राहुल गांधी के एक-एक सवाल का वित्तमंत्री ने दिया माकूल जवाब, कांग्रेस ने फिर लगाए भटकाने के आरोप

मंगलवार रात को 10 बजकर 58 मिनट पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सिलसिलेवार तरीक़े से एक के बाद एक पोस्ट किए गए 13 ट्वीट्स बता रहे थे कि विपक्ष जब-जब नीरव मोदी और मेहुल चौकसी का नाम लेगा, सरकार ख़ामोश नहीं रहेगी, वहीं सुरजेवाला ने वित्तमंत्री पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और भटकाने के आरोप

राहुल गांधी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण
राहुल गांधी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण

पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. बीते मंगलवार की शाम को आरबीआई द्वारा 50 विलफुल डिफाल्टर्स की लिस्ट जारी करने के बाद कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हो गई थी. लेकिन मंगलवार रात को 10 बजकर 58 मिनट पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सिलसिलेवार तरीक़े से एक के बाद एक पोस्ट किए गए 13 ट्वीट्स बता रहे थे कि विपक्ष जब-जब नीरव मोदी और मेहुल चौकसी का नाम लेगा, सरकार ख़ामोश नहीं रहेगी. वित्तमंत्री ने अधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि मोदी सरकार वास्तव में वित्तीय प्रणाली की सफाई करने और विलफुल डिफाल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटी है और भ्रष्टाचार व क्रोनिज्म समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने जवाब में राहुल गांधी के एक-एक सवाल का बड़ा करारा जवाब दिया, यहां तक कहा कि “राहुल गांधी और कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने निहायत ही बेशर्मी से लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है. ये कांग्रेस की शैली है, वे तथ्यों को संदर्भ से हटकर सनसनीखेज़ बना देते हैं.”

दरअसल इस सियासी घमासान की शुरुआत उस समय हुई जब आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले की एक आरटीआई के जवाब में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने बैंकों का क़र्ज़ दबाकर बैठे 50 बड़े कारोबारियों के नाम सार्वजनिक कर दिए. RBI ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए 50 सबसे बड़े बैंक घोटालेबाजों का 68,607 करोड़ रुपए माफ करने की बात स्वीकार की थी. इस लिस्ट में मेहुल चोकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या सहित कई कारोबारी हैं जिन पर बैंकों का कर्ज बकाया चल रहा है. इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र सरकार पर बड़े बैंक डिफॉल्टर के नामों को छिपाने का आरोप लगाया था.

इन आरोपों का खंडन करते हुए वित्तमंत्री सीतारमण ने ट्वीट लिखते हुए कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी को आत्ममंथन करना चाहिए कि वे प्रणाली को साफ करने में एक रचनात्मक भूमिका क्यों नहीं निभा पाते हैं. कांग्रेस ने न तो सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार और क्रोनिज्म को रोकने में कोई प्रतिबद्धता दिखा पाई और न विपक्ष में रहकर.

वित्तमंत्री ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं की आज की कोशिश विलफुल डिफाल्टर्स, बुरे ऋण और बट्टा खाता पर भ्रमित करने की है. वर्ष 2009-10 और 2013-14 के बीच शेड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों ने 1,45,226.00 रुपये बट्टा खाते में डाल दिया था. उम्मीद है कि राहुल गांधी ने डॉ. मनमोहन सिंह से इस बट्टा खाता के बारे में परामर्श किया होगा.

निर्मला ने पूर्व में आरबीआई गवर्नर द्वारा कही गई बात का भी जिक्र करते हुए कहा, ‘रघुराम राजन ने कहा था कि बड़ी संख्या में बुरे लोन 2006-2008 के दौरान पैदा हुए. कई सारे लोन अच्छे संपर्क वाले प्रमोटरों को दिए गए, जिनका कर्ज डिफाल्ट करने का इतिहास रहा है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लगातार प्रमोटरों को कर्ज देते रहे, जबकि निजी क्षेत्र के बैंक बाहर निकलते रहे. आरबीआई को कर्ज देने की गुणवत्ता के बारे में अधिक सतर्क होना चाहिए था.’

नीरव मोदी के मामले का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि नीरव मोदी की 2,387 करोड़ रुपये मूल्य की चल-अचल संपत्तियां कुर्क/जब्त की गईं है. इसमें 961.47 करोड़ रुपये की विदेशों में की गई कुर्की और लक्जरी वस्तुओं की 53.45 करोड़ रुपये में नीलामी शामिल है. फिलहाल वह ब्रिटेन की जेल में है.

