पॉलिटॉक्स ब्यूरो. लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल ने बीजेपी को दोहरी खुशी जरूर दी होगी, एक तो बिल को 311 मतों से पारित करवाने की खुशी और दूसरी इस बिल के माध्यम से शिवसेना और कांग्रेस के रिश्तों में खटास भी आ गई. दरअसल, शिवसेना के सांसदों ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन में वोटिंग की है. शिवसेना के केंद्र की मोदी सरकार के समर्थन वाले रवैये पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गजरी नाराजगी जाहिर की है. (Sonia threat ShivSena)
सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने साफ शब्दों में शिवसेना को चेताया है कि अगर उनका रवैया केंद्र सरकार के लिए ऐसा ही रहा तो कांग्रेस को महाविकास अघाड़ी सरकार यानि महाराष्ट्र गठबंधन सरकार से समर्थन वापिस लेने के बारे में सोचना पड़ेगा, महाराष्ट्र सरकार में कुछ एक महत्वपूर्ण विभागों के बदले में हम इस तरह का रवैया बर्दाश्त नहीं कर सकते. इस सीधी धमकी के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे सामने आए और यू-टर्न लेने हुए कहा कि जब तक लोकसभा में पूछे गए सभी सवालों का सही जवाब नहीं मिलेगा और सभी बातें क्लियर नही होंगी, तब तक राज्यसभा में इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे. (Sonia threat ShivSena)
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गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल या CAB को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों द्वारा मुस्लिम विरोधी बताया जा रहा है. लोकसभा में इस बिल पर लंबी बहस भी हो चुकी है लेकिन नंबर गेम के चलते भाजपा इस बिल को सदन से पास करा पाने में सफल हो गई. शिवसेना भाजपा वाली विचारधारा पर चलती आई है लेकिन महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए ही उन्होंने परम्परागत विरोधी विचारधारा वाली कांग्रेस से हाथ मिलाया. सीधा-सीधा कहा जाए तो शिवसेना ने अपनी हिंदूवादी विचारधारा से समझौता किया है. इस बिल पर शिवसेना सांसदों के समर्थन करने के बाद कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाराज होना जायज है. (Sonia threat ShivSena)
वहीं दूसरी ओर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइडेट (जेडीयू) में भी इस बिल का समर्थन किए जाने पर विरोध के सुर उठते दिख रहे हैं. जेडीयू ने भी नागरिकता संशोधन बिल का लोकसभा में समर्थन किया है. इस संबंध में पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और पार्टी महासचिव पवन के.वर्मा ने बिल को असंवैधानिक बताते हुए नीतीश कुमार से पार्टी के रूख पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया है. लोकसभा में शिवसेना के 18 तो जेडीयू के 16 सांसद मौजूद हैं.
लोकसभा से जिस तरह ये आसानी से पास हो गया, राज्यसभा में अगर विपक्ष अपने पूरे बल से उपस्थित रहता है तो केंद्र सरकार को बिल पास कराने में परेशानी आना निश्चित है. राज्यसभा में अभी 240 सदस्य हैं. सभी सदस्य मौजूद रहे तो बिल पारित कराने के लिए 121 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा. वहीं राज्यसभा में जदयू के 6 और शिवसेना के तीन सदस्य हैं. बीजेपी के 83 सदस्य राज्यसभा में हैं. अगर उक्त दोनों पार्टियों को हटा लिया जाए तो बीजेडी के 7, टीआरएस के 6, वाईआरएस कांग्रेस के दो और अन्य पार्टियों के तीन सदस्य एनडीए के घटक दल हैं. एआईएडीएमके हालांकि एनडीए में शामिल नहीं हैं लेकिन समर्थक जरूर हैं. इन सभी को मिलाया जाए तो भी बीजेपी के पास 112 वोट ही इस बिल के समर्थन में आएंगे, ऐसे में केंद्र सरकार को अतिरिक्त 9 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी जो आसान नहीं है. लेकिन अगर सांसदों की उपस्थित संख्या बल कम रहता है जैसाकि पूरी उम्मीद है, उस तरीके से नागरिकता संशोधन बिल का राज्यसभा से पास होना करीब-करीब पक्का है.