Politalks.News/RajasthanAssembly. राजस्थान विधानसभा में बुधवार को बैठने की व्यवस्था को लेकर सचिन पायलट समर्थक विधायक और पूर्व मंत्री रमेश मीणा और स्पीकर सीपी जोशी के बीच जबरदस्त भिड़ंत हो गई. दोनों के बीच की भिड़ंत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि स्पीकर जोशी ने यहां तक कह दिया कि ‘आप अध्यक्ष को डिक्टेट नहीं कर सकते, मुझ पर विश्वास नहीं है तो नया अध्यक्ष चुन लीजिए, मुझे खुशी होगी.’ वहीं रमेश मीणा ने विधानसभा के बाहर अपनी ही सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘सदन में बैठने की व्यवस्था में हमारे साथ भेदभाव हो रहा है. सदन के भीतर SC-ST और माइनोरिटी से जुड़े विधायकों को जानबूझकर बिना माइक वाली सीटें दी गई हैं. सदन में बैठने की व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की है. हमारी आवाज को दबाया जा रहा है.’
करौली से आने वाले कांग्रेस विधायक रमेश मीणा ने आगे कहा कि सदन में एससी-एसटी और माइनोरिटी के कांग्रेस में 50 विधायक हैं. कोरोना के नाम पर सदन में बैठने की व्यवस्था की गई है, उसमें दलित वर्ग के मंत्री टीकाराम जूली और भजनलाल जाटव को बिना माइक की सीट दी गई है. मेरे अलावा ST विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय, अल्पंसख्यक विधायक अमीन खान और दानिश अबरार को बिना माइक वाली सीट दी गई हैं. हमारी छोड़िए, जूली और जाटव मंत्री हैं, उन्हें सवालों के जवाब देने होते हैं, उन्हें दूसरी जगह जाना पड़ता है. अमीन खान बुजुर्ग हैं उन्हें पीछे जाने में दिक्कत होती है. मुख्य सचेतक को अवगत करवाने के बावजूद कोई सुधार नहीं किया गया. रमेश मीणा ने कहा कि ये विधायक सरकार की रीढ़ की हड्डी हैं और हमारी ही आवाज को दबाया जा रहा है.
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वहीं स्पीकर सीपी जोशी पर सीधा हमला बोलते हुए रमेश मीना ने कहा कि बैठने की व्यवस्था अध्यक्ष नहीं सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन हमें बोलने का भी अधिकार नहीं है. मीणा ने कहा कि अध्यक्ष नियम पंरपराओं का हवाला देते हैं, लेकिन क्या गुलाबचंद कटारिया, राजेंद्र राठौड़ और संयम लोढ़ा के बोलने से ही इनका पालन होगा क्या? क्यों लगातार संयम लोढ़ा को ही बोलने का मौका दिया जाता है, नियम सब पर लागू होने चाहिए. रमेश मीणा ने कहा कि पहले हर पार्टी के विधायक दल के नेताओं को आगे सीट दी जाती थी लेकिन अब वह व्यवस्था भी बदल दी है.
बता दें, इससे पहले आज सुबह विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान स्पीकर सीपी जोशी और विधायक रमेश मीणा के बीच तकरार तब शुरू हुई जब स्पीकर ने रमेश मीणा को सीट पर जाकर सवाल पूछने को कहा, लेकिन वे नहीं माने और दोनों के बीच जबरदस्त नोकझोंक हो गई. स्पीकर ने रमेश मीणा को सवाल पूछने की इजाजत नहीं दी बल्कि फटकारते हुए कहा कि इसी तरह के आचरण पर मैंने वासुदेव देवनानी को दंडित किया था. आप मंत्री रहे हैं, इस तरह आचरण करेंगे. आप अध्यक्ष को डिक्टेट नहीं कर सकते. मुझ पर विश्वास नहीं है तो नया अध्यक्ष चुन लीजिए, मुझे खुशी होगी.
यही नहीं इसके बाद स्पीकर ने मंत्रियों-विधायकों को सदन के नियमों का उल्लंघन करने पर जमकर लताड़ भी लगाई. सीपी जोशी ने कहा- रमेश मीणा तीसरी बार मेंबर हैं, उन्हें मालूम है कि बैठने की व्यवस्था अध्यक्ष नहीं करते, फिर भी बैठने की व्यवस्था को लेकर अध्यक्ष की तरफ इंगित करें तो यह यह गलत है. कोविड के कारण बैठने की व्यवस्था इस तरह की गई है जिससे कई सीटों पर माइक नहीं हैं. जिन सीटों पर माइक नहीं हैं वे पीछे जाकर बोल सकते हैं. चीफ व्हिप ने अपने विधायकों को इस व्यवस्था के बारे में अवगत करवा दिया होगा. जोशी ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री और चीफ व्हिप अपने स्तर पर फैसले नहीं लेते, जिसकी वजह से मुझे कठोर फैसले करने पड़ते हैं. हम विधानसभा की कमेटी की बैठकों के प्रति गंभीर नहीं रहते. जनता के पैसे का सदुपयोग नहीं हो रहा हो तो मुझे सवाल करने पड़ते हैं. मेरे सवाल करने से मंत्री नाराज होते हैं.
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सत्तापक्ष के विधायकों को नसीहत देते हुए स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि मैं अपेक्षा करता हूं सरकारी पक्ष भी अध्यक्ष की व्यवस्था और नियमों का पालन करें. यह खेद का विषय है कि मंत्रियों को जीरो ऑवर में सदन में रहने की व्यवस्था दी गई थी, इसके बावजूद मंत्री सदन में नहीं रहते. इसके बाद सीपी जोशी ने सख्त होते हुए कहा कि आपने मुझे चुना है, आप चाहें तो मुझे हटा दें, मुझे खुशी होगी. संसदीय कार्यमंत्री से अपेक्षा करता हूं कि सदन में बैठने की व्यवस्था आपने की हैं, कोई विधायक अध्यक्ष को यह डिक्टेट करे कि मैं तो यहीं से पूछूंगा तो यह बर्दाश्त नहीं होगा. सदन की गरिमा गिरती है तो जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा.
मैं साइलेंट स्पीकर की भूमिका में विश्वास नहीं करता हूं
मंत्रियो और विधायकों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सीपी जोशी ने कहा कि, विधानसभा अब शिकायत निवारण केंद्र बनता जा रहा है, यहां कानूनों पर चर्चा कम होती जा रही है. कानून बनाने पर बहस कम होती जा रही है. जनता की समस्याओं का निराकरण हो इसका प्रयास करना चाहिए. मैं स्पीकर एक्टिविज्म में विश्वास करता हूं, साइलेंट स्पीकर की भूमिका में विश्वास नहीं करता. मैं सवाल करता हूं तो मंत्री नाराज होते हैं. लेकिन जलदाय विभाग की 332 करोड़ की स्कीम अब भी पूरी नहीं हो रही और उसकी लागत बढ़ रही है, जनता के धन की बर्बादी रोकने के लिए सवाल उठाना जरूरी है.