विधानसभा चुनाव से पूर्व हरियाणा कांग्रेस में राजनीतिक गुटबाजी अपने चरम है. हरियाणा (Haryana) में टिकट वितरण में अपने समर्थकों की अनदेखी से नाराज कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर (Ashok Tanwar) ने गुरुवार को विधानसभा चुनाव के लिए बनी एवं कांग्रेस की सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया. लेकिन तंवर की इस्तीफ़ा पॉलिटिक्स का पार्टी पर कोई विशेष असर नहीं हुआ. अशोक तंवर के इस्तीफे के बाद जारी हुई कांग्रेस की दूसरी और अंतिम सूची में भी तंवर के समर्थकों की छोड़ो खुद तंवर का नाम ही नहीं था. यहां तक कि टिकट देना तो दूर कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने तंवर से मिलने या बात करना तक उचित नहीं समझा.

अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के 5 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे. हाल ही में उनकी जगह कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. इसके बाद से ही अशोक तंवर ने पार्टी के खिलाफ बगावती रूख अख्तियार कर लिया था. बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय के बाहर अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया और कांग्रेस में हुडा और शैलजा पर 5 करोड़ में टिकट बेचने का गंभीर आरोप भी लगाया था. इसके बाद अशोक तंवर ने गुरुवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हुड्डा गुट पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान तंवर ने बताया कि उन्होंने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कांग्रेस की सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है.

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प्रेस-कॉन्फ्रेंस में अशोक तंवर ने आरोप लगाया कि हरियाणा कांग्रेस अब ‘हुड्डा कांग्रेस’ बनती जा रही है और बताया की उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें समितियों से मुक्त किया जाए और वह सामान्य कार्यकर्ता की तरह पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. वह चुनाव के लिए बनी प्रदेश चुनाव समिति सहित कई समितियों में शामिल थे. तंवर ने संवाददाताओं से कहा, ‘आप सभी जानते हैं कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव है. पिछले पांच साल का घटनाक्रम सबके सामने है. पार्टी के अंदर ऐसी ताकतें हैं जिन्होंने पार्टी को लगातार कमजोर किया. जमीन से जुड़े नेताओं को काम करने से रोका.’

इस दौरान तंवर ने सीधे-सीधे पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा (Bhupinder Singh Hodda) पर तंज कसते हुए कहा, ‘देश में लोकतंत्र है, लेकिन हरियाणा में बड़े-बड़े राजघराने हैं. कुछ हमारी पार्टी में हैं और कुछ लोग दूसरी पार्टी में हैं. मेरे खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया, लेकिन लोकसभा चुनाव में छह फीसदी वोट बढ़ा.’ तंवर ने टिकट वितरण में मेहनती कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि यह बताया जाए कि किन मापदंडों के आधार पर टिकट दिए गए हैं. उन्होंने पार्टी पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाते हुए कहा कि सोहना विधानसभा सीट का टिकट 5 करोड़ में बेचा गया है.

अशोक तंवर ने कहा कि मैंने पार्टी के लिए खून और पसीना दोनों दिया है. मैं पांच साल तक प्रदेश का अध्यक्ष रहा. मैंने पूरे समर्पण के साथ पार्टी की सेवा की. मैं साधारण परिवार से राजनीति में आया हूं. पांच साल मैंने विपक्ष की भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि पार्टी में पुराने लोगों को टिकट नहीं दिया गया. उन लोगों को टिकट दिया गया है जिन्होंने हाल ही में पार्टी ज्वाइन की है, ये वही लोग हैं जो पहले कांग्रेस की आलोचना करते थे. उन्होंने कहा कुछ लोगों को नई लीडरशिप बर्दाश्त नहीं. उन्होंने अपनी ही पार्टी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि जिन लोगों ने कांग्रेस को कमजोर किया उनको टिकट क्यों? उन्होंने पार्टी को आह्वान करते हुए कहा कि मैं मानव बम हूं. अब चुप नहीं बैठूंगा.

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लेकिन अशोक तंवर की इन सारी कोशिशों के बाद भी कुछ नहीं हो पाया और कांग्रेस ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी, और लिस्ट में अशोक तंवर और कुमारी शैलजा का दोनों नाम नहीं था. अशोक तंवर को इस चुनाव में टिकट नहीं दिया गया, इससे साफ पता चलता है कि टिकट वितरण में सिर्फ और सिर्फ भूपेन्द्र हुड्डा की चली है. अशोक तंवर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नजदीकी माने जाते हैं और राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है उसके बाद से उनके नजदीकी माने जाने वाले सभी कांग्रेसी नेताओं का कमोबेश यही हश्र हो रहा है. बहराल, हरियाणा में 21 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में अशोक तंवर की बगावत पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाती, इसका पता 24 अक्टूबर को आने वाले नतीजों में सामने आएगा.

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