कांग्रेस में घमासान: सिब्बल के बाद सुबोधकांत ने उठाए पार्टी पर सवाल, कहा- नट-बोल्ट टाइट करने की जरूरत

कांग्रेस की कार्यशैली और नेतृत्व पर लगातार पार्टी के नेता ही उठा रहे हैं सवाल, सत्ता व संघर्ष साथ चलने की कला सीखने की बात कही, बीजेपी की कार्यशैली की तारीफ करते हुए कांग्रेस को भी इसे अपनाने की सलाह दी सुबोधकांत ने

Congress (4)
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Politalks.News/Delhi/Congress. बिहार चुनाव के नतीजे कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहे. नतीजों के बाद वरिष्ठ नेताओं का पार्टी की कार्यशैली और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाना बदस्तूर जारी है. हाल ही में कपिल सिब्बल ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की थी. उनके बाद झारखंड कांग्रेस के कद्दावर नेता सुबोधकांत सहाय ने पार्टी संगठन पर सवाल उठाए हैं. सहाय ने कहा कि कांग्रेस ट्रांजिशन पीरियड से गुजर रही है. संगठन का मामला ढीला चल रहा है. इसके लिए नट-बोल्ट टाइट करने की जरूरत है और संगठन की ओवरवायलिंग की आवश्यकता है. सुबोधकांत सहाय ने ये भी कहा कि पार्टी में वैचारिक भिन्नता हो सकती है, लेकिन दुश्मन कोई नहीं है.

सुबोधकांत ने आगे कहा कि सत्ता संघर्ष कैसे साथ चले, इसे कांग्रेस को सीखना होगा. सिर्फ कागजी संघर्ष से संघर्ष नहीं कर पाएंगे और ना ही चुनाव जीत पाएंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सामूहिकता का नेतृत्व होता है. नेहरू गांधी परिवार का नेतृत्व नहीं, उससे ऊपर होता है. सहाय ने बीजेपी की कार्यशैली की तारीफ करते हुए कहा कि भाजपा जिस प्रकार चुनाव में एक-एक प्रत्याशी की मॉनिटरिंग करती है और जिताने तक लगी रहती है, उसी तरह कांग्रेस को भी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा आज भी नजर आती है, लेकिन जब कोई जहर घुल जाता है, तब लोगों की मानसिकता बदल जाती है. ऐसे में उसे हमें सही भी करना है और अपनी विचारधारा को बचाते हुए सफलता भी पानी है.

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सुबोधकांत सहाय ने कहा कि कांग्रेस दूसरों को बैशाखियां देती है. अपना हक दूसरे को देती है, ताकि वह खड़ा हो सके और देश की सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ मजबूती से लड़ सके. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि 20 साल से झारखंड में 17 साल भाजपा रही. यहां शुरू से ही गठबंधन की राजनीति हुई. अभी भी हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार है. भाजपा येन-केन चुनाव को मैनूपुलेट करती है, जिससे कोई राजनीतिक दल अपने से बहुमत नहीं ला पा रहा है. देश में आज धार्मिक की आड़ में सांप्रदायिक पोलराइजेशन हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीरीज ऑफ विफलता है, बावजूद इसके वही जीत रहे हैं.

उन्होंने कहा कि झारखंड में रघुवर दास की बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंका जा चुका है. बिहार में भी पार्टी ने सफलता पाई है. अब अगला लक्ष्य बंगाल चुनाव है, जहां भाजपा के हाथ में सत्ता नहीं आने देना है. सुबोधकांत सहाय ने कहा कि कांग्रेस के प्रभारियों का काम करने का तौर तरीका भी बदला है. वे जब प्रभारी हुआ करते थे तब सब ऑर्डिनेट के रूप में काम करते थे लेकिन आजकल के प्रभारी हाकिम की तरह काम करते हैं. ऐसा वही लोग करते हैं, जो प्रोक्सी की तरह राजनीति में ऊपर पहुंचे हैं.

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