लोकसभा चुुनाव के परिणाम के बाद प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी से लेकर जिला संगठन में बदलाव होने तय हैं, फिर चाहे परिणाम कुछ भी रहे. वजह है कईं पीसीसी पदाधिकारी और जिलाध्यक्ष मंत्री-विधायक बन गए. ऐसे में निकाय चुनाव से पहले संगठन को चुस्त और दुरुस्त बनाने के लिए यह बदलाव किया जाएगा. विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मेहनत करने वाले नेताओं को कार्यकारिणी में मौका दिया जा सकता है. बदलाव के मद्देनज़र सियासी और जातिगत समीकरण तो साधे ही जाएंगे, मंत्रियों, विधायकों और लोकसभा चुनाव में जीतने वाले प्रत्याशियों की राय को भी तवज्जो दी जाएगी.

करीब एक दर्जन जिलों में नए जिलाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं. वहीं मंत्री और विधायक बनने वाले पीसीसी पदाधिकारियों को एक व्यक्ति-एक पद के फॉर्मूले के आधार पर हटाया जाएगा. बदलाव की आहट के साथ ही नेताओं ने लॉबिंग भी शुरु कर दी है. इसके लिए कार्यकर्ता और नेता बड़े नेताओं के धोक लगा रहे हैं.

इन जिलों में बनेंगे नए जिलाध्यक्ष

अलवर
अलवर कांग्रेस के मौजूदा जिलाध्यक्ष टीकाराम जूली राज्य सरकार में मंत्री बन चुके हैं. हालांकि विधानसभा चुुनाव के दौरान ही यहां दो कार्यकारी जिलाध्यक्ष बना दिए गए थे. ऐसे में यहां नया जिलाध्यक्ष बनना तय है. डॉ. करण सिंह यादव को नया जिलाध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है. भंवर जितेंद्र सिंह की नए जिलाध्यक्ष बनाने में एक बार फिर बड़ी भूमिका हो सकती है.

भीलवाड़ा
भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष रामपाल शर्मा का हटना तय है क्योंकि उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया गया था. हारे या जीते, दोनों ही स्थितियों में शर्मा की विदाई तय है. शर्मा के लोकसभा चुनाव हारने के आसार पूरे-पूरे हैं. इसके चलते हारे हुए नेता को जिलाध्यक्ष पद पर रखने से अच्छा संदेश नहीं जाने की सोच के चलते उन्हें पद पर नहीं रखा जाएगा.

बूंदी
बूंदी में अभी कांग्रेस में जिलाध्यक्ष का पद खाली पड़ा है क्योंकि सीएल प्रेमी ने बगावत करके विधानसभा चुनाव लड़ लिया था. इसके चलते पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. पिछले छह माह से जिलाध्यक्ष का पद खाली चल रहा है. नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में मंत्री अशोक चांदना का अहम रोल रहेगा.

बीकानेर और देहात
बीकानेर शहर और देहात के दोनों जिलाध्यक्ष बदले जाने की पूरी संभावना है. शहर जिलाध्यक्ष यशपाल गहलोत को दो बार विधानसभा टिकट देने के बावजूद आखिर में बेटिकट कर दिया गया था. उसके बाद मंत्री बीडी कल्ला से गहलोत के मतभेद गहरे हो गए. लिहाजा कल्ला अब अपने खास नेता को नया अध्यक्ष बनाने में जुट गए हैं. देहात में महेंद्र गहलोत को हटाए जाने की पूरी संभावना है क्योंकि नोखा से रामेश्वर डूडी की हार में गहलोत को जिलाध्यक्ष बनाने का समीकरण हावी रहा था. लिहाजा किसी जाट को यहां जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है.

चूरु
चूरु जिलाध्यक्ष भंवरलाल पुजारी की रतनगढ़ से विधानसभा चुनाव में करारी हार हो गई थी. हार के बाद से ही पुजारी यहां सक्रिय नहीं हैं. ऐसे में नए जिलाध्यक्ष बनाने की कवायद यहां जारी है.

धौलपुर
धौलपुर जिलाध्यक्ष अशोक शर्मा ने पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया है. ऐसे में कांग्रेस ने साकेत शर्मा को कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाया. अब कांग्रेस किसी ब्राह्मण को ही नया जिलाध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है.

जयपुर देहात
जयपुर देहात के जिलाध्यक्ष राजेंद्र यादव मंत्री बन चुके हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने संदीप चौधरी और अशोक तंवर को कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाया था लेकिन अब स्थायी जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है. किसी जाट या यादव समाज के नेता को यहां जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है.

जयपुर शहर
जयपुर शहर जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह भी मंत्री बन चुके है. लिहाजा उनकी जगह अब किसी मुस्लिम या ब्राह्मण को जिलाध्यक्ष बनाने पर मंथन चल रहा है.

जालौर
जालौर जिलाध्यक्ष डॉ.समरजीत सिंह विधानसभा चुनाव में हार गए थे. ऐसे में पारसराम मेघवाल को कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाया गया था. बताया जा रहा है कि यहां भी पार्टी नए जिलाध्यक्ष बनाने पर मंथन कर रही है.

राजसमंद
जिलाध्यक्ष देेवकीनंदन काका को लोकसभा का टिकट दे दिया गया था. यहां भी काका की हार हो या जीत, अध्यक्ष पद से विदाई लगभग तय हैै. सीपी जोशी की पसंद पर नए जिलाध्यक्ष की ताजपोशी होना यहां तय है.

सिरोही
सिरोही जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य भी विधानसभा चुनाव हार गए थे. लिहाजा सिरोही भी कार्यकारी जिलाध्यक्ष के भरोसे है. यहां नए जिलाध्यक्ष बनाने जाने की तैयारी शुरु हो गई है.

झुंझुनूं
झुंझुनूं जिलाध्यक्ष जितेंद्र गुर्जर विधायक बन चुके हैं. ऐसे में उनको भी इस पद से हटाए जानेे की पूरी संभावना है. नए जिलाध्यक्ष बनाने में अब विधायक बृजेन्द्र ओला की राय को तवज्जो दी जा सकती है.

पीसीसी कार्यकारिणी में भी होगा फेरबदल
जिलाध्यक्षों की तरह पीसीसी कार्यकारिणी में भी बदलाव तय है. करीब 40 पदाधिकारी मंत्री या फिर विधायक बन गए जबकि कुछ हार गए. ऐसे में इनको पीसीसी से रवाना किया जा सकता है. लिहाजा उनकी जगह दूसरे नेताओें और कार्यकर्ताओं को पीसीसी में शामिल किया जाएगा. पीसीसी में बदलाव अगस्त में होने की संभावना जताई जा रही है.

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