वहीं मेहुल चोकसी के मामले में 1936.95 करोड़ रुपये की कुर्की में 67.9 करोड़ रुपये की विदेशो में की गई कुर्की शामिल है. इसके अतिरिक्त 597.75 करोड़ रुपये की जब्ती भी की गई है. इसके लिए रेड नोटिस जारी किया जा चुका है और एंटीगुआ को प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा गया है. मेहुल चोकसी को भगोड़ा घोषित कराने की सुनवाई प्रगति पर है.

वित्तमंत्री ने विजय माल्या प्रकरण में कहा कि कुर्की के समय संपत्ति का कुल मूल्य 8,040 करोड़ रुपये था और जब्त संपत्ति का मूल्य 1,693 करोड़ रुपये है. उसे भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. भारत सरकार के प्रत्यर्पण अनुरोध पर ब्रिटिश हाईकोर्ट ने प्रत्यर्पण के लिए फैसला सुनाया है. नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या के मामलों में कुल कुर्की व जब्ती का मूल्य 18,332.7 करोड़ रुपये है.

वित्तमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार इन विलफुल डिफाल्टर्स का पीछा कर रही है और इनके खिलाफ 9,967 वसूली मुकदमें, 3,515 एफआईआर दर्ज कराए जा चुके हैं. इन मामलों में भगोड़ा संशोधन अधिनियम लागू करने की प्रक्रिया जारी है.

वित्त मंत्री के जवाब में ‘विलफुल डिफॉल्टर’, ‘बैड लोन’, ‘राइट ऑफ़’, ‘वेव ऑफ़’ और ‘एनपीए खाते’ जैसे कई बैंकिंग और एकाउंटिंग टर्म्स इस्तेमाल किए गए हैं. निर्मला सीतारमण ने अपने स्पष्टीकरण में ‘विलफुल डिफॉल्टर’ को समझाया है. लोन चुकाने में नाकाम रहने वाले वैसे लोग जिनके पास क़र्ज़ अदा करने की क्षमता है, लेकिन वे इस पैसे को कहीं और लगा देते हैं, या हेराफेरी करते हैं, या बैंक की इजाज़त के बिना सुरक्षित संपत्ति को बेच देते हैं, उन्हें विलफुल डिफॉल्टर की कैटगिरी में रखा जाता है.

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बात यहीं खत्म नहीं हुई, बुधवार को भी कांग्रेस ने सरकार पर ‘बैड लोन’ को लेकर हमलावर रुख़ अपनाए रखा. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार देश की बैंकिंग सिस्टम को कमज़ोर कर रही है. निर्मला सीतारमण के जवाबों पर कांग्रेस ने तथ्यों को ‘तोड़मरोड़ कर’ पेश करने का आरोप लगाया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वित्तमंत्री जैसे बड़े पद पर बैठकर झूठ बोलना और भटकाना तो और भी बड़ा पाप है.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “6,66,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ राइट ऑफ़ को ‘सिस्टम की सफ़ाई’ नही, बैंक में जमा ‘जनता की गाढ़ी कमाई की सफ़ाई’ कहते हैं.”

एक अन्य ट्वीट करते हुए सुरजेवाला ने कहा, “देश को भटकाने की बजाय निर्मला सीतारमण जी को सत्य बताना चाहिए, क्योंकि यही राज धर्म की कसौटी है-: 1. मोदी सरकार ने 2014-15 से 2019-20 के बीच डिफ़ॉल्टरों का 6,66,000 करोड़ रुपये क़र्ज़ क्यों राइट ऑफ़ किया? 2. क्या 95 डिफ़ॉल्टरों का 68,607 करोड़ रुपये क़र्ज़ माफ़ करने का RBI का RTI जबाब सही है?”

अपने तीसरे ट्वीट में रणदीप सुरजेवाला ने वित्तमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि, “मोदी सरकार देश का पैसा ले कर भाग गए घोटालेबाज़ों – नीरव मोदी+मेहुल चोकसी (8,048 करोड़ रुपये), जतिन मेहता (6,038 करोड़ रुपये), माल्या (1,943 करोड़ रुपये) – और अन्य मित्रों का क़र्ज़ क्यों राइट ऑफ़ कर रही है? इतना बड़े 6,66,000 करोड़ रुपये के बैंक क़र्ज़ राइट ऑफ़ की अनुमति सरकार में किसने दी और क्यों?”

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