेकर संशोधन भी पढ़ा जा चुका था. विपक्ष वेल में धरने पर बैठा था, नारे लगाए जा रहे थे और सत्ता पक्ष भी विपक्ष पर निशाना साध रहा था. तब तक आसन की जिम्मेदारी राजेन्द्र पारीक ने संभाल रखी थी. इससे पहले गतिरोध के कारण सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित हो चुकी थी. इसके बाद गतिरोध समाप्त करने के उद्देश्य से अध्यक्ष सीपी जोशी सदन में पहुंचे थे. अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस है, ऐसे में अब तक जो भी हुआ उसको दोनों पक्ष भूलें और सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाएं.

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इस दौरान अध्यक्ष जोशी ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी के बार-बार खड़े होकर बोलने पर नाराजगी जताई. अध्यक्ष ने बोलने की इजाजत नहीं दी, इसके बावजूद दोनों बोलने का प्रयास किया. अध्यक्ष ने नाराज होकर कहा कि आप ऐसे सदन चलाना चाहते हैं, तो मैं चला जाता हूं. सीपी जोशी ने जैसे ही आगे सदन की कार्यवाही चलाने की बात कही संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल खड़े हो गए. इस पर स्पीकर जोशी ने साफ कहा कि अब आगे की कार्यवाही चलेगी और किसी को पुराने मुद्दे पर बोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी. जोशी सीट से खड़े हो गए और धारीवाल को साफ चेतावनी दी. इसके बावजूद धारीवाल बोलते रहे तो नाराज जोशी ने कहा आप दूसरा अध्यक्ष चुन लीजिए, आप इस तरह अध्यक्ष को डिक्टेट नहीं कर सकते, आप सदन नहीं चलाना चाहते तो अभी स्थगित कर देता हूं. धारीवाल इस पर भी बोलने से नहीं रुके तो नाराज स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी.

सीपी जोशी के नाराज होने के बाद सत्ता पक्ष के विधायक और विपक्ष के नेताओं ने सीपी जोशी से मुलाकात की लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया. संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा स्पीकर का विशेषाधिकार है बिना कैबिनेट बुलाए भी स्पीकर सदन की आगे की कार्यवाही फिर से शुरू कर सकते हैं. रामदेव जयंती के चलते कल अवकाश है. ऐसे में अगर सीपी जोशी की मंशा हुई तो 17 सितंबर से विधानसभा की कार्यवाही फिर से शुरू हो सकती है. सूत्रों ने बताया कि अध्यक्ष ने सत्ता पक्ष के लोगों से कहा कि पहले मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात करूंगा, फिर तय करूंगा, क्या करना है.

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ऐसे में अब ससंदीय मामलों के जानकारों से राय ली जा रही है कि फिर से सदन कैसे बुलाया जाए. माना जा रहा है कि अब इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हस्तक्षेप के बाद ही आगे की कार्यवाही की रणनीति तैयार की जाएगी. विधानसभा की कार्यवाही और कानून के जानकार मानते हैं कि सत्ता पक्ष को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए इससे पहले कभी भी स्पीकर ने इस तरह से अनिश्चितकाल तक कार्यवाही को स्थगित नहीं किया है

आपको बता दें, 18 सितंबर तक चलने वाली राजस्थान विधानसभा में 9 महत्वपूर्ण बिल पारित हाेने थे, जिसके पारित नहीं हाेने से राज्य सरकार से लेकर आमजन की सुविधाओं के मुद्दे पर संकट खड़ा हाे गया है. इसमें गांव-शहराें में आमजन काे पट्टा वितरण, रिजर्व बैंक से लाेन लेने का अनुमाेदन और याेजनाओं पर तय बजट से अधिक खर्च हाेने से जुड़ी अतिरिक्त 3163 कराेड़ की सप्लीमेंट्री डिमांड्स से जुड़ी वित्तीय मंजूरी के मुद्दे शामिल है. इसके अलावा मिलावट से जुड़े अपराध पर कड़े प्रावधान लागू करने पर भी असर शामिल है. इससे खासकर राज्य सरकार के काम प्रभावित है.

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वहीं इस मामले में पूर्व संसदीय कार्यमंत्री और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह ने खुद ही व्यवधान करके राज्य सरकार काे मुसीबत में डाल दिया है. अनुदान की मांगे, विनियोग आदि के अनुमाेदन नहीं हाेने से ये मामला राज्य सरकार के गले की फांस बन गया है. छह महीने बाद राज्य सरकार ने सदन की बैठक बुलाई थी, जिस पर सरकार के ही मंत्रियों ने पानी फेर दिया है.

दूसरी ओर विधानसभा में सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने बीजेपी पर ही आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने ताे हमारे मंत्रियाें बाेलने की हठधर्मिता की याेजना बनाई थी. राेडवेज के बिल पर चार घंटे बाेलने के बाद बीजेपी विधायक कहते रहे कि इस बिल पर चर्चा की क्या जरूरत थी. मंत्री प्रताप सिंह काे बाेलने नहीं देने की हठधर्मिता थी. बीजेपी काे विराेध ही करना था ताे बाॅयकाॅट करके चले जाते. महेश जोशी ने कहा कि बहरहाल हमनें हमारी बात अध्यक्ष तक रखवा दी है अब आगे का निर्णय वाे लेंगे.

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