Politalks.News/Rajasthan. गहलोत मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश के किसानों के हित में यह निर्णय किया कि किसानों के हितों को संरक्षित करने के लिए शीघ्र ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए. इस सत्र में भारत सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों के प्रभाव पर विचार-विमर्श किया जाकर राज्य के किसानों के हित में वांछित संशोधन विधेयक लाए जाएं. मंगलवार शाम मुख्यमंत्री निवास पर हुई राज्य मंत्री परिषद की बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा किसानों से सम्बन्धित विषयों पर बनाए गए तीन नए कानूनों से प्रदेश के किसानों पर पड़ने वाले प्रभावों पर गम्भीर चर्चा की गई.
इस दौरान राज्य मंत्रीपरिषद ने फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की अनिवार्यता पर जोर दिया. साथ ही, व्यापारियों द्वारा किसानों की फसल खरीद के प्रकरण में विवाद होने की स्थिति में उसके निपटारे के लिए सिविल कोर्ट के अधिकारों को बहाल रखने पर भी चर्चा की. मंत्री परिषद का मत है कि राजस्थान में ऐसे प्रकरणों में फसल खरीद के विवादों के मण्डी समिति या सिविल कोर्ट के माध्यम से निपटारे की व्यवस्था पूर्ववत रहनी चाहिए.
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वहीं मंत्रीपरिषद ने यह भी माना कि नए कृषि कानूनों के लागू होने के बाद आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सामान्य परिस्थितियों में विभिन्न कृषि जिन्सों के स्टॉक की अधिकतम सीमा हटाने से कालाबाजारी बढ़ने, अनाधिकृत भण्डारण तथा कीमतें बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. इस दौरान बैठक में यह भी चर्चा की गई कि कॉन्ट्रेट फॉर्मिंग अधिनियम में न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान रखना प्रदेश के किसानों के हित में होगा.
इसके साथ ही गहलोत मंत्रिपरिषद की इस बैठक में प्रदेश में कोरोना संक्रमण तथा इससे निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रबंधन पर भी चर्चा हुई. मंत्रीपरिषद ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि राज्य में कोरोना प्रबंधन बेहतरीन रहा है. हाल ही में केन्द्र सरकार तथा आईसीएमआर द्वारा ली गई वीडियो कॉन्फ्रेंस में प्रदेश में ऑक्सीजन के प्रबंधन, मृत्यु दर पर नियंत्रण में सफलता, प्लाज्मा ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल, निशुल्क लाइफ सेविंग ड्रग्स आदि की सराहना की गई है. मंत्रीपरिषद की बैठक में यह निर्णय भी किया कि कोरोना के विरूद्ध जन आंदोलन को 31 अक्टूबर से एक माह और बढ़ाकर 30 नवम्बर तक जारी रखा जाए.