सीएए पर गृहमंत्री के मुंह से ऐसी भाषा शोभा नहीं देती, सरकार के इस कदम से डर का माहौल: यशवंत सिन्हा

मुंबई से गांधी शांति यात्रा लेकर निकले पूर्व वित्त मंत्री पहुंचे लखनऊ, सपा कार्यालय में किया मीडिया को संबोधित, वहीं मायावती ने सीएए-एनआरसी को लेकर दर्ज मुकदमे को वापिस लेने की मांग उठाई

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. मुंबई से गांधी शांति यात्रा लेकर निकले देश के पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा सोमवार को लखनऊ पहुंचे. यहां उन्होंने समाजवादी पार्टी के दफ्तर में मीडिया से बातचीत की. इस दौरान यशवंत सिन्हा ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सीएए को संविधान के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि सीएए पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है. इस तरह के संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं थी. बता दें, 30 जनवरी को गांधी शांति यात्रा का समापन दिल्ली में होगा. इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता शत्रुध्न सिन्हा भी वहां मौजूद रहे. दूसरी ओर, मायावती ने सोशल मीडिया पर सीएए-एनआरसी को लेकर दर्ज मुकदमे को वापिस लेने की मांग उठाई.

वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि सरकार के इस कदम से देश में डर और अशांति का माहौल है. सरकार का काम लोगों में भय दूर करना होता है लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने इसी शहर में कहा था कि सीएए पर हम एक इंच नहीं हटेंगे. क्या गृहमंत्री को ऐसा बयान देना चाहिए? ऐसा बयान उनके मुंह से शोभा नहीं देता. सिन्हा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोगों की पहचान करनी शुरू कर दी है कि किसे नागरिकता देनी है. समाज को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है. उन्होंने गांधी युग को याद करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का मंत्र सत्य और अहिंसा था लेकिन आज की सरकार का मंत्र केवल झूठ और हिंसा रह गया है.

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मीडिया को संबोधित करते हुए सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि हमें वो दिन भी याद करना चाहिए जब सरकार ने कहा था कि नोटबंदी के बाद आतंकवाद की कमर टूट जाएगी और अवैध ट्रांजेक्शन बंद हो जाएंगे. अब अर्थव्यवस्था की डफली फट गई है तो सरकार सच को मारने में लगी हुई है. इसके लिए केंद्र सरकार हिंसा का सहारा ले रही है. यादव ने कहा कि जो लोग आज सरकार में बैठे हैं, यही लोग बाद में रजाई में मुंह छुपा कर रोएंगे.

उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया के जरिए सीएए और एनआरसी को लेकर दर्ज किए गए गलत मुकदमे वापस लेने की मांग उठाई. साथ ही मृतकों के परिवारों की मदद करने की भी अपील की.

इससे पहले मायावती ने सीएए को लखनऊ विश्वविद्यालय में नागरिकता कानून को शामिल किए जाने के प्रस्ताव को लेकर कड़ा ऐतराज जाया था. उन्होंने कहा कि सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अति विवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित. बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी.

मायावती ने यह भी कहा कि आति-विवादित सीएए-एनआरसी के खिलाफ पूरे देश में खासकर युवा व महिलाओं के संगठित होकर संघर्ष व आन्दोलित हो जाने से परेशान केन्द्र सरकार द्वारा लखनऊ की रैली में विपक्ष को इस मुद्दे पर बहस करने की चुनौती को बसपा किसी भी मंच पर व कहीं भी स्वीकार करने को तैयार है.

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